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Thursday 3 July 2025 04:12:44 PM
नई दिल्ली। अमेरिका के साथ भारत की रणनीतिक मित्रता के विफल और निराशाजनक अनुभव के बाद भारत अपने पुराने और भरोसेमंद मित्र रूस पर और ज्यादा विश्वास से अमेरिका और चीन में भारी हलचल है। कारण-रूस का भारत को फिफ्थ जनरेशन के लड़ाकू स्टील्थ फाइटर जेट्स Su-57E का टेक्नोलॉजी सहित प्रस्ताव दिया है, जिसे भारत मंजूर करने जल्द ही ख़बर आने वाली है। जानकार मानते हैंकि भारत की जिस प्रकार वैश्विक मान्यता बढ़ती जा रही है, उसे देखकर भारत में सुपरपावर का ताज दस्तक दे रहा है। ये वही वक्त है, जिसका इंतजार भारत दशकों से कर रहा था, दुनिया की सबसे ‘खतरनाक टेक्नोलॉजी’ अब भारत के दरवाजे पर दस्तक दे रही है। वैश्विक कूटनीति के शतरंज पर एक ऐसी चाल चली गई है, जिसने वॉशिंगटन से लेकर मॉस्को और बीजिंग तक हलचल मचा दी है। भारत के सुपरपावर बनने या फिर पश्चिमी ताकतों का सिर्फ ग्राहक बने रहने की इस कहानी की शुरुआत रूस की भारत को एक ऐसी पेशकश से होती है, जिसने अपनी ताकत की पूरी दुनिया में खलबली मचा दी है।
रूस ने भारत के सामने Su-57E स्टील्थ फाइटर जेट्स केलिए 100 प्रतिशत तकनीकी ट्रांसफर और उसके भारत में निर्माण का ऑफर भारत के सामने रख दिया है। रूस का भारत को यह वो प्रस्ताव है, जो अमेरिका ने भी आजतक अपने सबसे करीबी सहयोगियों तक को नहीं दिया। भारत के सामने रूस की ये पेशकश उस वक्त आई है, जब अमेरिका खुद भारत को अपने एडवांस्ड स्टील्थ फाइटर F-35A बेचने केलिए भारत को मनाने की जुगत में लगा है। फर्क सिर्फ इतना हैकि अमेरिका से F-35A खरीदने पर भारत सिर्फ एक ग्राहक ही रहेगा, जबकि रूस से Su-57E लेने पर भारत उसका निर्माता बन सकता है, भारत उसकी तकनीक का मालिक भी बनेगा। रूस का भारत के सामने प्रस्ताव सिर्फ फाइटर जेट बेचने तक सीमित नहीं है, उसने कहा हैकि भारत और रूस मिलकर Su-57E का निर्माण करेंगे, उसमें लगने वाली स्टील्थ तकनीक, इंजन, एवियोनिक्स और हथियार प्रणालियों का संयुक्त विकास करेंगे। रूस भारत को उस टेक्नोलॉजी की कुंजी सौंप देगा, जिसके पीछे दुनिया की कई ताकतें दशकों से लगी हुई हैं।
भारत में Su-57E निर्माण नासिक में हिंदुस्तान एरोनॉटिक लिमिटेड प्लांट में हो सकता है, जहां पहले से ही भारतीय वायुसेना के रीढ़ बने तेजस और Su-30MKI फाइटर जेट्स बन रहे हैं यानी भारत को ना नई फैक्ट्री बनानी है ना नई तैयारी करनी है बस प्लांट में नई मशीनें लगेंगी, नई टेक्नोलॉजी आएगी और भारत का अगला कदम सीधे 'फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट्स' की दुनिया में होगा। दुश्मन की रडार उसे पकड़ ही नहीं सकती और अगर पकड़ भी ले तो तबतक बहुत देर हो चुकी होगी। रक्षा विषयों के जानकार मानते हैंकि भारत केलिए इससे बड़ी कोई डील नहीं हो सकती, तकनीकी आत्मनिर्भरता का असली मतलब यही है। अब ज़रा अमेरिका पर नज़र डालते हैं-अमेरिका भारत को F-35A देना चाहता है, दुनियाभर में इस फाइटर जेट की धाक भी है, सेंसर फ्यूज़न, AI आधारित फायर