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रेल के इंजनों में डीज़ल की जगह गैस

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 19 September 2013 10:43:48 AM

indian railway

लखनऊ। पर्यावरण के अनुकूल और ईंधन का सस्‍ता वि‍कल्‍प अपनाते हुए भारतीय रेल ने अपने डीजल इंजनों में ईंधन के तौर पर प्राकृति‍क गैस के इस्‍तेमाल की वि‍भि‍न्‍न योजनाएं हाथ में ली हैं। इसके अंतर्गत लखनऊ स्‍थि‍त रेल मंत्रालय की एक अनुसंधान इकाई, अनुसंधान डि‍जाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) एलएनजी आधारि‍त रेल का इंजन तैयार करने की दि‍शा में तेजी से काम कर रहा है। एक बार इसके सफल हो जाने के बाद भारतीय रेल की इसी अवधारणा पर आधारि‍त 20 और एलएनजी इंजनों का नि‍र्माण करने की योजना है।
इस टेक्‍नोलॉजी के शुरू होने के साथ ही इंजनों के संचालन में आने वाला खर्च 50 प्रति‍शत तक कम हो जाएगा। इसके अलावा इंजनों से नि‍कलने वाला धुआं समाप्‍त हो जाएगा और नाइट्रोजन ऑक्‍साइड जैसे उत्‍सर्जनों में पर्याप्‍त कमी आएगी। एक बार जब भारतीय रेलवे अपने डीजल इंजनों में ईंधन के तौर पर प्राकृति‍क गैस का पूरी तरह इस्‍तेमाल करने लगेगी तो भारत में प्राकृति‍क गैस के 81 मि‍लि‍यन टन का वार्षि‍क इस्‍तेमाल का केवल 2.2 प्रति‍शत होगा और यह व्‍यावसायि‍क दृष्‍टि‍ से व्‍यवहार्य होगा। इस समय भारतीय रेल अपने इंजन डीजल और बि‍जली से चलाती है। कच्‍चा तेल, आयाति‍त कोयला, रूपए का अवमूल्‍यन होने के कारण इन दोनों ईंधनों की कीमत तेजी से बढ़ रही है।
प्राकृति‍क गैस भवि‍ष्‍य के आशाजनक ईंधन के रूप में उभर रही है। प्राकृति‍क गैस मुख्‍य रूप से परंपरागत प्राकृति‍क गैस, शेल गैस, गैस हाइड्रेट के रूप में उपलब्‍ध है। भारत के पास परंपरागत प्राकृति‍क गैस, शेल गैस और गैस हाइड्रेट के रूप में प्राकृति‍क गैस के पर्याप्‍त भंडार हैं। उसके पास 1241 अरब क्‍यूबि‍क मीटर परंपरागत गैस, वापस मि‍ल सकने योग्‍य शेल गैस के 7462.5 अरब क्‍यूबि‍क मीटर और 1890 खरब क्‍यूबि‍क मीटर गैस हाइड्रेट के भंडार हैं। शेल गैस भंडार के मामले में अमरीका और कनाडा दुनि‍या के प्राकृति‍क गैस के सबसे बड़े नि‍र्यातक हैं। प्राकृति‍क गैस के वैश्‍वि‍क भंडारों का इस्‍तेमाल करने के लि‍ए भारत देश में एलएनजी का आयात करने के लि‍ए बुनि‍यादी ढांचा स्‍थापि‍त कर रहा है।

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