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'रीइमेजिनिंग जम्मू कश्मीर: ए पिक्टोरियल जर्नी'

जड़ता से प्रगति तक कश्मीर के जीवंत अनुभवों से जुड़ने का अवसर

आईजीएनसीए में जम्मू कश्मीर के एलजी ने किया पुस्तक विमोचन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 17 June 2025 02:38:25 PM

'reimagining jammu and kashmir: a pictorial journey'

नई दिल्ली। जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र नई दिल्ली में ब्लूम्सबरी द्वारा प्रकाशित फ़ोटो जर्नलिस्ट आशीष शर्मा की पुस्तक ‘रीइमेजिनिंग जम्मू एंड कश्मीर: ए पिक्टोरियल जर्नी’ का विमोचन और फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस मौके पर केंद्रीय संस्कृति और विदेश राज्यमंत्री रहीं मीनाक्षी लेखी, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय, आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ सच्चिदानंद जोशी और आईजीएनसीए के कला निधि प्रभाग के निदेशक और प्रमुख प्रोफेसर रमेश सी गौर मौजूद थे। प्रदर्शनी 26 जून 2025 तक इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की दर्शनम गैलरी में लगी रहेगी। जम्मू कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जम्मू कश्मीर क्षेत्रके एकीकरण और परिवर्तन के निर्णायक क्षण के रूपमें दो ऐतिहासिक तिथियों-5 अगस्त 2019 और 6 जून 2025 का उल्लेख किया। पहली तिथि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने का प्रतीक है और दूसरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कन्याकुमारी से कश्मीर केलिए रेल को रवाना करके दशकों से चले आरहे ठहराव के अंत और संपर्क तथा विकास के एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है।
जम्मू कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने कहाकि इन दोनों तिथियों और इन्‍हें संभव बनाने वाले लोगों को राष्ट्र के इतिहास में याद किया जाएगा। पुस्तक रीइमेजिनिंग जम्मू एंड कश्मीर के नौवें अध्याय में शामिल कश्मीर को कन्याकुमारी से जोड़ने वाले चिनाब ब्रिज का जिक्र करते हुए मनोज सिन्हा ने जड़ता से प्रगति तक जम्मू कश्मीर की यात्रा पर प्रकाश डाला और कहाकि आम चुनावों से काफी पहले 2024 में लिखी गई 225 पृष्‍ठों की यह कॉफी टेबल पुस्‍तक जम्‍मू कश्‍मीर में आए परिवर्तन को तथ्यात्मक और विचारोत्तेजक ढंग से प्रलेखित करती है। मनोज सिन्‍हा ने कहाकि ‘रीइमेजिनिंग जम्मू एंड कश्मीर: ए पिक्टोरियल जर्नी’ पुस्‍तक दृश्यात्मक कल्पना से बदली हुई वास्तविकता को दर्शाती है। उन्‍होंने कहाकि आज कश्मीर के लोगों ने अपने स्‍थान और भावना को पुनः प्राप्त कर लिया है। उन्‍होंने कहाकि शांति खरीदी नहीं जा सकती, इसे स्थापित किया जाना चाहिए। उन्‍होंने सुरक्षा बलों को दिए गए निर्देश ‘निर्दोष को परेशान न करें, दोषियों को न बख्शें’ को भी याद किया। पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए हमले का जिक्र करते हुए उन्‍होंने कहाकि पहलीबार जम्मू कश्मीर के लोग इस तरह की क्रूरता के विरोध में खुलकर सामने आए हैं और उनकी इस सामूहिक इच्छा की अभिव्यक्ति को देश कभी नहीं भूलेगा।
फ़ोटो जर्नलिस्ट आशीष शर्मा की पुस्‍तक में अनुकरणीय फोटोग्राफिक का उल्‍लेख करते हुए एलजी मनोज सिन्हा ने कहाकि मैंने उनकी कड़ी मेहनत को महसूस किया है और यह पुस्तक प्राकृतिक दृश्यों के अलावा भूमि के उभरते लोकाचार एवं भावों को भी दर्शाती है। उन्होंने कहाकि 'रीइमेजिनिंग जम्मू एंड कश्मीर: ए पिक्टोरियल जर्नी' पुस्‍तक परिवर्तन का एक सम्मोहक चित्र प्रस्तुत करती है और जैसे-जैसे आमजन मजबूत होता जाएगा, वैसे-वैसे राज्य भी मजबूत होता जाएगा। आईजीएनसीए के अध्यक्ष रामबहादुर राय ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया और कहाकि पहलगाम की घटना केबाद पुस्तक का महत्व और भी बढ़ गया है। उन्होंने कहाकि यह केवल एक बड़ी फोटो बुक नहीं है, बल्कि इसमें हजारों अनकही कहानियां हैं, यह कश्मीर के बदलाव की एक ऐसी कहानी बताती है, जिसे दुनिया को सुनने की जरूरत है। उन्होंने कहाकि यह एक सुखद संयोग हैकि इस पुस्तक का विमोचन उन लोगों ने किया है, जिन्होंने कश्मीर के बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने सुझाव दियाकि पुस्तक को ई-बुक के रूपमें भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए और इसे छोटे संस्करण में प्रकाशित किया जाना चाहिए, ताकि यह लाखों लोगों तक पहुंच सके।
