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Monday 28 July 2025 03:33:04 PM
तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वप्रसिद्ध तमिलनाडु के गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर में सर्वशक्तिमान भगवान शिव का पूर्ण विधिविधान से दर्शन पूजन किया और कहाकि जब मैं 'ॐ नमः शिवाय' सुनता हूं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं और यहां राजराजा चोल की पावन भूमि पर शिव दर्शन की अद्भुत ऊर्जा, इलैयाराजा का संगीत, मंत्रोच्चार की आध्यात्मिकता ने मन को भावविभोर कर दिया है। प्रधानमंत्री ने आदि तिरुवथिरई महोत्सव में कहाकि शिव की अनन्य भक्ति से जुड़ी भारत की चोल विरासत भी अमर है, राजराजा चोल, राजेंद्र चोल भारत की पहचान और गौरव के पर्याय हैं। उन्होंने कहाकि चोल साम्राज्य का इतिहास और विरासत भारत की वास्तविक क्षमता का उद्घोष है। उन्होंने चिन्मय मिशन के प्रयासों से तमिल गीता की एल्बम लॉंच की और कहाकि यह पहल देश की विरासत को संरक्षित करने के संकल्प को ऊर्जा प्रदान करती है। प्रधानमंत्री ने बतायाकि चोल वंश के राजेंद्र चोल प्रथम ने उत्तर भारत से गंगाजल लाकर 'चोला गंगा झील' में प्रवाहित किया था, चोल शासकों ने श्रीलंका, मालदीव और दक्षिण पूर्व एशिया तक अपने राजनयिक और व्यापारिक संबंध बढ़ाए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भगवान शिव केप्रति अटूट भक्ति में निहित भारत की चोल विरासत अमर है। प्रधानमंत्री ने कहाकि राजराजा चोल और राजेंद्र चोल की विरासत भारत की पहचान और गौरव का पर्याय है। उन्होंने कहाकि चोल साम्राज्य का इतिहास और विरासत भारत की वास्तविक क्षमता का प्रतीक है, जो एक विकसित भारत निर्माण की राष्ट्रीय आकांक्षा को प्रेरित करती है। आदि तिरुवथिरई महोत्सव का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि यह भव्य कार्यक्रम इसके समापन का प्रतीक है और उन्होंने इस आयोजन में योगदान देने वाले सभी लोगों को बधाई दी। उन्होंने कहाकि इतिहासकार चोलकाल को भारत के स्वर्णिम युगों में से एक मानते हैं, एक ऐसा युग जिसकी अपनी सैन्य शक्ति केलिए विशेष पहचान थी। उन्होंने कहाकि चोल साम्राज्य ने भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं को बढ़ावा दिया, जिनकी अक्सर वैश्विक आख्यानों में उपेक्षा की जाती है। उन्होंने कहाकि जहां इतिहासकार लोकतंत्र के संदर्भ में ब्रिटेन के मैग्नाकार्टा की बात करते हैं, वहीं चोल साम्राज्य ने कुदावोलाई अमाइप्पु तंत्र से सदियों पहले लोकतांत्रिक चुनाव पद्धतियों को लागू कर दिया था। नरेंद्र मोदी ने बतायाकि आज वैश्विक चर्चा अक्सर जल प्रबंधन और पारिस्थितिकी संरक्षण पर केंद्रित होती है, जिसे हमारे पूर्वजों ने बहुत पहले ही समझ लिया था। उन्होंने कहाकि जहां कई राजाओं को दूसरे क्षेत्रों से सोना चांदी या पशुधन प्राप्त करने केलिए याद किया जाता है, वहीं राजेंद्र चोल को पवित्र गंगाजल लाने केलिए जाना जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘गंगा जलमयं जयस्तंभम्’ वाक्यांश का उल्लेख करते हुए बतायाकि जल को चोल गंगा झील में प्रवाहित किया जाता था, जिसे अब पोन्नेरी झील के नामसे जाना जाता है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि राजेंद्र चोल का गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर विश्व में वास्तुशिल्प के एक चमत्कार के रूपमें जाना जाता है। उन्होंने कहाकि माँ कावेरी की भूमि पर गंगा उत्सव भी चोल साम्राज्य की विरासत है। प्रधानमंत्री ने माँ गंगा केसाथ अपने गहरे भावनात्मक जुड़ाव को साझा किया। उन्होंने कहाकि चोल शासकों ने भारत को सांस्कृति के एकतासूत्र में पिरोया और हमारी सरकार चोलयुग के उन्हीं आदर्शों को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहाकि काशी तमिल संगमम और सौराष्ट्र तमिल संगमम जैसे कार्यक्रम सदियों पुराने एकता संबंधों को और मज़बूत कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण तमिलनाडु में गंगईकोंडा चोलपुरम जैसे प्राचीन मंदिरों का संरक्षण कर रहा है। नए संसद भवन के उद्घाटन पर शिव अधीनम के संतों के आध्यात्मिक मार्गदर्शन को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि तमिल परंपरा से जुड़े पवित्र सेंगोल को संसद भवन में स्थापित किया गया है। चिदंबरम नटराज मंदिर के दीक्षितों केसाथ अपनी मुलाकात को याद करते हुए नरेंद्र मोदी ने बतायाकि उन्होंने उन्हें उस दिव्य मंदिर से पवित्र प्रसाद भेंट किया, जिसमें भगवान शिव की नटराज रूपमें पूजा की जाती है। उन्होंने कहाकि नटराज का यह रूप भारत दर्शन और वैज्ञानिक आधार