'पुलिस भयावह नहीं, हाशिए पर पड़े लोगों का सहारा बने'
राष्ट्रपति भवन में 2024 बैच के आईपीएस प्रोबेशनर्स से भेंटस्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 27 October 2025 04:35:47 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से आज भारतीय पुलिस सेवा के 77 आरआर (2024 बैच) के परिवीक्षाधीन अधिकारियों ने राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की। राष्ट्रपति ने परिवीक्षार्थियों को आईपीएस प्रशिक्षण का पहला चरण पूरा करने पर बधाई दी और कहाकि अत्यंत प्रतिस्पर्धी परीक्षा केबाद देश की प्रतिष्ठित पुलिस सेवा में शामिल होने केलिए वे सब प्रशंसा के पात्र हैं। उन्होंने इस अवसर पर कहाकि देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की स्थापित देश की एकता को और सुदृढ़ करने में भारतीय पुलिस सेवा का योगदान अभूतपूर्व है। उन्होंने विशेषतौर पर पुलिस की कार्यशैली का उल्लेख किया और परिवीक्षार्थियों से कहाकि हाशिए पर पड़े लोगों को पुलिस को एक भयावह इकाई के रूपमें नहीं, बल्कि एक सहारे के स्रोत के रूपमें देखना चाहिए। उन्होंने जिक्र कियाकि औपनिवेशिक शक्तियों ने अपने देशों में नागरिकों की भागीदारी पर आधारित पुलिस व्यवस्थाएं विकसित कीं, लेकिन भारत जैसे उपनिवेशों में उन्होंने भय, अविश्वास और दूरी पर आधारित पुलिस व्यवस्थाएं बनाईं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने परिवीक्षार्थियों को संबोधित करते हुए आईपीएस अधिकारी जहांभी तैनात होते हैं, राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य केसाथ काम करते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि पुलिस व्यवस्था में सांस्कृतिक वि-उपनिवेशीकरण की प्रक्रिया आईपी या भारतीय पुलिस को आईपीएस या भारतीय पुलिस सेवा में बदलने केसाथ शुरू हुई। उन्होंने कहाकि इस बदलाव का उद्देश्य शासन करने के बजाय सेवा करने के विचार पर आधारित एक नया दृष्टिकोण लाना था। उन्होंने कहाकि भारतीय पुलिस व्यवस्था की संस्कृति का अर्थ सेवा, संवेदनशीलता और सहानुभूति की भावना को बनाए रखना, खासकर समाज के कमज़ोर वर्गों केलिए है। राष्ट्रपति ने परिवीक्षार्थियों से कहाकि एक प्रभावी अधिकारी बनने केलिए आपको अपने भीतर करुणा की भावना को अक्षुण्ण बनाए रखने के विशेष प्रयास करने चाहिएं, यह संवेदनशीलता उस जनता तक जिसकी आप सेवा करेंगे और आपकी टीम के सदस्यों तकभी फैलनी चाहिए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को खुशी हुईकि 174 परिवीक्षाधीन अधिकारियों के इस बैच में 62 महिला प्रशिक्षु अधिकारी हैं, लगभग 36 प्रतिशत यानी एक तिहाई से भी अधिक यह अबतक का सबसे अधिक लैंगिक प्रतिनिधित्व है। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि महिला आईपीएस अधिकारियों का प्रतिनिधित्व और ज्यादा बढ़ेगा। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत दुनिया की सबसे तेज़ीसे बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है, हमें अपनी आर्थिक वृद्धि को और तेज़ करने केलिए लगातार बढ़ते सार्वजनिक और निजी निवेश की आवश्यकता है। उन्होंने कहाकि किसीभी राज्य या क्षेत्रमें निवेश आकर्षित करने केलिए कानून व्यवस्था एक आवश्यक शर्त है। उन्होंने कहाकि निवेश और विकास को बढ़ावा देने में आर्थिक प्रोत्साहनों केसाथ-साथ प्रभावी पुलिस व्यवस्था भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने परिवीक्षाधीन अधिकारियों से कहते हुए आशा व्यक्त कीकि उनके नेतृत्व में एक भविष्य तैयार पुलिस बल विकसित भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, इसलिए उन्हें यह ध्यान रखना चाहिएकि अधिकार केसाथ जवाबदेही भी आती है। उन्होंने कहाकि उनके कार्य और आचरण हमेशा सार्वजनिक निगरानी में रहेंगे, उन्हें यह याद रखना चाहिएकि क्या नैतिक है, क्या नहीं, बल्कि क्या उचित है, आपात स्थितियों से निपटने के दौरान भी न्यायसंगत और निष्पक्ष प्रक्रियाओं का पालन करें।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि उन्हें कानूनों और प्रणालियों से बहुत सारी शक्तियां प्राप्त होती हैं, लेकिन असली अधिकार उनकी व्यक्तिगत और व्यावसायिक ईमानदारी से आएगा। राष्ट्रपति ने कहाकि नैतिक अधिकार उन्हें सभीका सम्मान और विश्वास दिलाएगा। उन्होंने कहाकि तकनीक ने पुलिसिंग के क्षेत्रमें काफ़ी बदलाव ला दिया है, लगभग दस साल पहले 'डिजिटल गिरफ़्तारी' शब्द को समझना नामुमकिन होता, आज यह नागरिकों केलिए सबसे भयावह ख़तरों में से एक है। उन्होंने कहाकि भारत में सबसे बड़ा और सबसे तेज़ीसे बढ़ता एआई उपयोगकर्ता आधार है, इसका असर पुलिसिंग पर भी पड़ेगा। उन्होंने कहाकि आईपीएस अधिकारियों को एआई सहित नई तकनीकों को अपनाने में उन लोगों से कई कदम आगे रहना चाहिए, जो इन तकनीकों का ग़लत इरादे से इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहाकि कई और अखिल भारतीय सेवाओं केसाथ भारतीय पुलिस सेवा देश के संघीय ढांचे और राष्ट्र की एकता अखंडता में अनुकरणीय भूमिका निभा रही है।