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तिरुपति में महिलाओं पर केंद्रित राष्ट्रीय सम्मेलन

'महिलाओं के नेतृत्व में विकास ही विकसित भारत 2047 का विज़न'

लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला ने महिला सम्मेलन का उद्घाटन किया

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Monday 15 September 2025 12:33:16 PM

national conference on women held at tirupati

बेंगलुरु (तिरुपति)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा हैकि महिलाओं के सशक्तिकरण और बाल कल्याण पर आधारित महिलाओं के नेतृत्व में विकास ही 2047 तक विकसित भारत का विज़न है। तिरुपति में संसद और राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं की महिला सशक्तिकरण समितियों के प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए ओम बिरला ने कहाकि भारत तभी समावेशी और विकसित राष्ट्र बनेगा, जब बेटियां शिक्षित और आत्मनिर्भर होंगी। सम्मेलन में 20 से अधिक राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन ‘विकसित भारत हेतु महिलाओं के नेतृत्व में विकास’ विषय पर किया गया, जो विशेष रूपसे ‘लैंगिक उत्तरदायी बजट’ और ‘उभरती प्रौद्योगिकियों की चुनौतियों का सामना करने हेतु महिलाओं का सशक्तिकरण’ पर केंद्रित था। विचार विमर्श के केंद्र बिंदु थे-महिला नेतृत्व को सशक्त बनाना, उनकी शासन में उनकी भागीदारी, समावेशी नीतियां सुनिश्चित करना और ऐसे भारत की परिकल्पना को आगे बढ़ाना जहां महिलाएं केवल लाभार्थी ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय विकास की मुख्य निर्माता भी हों।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहाकि महिला सशक्तिकरण पर समितियों का यह प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन भारत की लोकतांत्रिक यात्रा में एक ऐतिहासिक क्षण का प्रतीक है, ऐसे सम्मेलन विचारों और अनुभवों के आदान प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते और समावेशी नीतिनिर्माण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। ओम बिरला ने कहाकि सम्मेलन ने देशभर से सांसदों, नीति निर्माताओं और महिला नेताओं को एकसाथ लाकर महिला नेतृत्व, समानता और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में समावेशन केलिए सामूहिक रूपसे रणनीतियां तय करने का अवसर प्रदान किया है। ओम बिरला ने कहाकि तिरुपति सम्मेलन यह स्पष्ट और सशक्त संदेश देता हैकि महिला सशक्तिकरण और बाल कल्याण परिधीय विषय नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय प्रगति की आधारशिला है। उन्होंने कहाकि पंचायत से लेकर संसद तक महिला नेतृत्व, समावेशी कानूनों, नीतियों और प्रत्येक महिला की आर्थिक स्वतंत्रता, 2047 तक विकसित भारत के विज़न को साकार करने की दिशा में निर्णायक कदम है।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहाकि महिला सशक्तिकरण किसी एक सम्मेलन की ही बात नहीं, बल्कि एक सतत प्रक्रिया है, जिसके लिए जीवन के प्रत्येक चरण में महिलाओं की आवश्यकताओं को संबोधित करने वाली व्यापक नीतियों की आवश्यकता है। उन्होंने पंचायत से संसद तक महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहाकि नीति निर्माण एवं कानून निर्माण संस्थाओं में महिलाओं की उपस्थिति बढ़ाने से उन चुनौतियों और अवरोधों को दूर करने में मदद मिलेगी, जिनका महिलाओं ने ऐतिहासिक रूपसे सामना किया है। ओम बिरला ने कहाकि भारतीय नारी शक्ति एक अजेय शक्ति के रूपमें उभर रही है, जो राष्ट्र को शक्ति और समावेशिता की ओर अग्रसर कर रही है। उन्होंने कहाकि राष्ट्रीय जीवन के प्रत्येक क्षेत्रमें महिलाओं की शक्ति, नेतृत्व और भागीदारी केवल समानता का विषय नहीं है, बल्कि समावेशी और सतत विकास की आधारशिला भी है। उन्होंने कहाकि शिक्षा, विज्ञान, शासन, प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और नवाचार के क्षेत्रों में भारत जिस तीव्रता से आगे बढ़ रहा है, उसमें महिलाओं की भूमिका और उनका सुरक्षित भविष्य ही राष्ट्रीय प्रगति की गति और स्वरूप को निर्धारित करेगा।