का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने जिक्र कियाकि भगवान नटराज की ऐसीही एक आनंद तांडव मूर्ति दिल्ली के भारत मंडपम में भी सुशोभित है, जहां 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान वैश्विक नेता एकत्रित हुए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धेय नयनमार संतों की विरासत, उनके भक्ति साहित्य, तमिल साहित्यिक योगदान और अधीनमों के आध्यात्मिक प्रभाव पर कहाकि भारत की शैव परंपरा ने राष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहाकि चोल सम्राट सांस्कृतिक विकास के प्रमुख निर्माता थे और तमिलनाडु जीवंत शैव विरासत का केंद्र है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि शैव दर्शन सार्थक समाधानों का मार्ग बताता है। उन्होंने तिरुमूलर की शिक्षाओं का उल्लेख किया, जिन्होंने 'अनबे शिवम' जिसका अर्थ है-प्रेम ही शिव है लिखा था। प्रधानमंत्री ने भारत 'एक विश्व, एक परिवार, एक भविष्य' के आदर्श वाक्य के माध्यम से इस दर्शन को बढ़ावा दे रहा है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज भारत 'विकास भी, विरासत भी' के मंत्र केसाथ बढ़ रहा है और आधुनिक भारत अपने इतिहास पर गर्व करता है। उन्होंने कहाकि बीते एक दशक में राष्ट्र ने अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने केलिए मिशनमोड में काम किया है। उन्होंने बतायाकि प्राचीन मूर्तियां और कलाकृतियां, जिन्हें चुराकर विदेशों में बेच दिया गया था, उन्हें वापस भारत लाया गया है। प्रधानमंत्री ने बतायाकि 2014 से अबतक विश्व के विभिन्न देशों से 600 से अधिक प्राचीन कलाकृतियां वापस लाई गई हैं, जिनमें से 36 कलाकृतियां विशेष रूपसे तमिलनाडु से हैं। उन्होंने कहाकि नटराज, लिंगोद्भव, दक्षिणामूर्ति, अर्धनारीश्वर, नंदीकेश्वर, उमा परमेश्वरी, पार्वती, संबंदर और कई बहुमूल्य विरासतें तमिलनाडु की शोभा हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उल्लेख कियाकि जब भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बना तो निर्दिष्ट चंद्र स्थल का नाम शिवशक्ति रखा गया, जिसे विश्व ने स्वीकार किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि चोलकाल में प्राप्त आर्थिक और सामरिक प्रगति आधुनिक भारत केलिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने कहाकि राजराजा चोल ने एक शक्तिशाली नौसेना की स्थापना की, जिसे राजेंद्र चोल ने और मजबूत किया, चोलकाल स्थानीय शासन प्रणालियों के सशक्तीकरण और एक मजबूत राजस्व ढांचे के कार्यांवयन सहित प्रमुख प्रशासनिक सुधारों का साक्षी है। उन्होंने कहाकि भारत ने वाणिज्यिक उन्नति, समुद्री मार्गों के उपयोग और कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देने में तेजीसे प्रगति की। उन्होंने कहाकि आजका भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है, ऑपरेशन सिंदूर को विश्व ने अपनी संप्रभुता के विरुद्ध किसीभी खतरे का भारत द्वारा दृढ़ और निर्णायक जवाब के रूपमें देखा है। उन्होंने कहाकि ऑपरेशन सिंदूर ने एक स्पष्ट संदेश दिया हैकि आतंकवादियों और देश के दुश्मनों केलिए कोई जगह सुरक्षित नहीं है। उन्होंने कहाकि ऑपरेशन सिंदूर ने भारत के लोगों में एक नया आत्मविश्वास उत्पन्न किया है और विश्व इसे देख रहा है। नरेंद्र मोदी ने राजेंद्र चोल की विरासत और गंगईकोंडा चोलपुरम के निर्माण की एक विचारशील तुलना की, गहरे सम्मान के कारण इस मंदिर का गोपुरम उनके पिता के तंजावुर बृहदेश्वर मंदिर के गोपुरम से भी नीचा बनाया गया था और उपलब्धियों के बावजूद राजेंद्र चोल ने विनम्रता का उदाहरण प्रस्तुत किया।
प्रधानमंत्री ने कहाकि आजका भारत इसी भावना का प्रतीक है, जिसमें मज़बूत होते हुए वैश्विक कल्याण और एकता के मूल्य निहित हैं। भारत की विरासत पर गर्व करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा कीकि आनेवाले समय में तमिलनाडु में राजराजा चोल और उनके पुत्र, प्रख्यात शासक राजेंद्र चोल-I की भव्य प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी। उन्होंने कहाकि ये प्रतिमाएं भारत की ऐतिहासिक चेतना के आधुनिक स्तंभ के रूपमें लोगों को जागरुक करेंगी। उन्होंने स अवसर पर भारत के राष्ट्रपति रहे डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को उनकी पुण्यतिथि पर याद किया और कहाकि एक विकसित भारत का नेतृत्व करने केलिए देश को डॉ अब्दुल कलाम और चोल राजाओं जैसे लाखों युवाओं की आवश्यकता है। कार्यक्रम में संतगण, तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि, केंद्रीय मंत्री डॉ एल मुरुगन और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।