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विद्युत परियोजनाओं में डूबा बैंकों का पैसा

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Thursday 1 August 2013 09:38:56 AM

नई दिल्‍ली। भारतीय विद्युत उपकरण उद्योग मिशन योजना 2022 में इस तथ्य का उल्लेख किया गया है कि विद्युत उत्पादन में नियोजित तथा अर्जित की गई क्षमता वृद्धि में कमी का मुख्य कारण भूमि अधिग्रहण की समस्या है। भूमि अधिग्रहण, वन और अन्य मंजूरियों में देरी होने के कारण विद्युत परियोजनाओं के लिए स्वीकृत आधे ऋण का तो उपयोग ही नहीं हो पाता है। इसके परिणामस्वरुप बैंक विद्युत क्षेत्र के लिए अपना योगदान बढ़ाने के लिए तैयार नहीं हैं, जिससे परियोजनाओं के पूरा होने में और देरी होती है। इस नकारात्मकता से बॉयलर टर्बाइन जेनरेटर (बीटीजी) और ट्रांसमिशन एवं वितरण (टी एंड डी) उपकरण उद्योग के विकास पर प्रभाव पड़ता है।
योजना में यह भी उल्लेख किया गया है कि सरकार के वन और निजी भूमि का अधिग्रहण एक कठिन तथा लंबी प्रक्रिया वाला कार्य है। वर्तमान भूमि अधिग्रहण कानून में कई खामियां हैं। पुराने भूमि अधिग्रहण कानून से निजी डेवलपर्स को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उपरोक्त समस्याओं को देखते हुए भारतीय विद्युत उपकरण उद्योग मिशन योजना 2022 को अभी हाल में भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने शुरू किया था, जिसमें जल्द से जल्द ऐसे भूमि अधिग्रहण नियम को लागू करने की सिफारिश की गई है, जिससे भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया निष्पक्ष और तेजी से की जा सके। मिशन योजना में यह भी बताया गया है कि राज्य सरकारें औद्योगिक एस्टेट्स, सेज, मैट्रो और राजमार्ग परियोजनाओं और विद्युत संयंत्रों के लिए अधिक तेजी से भूमि अधिग्रहण कर सकती हैं।

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