कंट्रोल, नेटवर्क सेंट्रिक वॉरफेयर, यह हर चीज़ में यह बेमिसाल है, मगर दिक्कत ये हैकि अमेरिका किसीभी देश को अपनी तकनीक का मालिक नहीं बनाता है और ना ही भारत में उसके निर्माण की अनुमति देता है, ना टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करता है और ऊपर से उसकी कीमत करीब 80 मिलियन डॉलर प्रति यूनिट लेता है। यही नहीं अमेरिका को ऊपर से उसके लिए पूरी अलग लॉजिस्टिक सपोर्ट चाहिए, नई ट्रेनिंग चाहिए, नए इंफ्रास्ट्रक्चर की ज़रूरत यानी भारत सिर्फ ग्राहक रहेगा निर्माता नहीं।
लेकिन इस कहानी में असली ट्विस्ट तब आया, जब भारत की रडार प्रणाली ने पूरी दुनिया को चौंका दिया। त्रिवेंद्रम एयरस्पेस में अचानक ब्रिटिश रॉयल नेवी का एक F-35B स्टील्थ फाइटर आपात लैंडिंग केलिए उतरा। उसमें तकनीकी खराबी आई थी। असली ख़बर ये बनीकि जिसे अमेरिका और ब्रिटेन दुनिया का अदृश्य फाइटर जेट कहते हैं, उसे भारत की IACCS प्रणाली ने ना सिर्फ डिटेक्ट कर लिया, बल्कि ट्रैक भी किया। भारतीय वायुसेना ने फौरन सुखोई फाइटर जेट्स को निगरानी पर भेजा और अमेरिका के निर्मित ब्रिटिश विमान को घेर लिया। मतलब भारत स्टील्थ जहाज भले नहीं बनाता, लेकिन स्टील्थ फाइटर जेट पकड़ लेने की क्षमता भारत केपास है, जो दुनिया में किसी और देश के पास नहीं है। ये वही IACCS सिस्टम है, जिसने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के एयर इंट्रूज़न को नाकाम किया था। F-35B के डिजाइन में जहां हथियार इंटरनल बे में छिपे होते हैं, इंजन और टरबाइन को इस तरह मास्क किया जाता हैकि रडार उसे पकड़ नहीं सके वहीं भारत की एडवांस रडार तकनीक ने इस अदृश्य विमान की पोल खोल दी अब दुनिया की निगाहें भारत पर हैं। अमेरिका सकते में हैकि भारत अब उसके जाल में नहीं फंस रहा और रूस मुस्कुरा रहा है, क्योंकि उसने भारत के सामने वो ऑफर रख दिया है, जो उसे डिफेंस सुपरपावर बना सकता है। ये कोई मामूली रक्षा सौदा नहीं है, ये भारत के भविष्य की दिशा तय करने वाला मोड़ है, अगर भारत Su-57E का निर्माता बनता है तो सिर्फ लड़ाकू विमान नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को टेक्नोलॉजी बेचेगा।
रूस से मिलकर भारत अपनी खुदकी फिफ्थ जेनरेशन फ्लीट खड़ी कर सकता है और आने वाले दशक में अमेरिका की हथियार बाजार में बादशाहत को सीधी चुनौती दे सकता है। फैसला अब भारत के हाथ में हैकि क्या भारत भविष्य में सिर्फ सुपरपावर देशों का ग्राहक बनेगा या अब वो खुद डिफेंस टेक्नोलॉजी का निर्माता और निर्यातक बनेगा? रूस का Su-57 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट है, जिसे 2010 में पहली बार उड़ाया गया था। यह रूसी वायुसेना में 2020 में शामिल किया गया। इसकी गति मैक 2+ (लगभग 2470 किलोमीटर प्रति घंटा), सुपरक्रूज़ सक्षम रेंज 3,500 किलोमीटर (बिना अतिरिक्त टैंक), 4,500 किलोमीटर (टैंक के साथ) है। यह Su-57 अमेरिका के एफ-35ए से भी सस्ता पड़ेगा, जिसके लिए भारत तैयार माना जा रहा है, जिसकी अभीसे पाकिस्तान को चिंता सताने लगी है। फेसबुक पोस्ट से साभार।