शैक्षिक और नैतिक उन्नति केलिए फातिमा माता महाविद्यालय की सराहना
फातिमा माता राष्ट्रीय महाविद्यालय की हीरक जयंती पर प्रेरक संबोधनस्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 4 November 2025 12:01:37 PM
कोल्लम (केरल)। उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन फातिमा माता राष्ट्रीय महाविद्यालय कोल्लम के हीरक जयंती समारोह में शामिल हुए। उपराष्ट्रपति ने समारोह को संबोधित करते हुए शिक्षा चरित्र निर्माण का महत्वपूर्ण आधार बताया। उन्होंने कहाकि एक महान, सशक्त और करुणामयी समाज निर्माण केलिए मनुष्य निर्माण सबसे महत्वपूर्ण आधार है। उन्होंने फातिमा माता राष्ट्रीय महाविद्यालय की न केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता, बल्कि आत्मअनुशासन, दूसरों की सेवा और सामाजिक उत्तरदायित्व जैसे मूल्यों को पोषित करने केलिए सराहना की। उन्होंने कहाकि ये ऐसे गुण हैं, जो नागरिकों को राष्ट्र की प्रगति में योगदान देने के लायक बनाते हैं। यह समारोह 1951 में रेवरेंड डॉ जेरोम एम फर्नांडीज के इस महाविद्यालय की स्थापना केबाद से शिक्षा और राष्ट्र निर्माण में महाविद्यालय के विशिष्ट योगदान के 75 वर्ष पूरे होने पर आयोजित किया गया था।
उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने संस्थान के प्रेरक आदर्श वाक्य ‘पेर मात्रेम प्रो पटेरिया’ (माता के माध्यम से पितृभूमि केलिए) को एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूपमें रेखांकित किया, जिसने पीढ़ियों को ईमानदारी और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने केलिए प्रेरित किया है। उन्होंने याद दिलायाकि 75 साल पहले शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना केलिए पैसे के बजाय साहस, विश्वास और सामुदायिक भावना की आवश्यकता होती थी। उन्होंने ज्ञान और सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रतीक के तौरपर उस विरासत को कायम रखने केलिए फातिमा माता राष्ट्रीय महाविद्यालय की प्रशंसा की। उपराष्ट्रपति ने देशभर में नशे के खिलाफ जन आंदोलन का पुरजोर आह्वान किया। उन्होंने कहाकि नशीली दवाओं का खतरा दुनियाभर में युवाओं के सामने सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक है, जिससे इंसान और समाज दोनों को भारी नुकसान हो रहा है। उन्होंने अभिभावकों, शिक्षकों और छात्रों से नशीली दवाओं और शराब छोड़ने में एकजुट होने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि शारीरिक स्वास्थ्य, नैतिक बल और सामाजिक सद्भाव केलिए नशामुक्त जीवनशैली जरूरी है। उन्होंने इस अभियान को जन-जन के माध्यम से चलने वाला एक जन आंदोलन बनाने का संकल्प दिलाया।
तमिल कवि तिरुवल्लुवर से प्रेरणा लेते हुए सीपी राधाकृष्णन ने कहाकि शिक्षा ही सबसे बड़ी संपत्ति है, जो किसी व्यक्ति केपास हो सकती है। उन्होंने ऐसे वैज्ञानिकों, नवप्रवर्तकों, प्रशासकों और विचारकों को विकसित करने के महत्व पर जोर दिया, जो भारत को एक आत्मनिर्भर और विकसित भविष्य की ओर ले जा सकें। उन्होंने छात्रों को अनुशासन अपनाने, व्यवस्थित दिनचर्या का पालन करने और सीखने केप्रति जीवनभर लगे रहने केलिए प्रोत्साहित किया। उपराष्ट्रपति ने छात्रों से सोशल मीडिया का सावधानीपूर्वक और जिम्मेदारी से इस्तेमाल करने का आग्रह किया और इसके संभावित दुरुपयोग केप्रति आगाह भी किया। उन्होंने कहाकि जहां तकनीक में लोगों को जोड़ने और जानकारी देने की अपार शक्ति है, वहीं इसका लापरवाहीभरा उपयोग गुमराह, विभाजित और विचलित कर सकता है। उन्होंने युवाओं से सोशल मीडिया का सत्य, करुणा और राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहन देने केलिए रचनात्मक उपयोग करने का आह्वान किया।
शिक्षा और साक्षरता के क्षेत्रमें केरल की उल्लेखनीय उपलब्धियों की सराहना करते हुए सीपी राधाकृष्णन ने कहाकि फातिमा माता राष्ट्रीय महाविद्यालय के संस्थापकों जैसे दूरदर्शी लोगों के प्रयासों से ही यह संभव हो पाया है। उन्होंने भरोसा जतायाकि फातिमा माता राष्ट्रीय महाविद्यालय एक विकसित भारत के तौरपर अपना शताब्दी समारोह मनाएगा और उन्होंने कॉलेज समुदाय को राष्ट्र केप्रति उनकी साढ़े सात दशक की समर्पित सेवा केलिए बधाई दी। उन्होंने संस्थान को ज्ञान का मंदिर और मूल्यों का प्रकाश स्तंभ बताया और इसके निरंतर विकास तथा भारत की शैक्षिक एवं नैतिक उन्नति में इसके सतत योगदान केलिए शुभकामनाएं दीं। हीरक जयंती समारोह में केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, केंद्रीय पर्यटन पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री और छात्र रहे सुरेश गोपी, केरल के वित्तमंत्री केएन बालगोपाल और कोल्लम के रोमन कैथोलिक बिशप रेवरेंड डॉ पॉल एंटनी मुल्लास्सेरी, संकाय सदस्य, छात्र, पूर्व छात्र और अभिभावक भी उपस्थित थे।