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राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम की उपेक्षा

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Tuesday 15 October 2013 10:19:10 AM

नई दिल्ली। बारहवीं पंचवर्षीय योजना अवधि में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत ग्रामीण बस्तियों में पाइप के जरिए पानी की आपूर्ति पर विशेष जोर तो दिया जा रहा है, लेकिन उत्तर प्रदेश सहित कुछ राज्यों में इस पर उतनी गंभीरता से काम नहीं हो रहा है। राज्यों को स्टैंड पोस्ट या घरेलू कनेक्शन के माध्यम से पाइप के जरिए बस्तियों में पानी की आपूर्ति के कवरेज की योजना बनाने के लिए बार-बार कहा जा रहा है। इससे पानी के संग्रह में लगने वाले कठिन परिश्रम और समय में कमी आएगी। इस तथ्य के अलावा, इससे पानी के मुद्दों से प्रभावित बस्तियों में पीने के पानी की गुणवत्ता की समस्या से निपटने में भी मदद मिलेगी। पानी के कम कवरेज वाले राज्यों में पाइप के जरिए पानी पहुंचाने की व्यवस्था करने के लिए असम, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में विश्व बैंक की सहायता से एक परियोजना का प्रस्ताव किया गया है, जो पाइप के जरिए पानी की आपूर्ति की व्यवस्था करने पर केंद्रित है।
कुछ राज्यों में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यूपी) के कार्यान्वयन में देखी गई खामियों में ग्रामीण बस्तियों, विशेष रूप से गुणवत्ता प्रभावित बस्तियों के कवरेज के वार्षिक लक्ष्य हासिल न होना और केंद्रीय धन के अपर्याप्त उपयोग के कारण बिना बहुत राशि बिना उपयोग के रह जाना बताया गया है और कुछ राज्यों के एनआरडीडब्ल्यूपी के तहत उपलब्ध धनराशि पूरी तरह से और समय पर खर्च करने में असमर्थ होने के कारणों में खरीद गतिविधियों में देरी, कई गांव में योजनाएं चलाना जिसके लिए 2-3 साल लगते हैं, योजना तैयार करने में देरी और कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने में ज्यादा समय लगना बताया गया है। निगरानी मे यह तथ्य सामने आए हैं कि इसके कारण कुछ और भी हैं, जिनके लिए राज्य सरकारों का व्यवहारिक प्रबंधन और उपेक्षा ज्यादा जिम्मेदार है।
राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यूपी) का लक्ष्य और उद्देश्य न्यूनतम जल गुणवत्ता मानक के साथ हर ग्रामीण व्यक्ति को पीने, खाना पकाने और अन्य बुनियादी घरेलू जरूरतों के लिए सतत आधार पर पर्याप्त सुरक्षित पानी उपलब्ध कराना है, जो हर समय आसानी से तथा सभी स्थितियों में सुलभ होना चाहिए। इस लक्ष्य और उद्देश्य को प्राप्त करना एक सतत प्रक्रिया है। भारत निर्माण के प्रारंभ में पहले चरण में 1.4.2005 की स्थिति के अनुसार, पानी की आपूर्ति से वंचित 55,067 बस्तियों, लक्ष्य से पीछे छूट गई 3,31,604 बस्तियों और गुणवत्ता प्रभावित 2,16,968 इलाकों में पर्याप्त स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति का लक्ष्य रखा गया था। पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की ऑनलाइन एकीकृत प्रबंधन सूचना प्रणाली (आईएमआईएस) पर राज्यों से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार 15 अगस्त 2013 तक 55,193 वंचित बस्तियों, आंशिक रूप से कवर या पीछे छूट गई 8,33,304 बस्तियों और गुणवत्ता प्रभावित 1,52,371 बस्तियों में पीन के स्वच्छ पर्याप्त जल की आपूर्ति का दावा किया गया है।
पूरी तरह से बस्तियों के कवरेज के लक्ष्यों को प्राप्त नहीं करने के कारणों में सुदूर सुरक्षित स्रोतों से पानी लाने के लिए बड़ी बहु-ग्राम योजनाओं की ऊंची लागत, योजना, डिजाइनिंग, मंजूर करने, खरीद, निष्पादन और ऐसी योजनाओं को चालू करने में लगा समय शामिल है। पानी के स्रोतों के सूखने और भूजल स्तर कम होने, पेयजल स्रोतों के प्राकृतिक और मानव निर्मित कारणों से दूषित होने के कारण आंशिक रूप से कवर की जा चुकी बस्तियां पीछे छूट रही हैं। इन समस्याओं के समाधान में सहायता करने के लिए भारत सरकार ग्रामीण जनता को पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए राज्यों के प्रयासों के पूरक के लिए एनआरडीडब्ल्यूपी के तहत राज्यों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करती है। एनआरडीडब्ल्यूपी के तहत 2013-14 में 11,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। एनआरडीडब्ल्यूपी के तहत लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकारों को योजना की मंजूरी और पेयजल आपूर्ति योजनाओं को लागू करने के लिए अधिकार दिए गए हैं।
राज्य सरकारें केंद्रीय मंत्रालय के परामर्श से ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं को लागू करने के लिए प्रत्येक वर्ष वार्षिक कार्य योजनाएं (एएपी) तैयार करती हैं। ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं के कामकाज की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए राज्यों को अपने बेहतर काम के लिए बेहतर संचालन एवं रखरखाव (ओएंडएम) और हेराफेरी को नियंत्रित करने के तरीके अपनाने हैं। एनआरडीडब्ल्यूपी के तहत राज्यों के लिए आवंटित धन की 15 प्रतिशत तक राशि ओएंडएम के लिए उपयोग की जा सकती है। पीने के पानी के स्रोतों की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए राज्य अपने आवंटन का 10 प्रतिशत धन उपयोग कर सकते हैं। स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय आवंटन के 5 प्रतिशत धन को रासायनिक संदूषण प्रभावित बस्तियों और जापानी इंसेफेलाइटिस और एक्यूट इंसेफेलाइटिस मामलों (जेई या एईएस) के लिए निर्धारित किया गया है।
मंत्रालय ने राज्यों में एनआरडीडब्ल्यूपी के तहत जलापूर्ति योजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए केंद्रीय स्तर पर एक मजबूत वेब आधारित निगरानी तंत्र की स्थापना की है। विभिन्न स्तरों पर गतिविधियों पर नजर रखने के लिए विभिन्न व्यवस्था की गई हैं। राज्य सरकारों को एनआरडीडब्ल्यूपी के विभिन्न घटकों और गतिविधियों को लागू करने के लिए एक वार्षिक कार्य योजना तैयार करना तथा केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के साथ चर्चा करनी आवश्यक है। हर साल राज्यों को कवरेज के लिए लक्षित बस्तियों को चिह्नित करने और मंत्रालय की ऑनलाइन एकीकृत प्रबंधन सूचना प्रणाली (आईएमआईएस) पर बताए गए कार्यों, योजनाओं और गतिविधियों की जानकारी प्रदान करनी है। मंत्रालय नियमित रूप से उपलब्ध कराई गई जानकारी की निगरानी करता है।

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