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परमाणु बिजली के लिए अभी लंबा इंतजार

मेघालय के यूरेनियम भंडार में कोई बाहरी हस्‍तक्षेप नहीं

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 13 February 2014 04:16:34 PM

narayan sami

नई दिल्‍ली। परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) की एक संघटक यूनिट परमाणु खनिज अन्‍वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय मेघालय ने राज्‍य में यूरेनियम स्रोतों की डोमियासियात, वाखेन, लॉस्‍टॉयन, गोमाघाट-फ्लांगडिलॉयन और तिरनई में उपलबधता सुनिश्चित की है। वाहकुट और उमथांगकुट, यूरेनियम स्रोतों के अन्‍य महत्‍वपूर्ण क्षेत्र हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्‍यमंत्री वी नारायण सामी ने लोकसभा में जानकारी दी कि यूरेनियम कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) जोकि परमाणु ऊर्जा विभाग के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन सरकारी क्षेत्र का एक उपक्रम है, स्‍वदेशी यूरेनियम भंडारों के खनन तथा संसाधन का कार्य वाणिज्यिक स्‍तर पर करने वाली एकमात्र एजेंसी है। परमाणु ऊर्जा (खान, खनिज कार्यकरण और विहित पदार्थ उठाई-धराई) नियम, 1984 के उपबंध के साथ पठित परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1984 के उपबंध के साथ पठित परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 के अधीन निहित उपबंधों के अनुसरण में, यूरेनियम जोकि एक विहित पदार्थ है, के हस्‍तन के लिए कोई प्राइवेट पार्टी प्राधिकृत नहीं है। उन्‍होंने बताया कि देश को परमाणु बिजली के लिए अभी लंबा इंतजार करना होगा।
नारायण सामी ने सवालों के जवाब में कहा कि जन-जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) नियमित आधार पर करता है। नाभिकीय विज्ञान, विकिरण के तथा रेडियो आइसोटोपों के अनुप्रयोगों के बारे में जन-जागरूकता बढ़ाने हेतु वैज्ञानिक निकायों तथा एसोसिएशनों के माध्यम से देशभर में कार्यशालाएं एवं संगोष्ठियां आयोजित की जा रही हैं। इन कार्यक्रमों के लिए महत्वपूर्ण श्रोतागणों के अंतर्गत विश्वविद्यालय के संकाय सदस्य एवं महाविद्यालय के व्याख्याता तथा विद्यार्थी आते हैं और इन कार्यक्रमों में नाभिकीय तथा विकिरण संरक्षा, सामाजिक हितों के लिए रेडियो आइसोटोपों के अनुप्रयोग, स्वास्थ्य भौतिकी के पहलू, विकिरण सक्रिय पदार्थों की सुरक्षित उठाई-धराई, विकिरण सक्रियता आदि विषय शामिल हैं। शैक्षणिक व्याख्यानों के बाद प्रदर्शन परीक्षण भी किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, स्थानीय लोगों में नाभिकीय विद्युत और उससे संबद्ध पहलुओं के बारे में जन-जागरूकता बढ़ाने तथा भय एवं आशंकाओं को दूर करने के लिए न्यूक्लियर पावर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) नाभिकीय विद्युत संयंत्र स्थलों के आस-पास जन-जागरूकता कार्यक्रमों का भी आयोजन करती है।
राज्यमंत्री ने लोकसभा में एक अन्‍य प्रश्न के लिखित उत्तर में जानकारी दी कि परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय (एएमडी), जोकि परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) का एक संघटक यूनिट है ने, अब तक देश में मोनाज़ाइट का 11.93 मिलियन टन भंडार स्थापित किया है, जिसमें लगभग 1.07 मिलियन टन थोरियम ऑक्साइड (Tho2) होता है। दिसंबर 2013 की स्थिति के अनुसार, परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय के स्व-स्थाने मोनाज़ाइट के राज्य-वार स्रोत इस प्रकार हैं-थोरियम निक्षेपों के वाणिज्यिक दोहन का काम, परमाणु ऊर्जा विभाग के एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम इंडियन रेअर अर्थस लिमिटेड (आईआरईएल) करती है। वर्ष 1952 से लेकर इंडियन रेअर अर्थस लिमिटेड, मोनाज़ाइट का संसाधन करता रहा है और थोरियम की पर्याप्त मात्रा का भंडारण कर लिया गया है। थोरियम का निष्कर्षण करने के लिए मोनाज़ाइट का संसाधन करना एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। थोरियम के प्रचुर संसाधनों के उपयोग पर आधारित और ऊर्जा की दीर्घावधि सुरक्षा का लक्ष्य रखते हुए, भारत का परमाणु विद्युत कार्यक्रम तीन चरणों में तैयार किया गया है।
नारायण सामी ने बताया कि पहले चरण में, दाबित भारी पानी रिएक्टरों (पीएचडब्ल्युआर्ज़) में प्राकृतिक यूरेनियम ईंधन को काम में लाकर विद्युत का उत्पादन किया जाता है। दूसरे चरण में दाबित भारी पानी रिएक्टरों में किए गए और आगे संसाधन कार्य के बाद प्राप्त भुक्तशेष ईंधन का उपयोग फास्ट ब्रीडर रिएक्टरों (एफबीआर्ज़) में किया जाता है। थोरियम अपने आप में विद्युत का उत्पादन नहीं कर सकता है और दूसरे चरण के अंतिम भाग में जब पर्याप्त नाभिकीय स्थापित क्षमता हासिल कर ली जाएगी, तब इसे एक फास्ट ब्रीडर रिएक्टर में पहले यूरेनियम-233 में परिवर्तित करना पड़ेगा और बाद में इसका उपयोग तीसरे चरण में विद्युत उत्पादन के लिए किया जाएगा। वर्तमान में भारत ने परमाणु विद्युत कार्यक्रम के दूसरे चरण में प्रवेश किया है और उसे पर्याप्त संख्या में फास्ट ब्रीडर रिएक्टरों के सफल प्रचालन के बाद तीसरे चरण में पहुंचने के लिए बहुत लंबा रास्ता तय करना है। नाभिकीय ईंधन चक्र में थोरियम के उपयोग के लिए प्रौद्योगिकीयों के संबंध में अनुसंधान के क्षेत्र में और बड़े पैमाने पर थोरियम आधारित ईंधन को उपयोग में लाने हेतु एक प्रदर्शक के रूप में काम करने के लिए एक प्रगत भारी पानी रिएक्टर (एएचडब्ल्युआर) के विकास के क्षेत्र में काफी कार्य किया गया है।

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