ओम बिरला ने महिला स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को स्मरण किया, जिनके त्याग और समर्पण ने एक अधिक समान और समावेशी समाज की नींव रखी। ओम बिरला ने कहाकि साहसी महिलाओं ने बाधाएं तोड़ीं, रूढ़ियों को चुनौती दी और वे नेता, रणनीतिकार तथा परिवर्तनकर्ता के रूपमें उभरीं। उन्होंने कहाकि उनकी विरासत ने सिद्ध कियाकि स्वतंत्रता का संग्राम केवल राजनीतिक नहीं था, बल्कि न्याय और समानता केलिए भी एक संघर्ष था। उन्होंने कहाकि शिक्षा, स्वास्थ्य, सामुदायिक विकास और महिला अधिकारों जैसे क्षेत्रोंमें उनके कार्यों ने सुनिश्चित कियाकि समानता और न्याय के सिद्धांत स्वतंत्र भारत में जीवित बने रहें। लोकसभा अध्यक्ष ने कहाकि संविधान सभा में भी 15 महिला सदस्य संविधान निर्माण की प्रक्रिया का हिस्सा थीं और उनके दृष्टिकोण एवं विचारों ने यह सुनिश्चित कियाकि भारत का संविधान लैंगिक रूपसे निष्पक्ष हो, जिससे महिलाओं केलिए समान अधिकारों और अवसरों की मजबूत नींव पड़ी। उन्होंने कहाकि संविधान में निहित स्वतंत्रता और समानता उन महिलाओं की सक्रिय भागीदारी का ही परिणाम हैं। महिला नेतृत्व को रेखांकित करते हुए ओम बिरला ने कहाकि प्राचीन विदुषियों गार्गी और अनुसूया से वीरांगनाओं रानी रुद्रमादेवी और रानी लक्ष्मीबाई तक महिलाओं ने अपने साहस, ज्ञान और त्याग से भारत के इतिहास को गढ़ा है।
ओम बिरला ने कहाकि आज भारतीय महिलाएं अंतरिक्ष अनुसंधान से लेकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी, खेल, साहित्य, स्थानीय शासन, राष्ट्रीय नेतृत्व तकमें उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं। उन्होंने कहाकि भारत में महिला राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, अध्यक्ष और विधायक रही हैं, जो हमारे लिए गर्व का विषय है और यह राष्ट्र की महिला नेतृत्व केप्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। ओम बिरला ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम को एक ऐतिहासिक संवैधानिक सुधार बताया, जिसने इस परिवर्तन को संस्थागत रूप दिया है। उन्होंने स्मरण कियाकि यह नए संसद भवन में पारित होने वाला पहला विधेयक था, जिसने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं केलिए आरक्षण सुनिश्चित किया, यह ऐतिहासिक कानून केवल प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि महिलाओं को शासन में उनका उचित स्थान दिलाता है और राष्ट्र के भविष्य को गढ़ने केलिए महिला नेताओं की नई पीढ़ी तैयार करता है। उन्होंने उल्लेख कियाकि राष्ट्रीय और राज्य स्तरपर महिला सशक्तिकरण पर समितियां गैरपक्षपाती तरीके से कार्य करती हैं और समावेशिता एवं प्रभावशीलता सुनिश्चित करने केलिए क़ानूनों, नीतियों और योजनाओं की गहन समीक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
उन्होंने कहाकि महिला समितियों की सिफारिशें ऐसी होनी चाहिएं, जो यह सुनिश्चित करें कि देश के सबसे दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाली अंतिम महिला और अंतिम बच्चे तक स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और प्रगति के अवसरों की पहुंच हो। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, महिला सशक्तिकरण पर संसदीय समिति की अध्यक्ष डी पुरंदेश्वरी, आंध्र प्रदेश विधानसभा के सभापति सी अय्यनपट्ट्रुडु और आंध्र प्रदेश विधान परिषद के अध्यक्ष कोये मोशेनू राजू उपस्थित थे। आंध्र प्रदेश सरकार के मंत्री, विधानसभा और विधानपरिषद के सदस्य, संसद, राज्य-केंद्रशासित प्रदेश विधानसभाओं की महिला सशक्तिकरण समितियों की अध्यक्ष एवं सदस्य भी उपस्थित थे। सम्मेलन के शुरू होनेसे पहले लोकसभा अध्यक्ष ने तिरुमला स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में पूजा अर्चना की। उन्होंने कहाकि तिरुपति जो लंबे समय से भक्ति, त्याग और महिलाओं के योगदान से जुड़ा पवित्र स्थल है, भारत विकास यात्रा के केंद्र में महिलाओं और बच्चों को रखने के राष्ट्रीय संकल्प की पुष्टि करने केलिए एक उपयुक्त स्थान है।

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