मीनाक्षी लेखी ने कहाकि हर भारतीय कश्मीर केसाथ मन और आत्मा का जुड़ाव रखता है, चाहे वह देश के किसीभी कोने में रहते हो। उन्होंने कहाकि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने केबाद से जम्मू कश्मीर में विकास के जो उल्लेखनीय बदलाव हुए हैं, उन्‍हें आशीष शर्मा ने पुस्तक में प्रभावी ढंग से उकेरा है। उन्होंने कहाकि मैंने कश्मीर को अच्‍छे और मुश्किल दोनों समय में बदलते देखा है, पुस्तक में विशेष रूपसे लाल चौक की छवि को उजागर किया गया है, जिसमें रात में महिलाएं वहां सेल्फी लेती दिखाई दे रही हैं। उन्होंने स्‍मरण करते हुए कहाकि यह वही लाल चौक है, जहां कभी राष्ट्रीय ध्वज फहराना डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी, मुरली मनोहर जोशी और यहां तककि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केलिए भी एक बड़ी चुनौती साबित हुआ था। डॉ सच्चिदानंद जोशी ने पुस्तक को भावनात्मक बताते हुए कहाकि यह कागज पर लिखी गई किताब नहीं है, बल्कि दिल पर लिखी गई है, जिसमें दर्द, खुशी, समृद्धि और उत्सव की स्याही है, यह एक फोटो संग्रह से कहीं अधिक है, यह भूमि के लोकाचार और विरासत को दर्शाता है, जिसमें न केवल प्राकृतिक सुंदरता, बल्कि मानवीय अनुभव की गहराई भी है। उन्होंने कहाकि पुस्तक कश्मीर की एक सदी पुरानी सांस्कृतिक यात्रा का दस्तावेजीकरण करती है। उन्होंने कहाकि आईजीएनसीए केलिए पुस्‍तक का विमोचन करना सौभाग्य की बात है।
डॉ सच्चिदानंद जोशी ने कहाकि पुस्‍तक में हर तस्वीर एक कहानी कहती है, जम्मू कश्मीर के नए आयामों को उजागर करती है और देश की व्यापक यात्रा को दर्शाती है। प्रोफेसर आरसी गौर ने कहाकि आईजीएनसीए बुक सर्किल के माध्यम से सांस्कृतिक रूपसे महत्वपूर्ण कार्यों का विमोचन किया जाता है, 'रीइमेजिनिंग जम्मू एंड कश्मीर: ए पिक्टोरियल जर्नी' पुस्‍तक विमोचन केलिए आईजीएनसीए को चुनने केलिए आशीष शर्मा का आभार व्‍यक्‍त किया। उन्होंने कश्मीर से निकटता से जुड़ी शारदा लिपि में श्रीमद्भगवद्गीता के शिलालेख में आईजीएनसीए के योगदान और कश्मीरी दार्शनिक अभिनवगुप्त की रचनाओं पर यूनेस्को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड कार्यक्रम में इसकी भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने क्षेत्र की गहरी आध्यात्मिक विरासत और इसके लोगों की स्थायी दार्शनिक परंपराओं का भी उल्‍लेख किया। 'रीइमेजिनिंग जम्मू एंड कश्मीर: ए पिक्टोरियल जर्नी' पुस्तक का उद्देश्य जम्मू कश्मीर के बदलते परिदृश्य, सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक सुंदरता और यहां के लोगों की आशाओं को चित्रित करना है। पुस्‍तक के लेखक आशीष शर्मा स्‍वयं कश्मीर के मूल निवासी हैं और उन्होंने दशकों के संघर्ष, भय और परिवर्तन को करीब से देखा है।
पुस्‍तक के लेखक आशीष शर्मा की प्रेरणा दुनिया को अपनी मातृभूमि की सच्ची छवि, इसकी शांति, प्रगति और जीवंतता को दर्शाना है। आशीष शर्मा ने पुस्‍तक में मौजूद तस्वीरों के माध्यम से दर्शाया हैकि जम्मू कश्मीर आज न केवल पुराने संघर्षों की भूमि है, बल्कि आशा, विकास, स्मार्ट शहरों, कला, हस्तशिल्प और आध्यात्मिकता का प्रतीक भी है। पुस्तक में क्षेत्रकी प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक विरासत और दूरदराज के गांवों, घाटियों और राजसी पहाड़ों के लुभावने दृश्य हैं। पुस्‍तक में श्रीनगर और जम्मू में स्मार्ट सिटी पहल, नए बुनियादी ढांचे, पुनर्जीवित सार्वजनिक स्थानों, कश्मीरियत की विकसित भावना, कृषि, शिल्प और प्रमुख आध्यात्मिक स्थलों की झलकियां हैं। पुस्तक में तस्वीरें जम्मू कश्मीर की सुंदरता को दिखाने से कहीं अधिक आशा, शांति और प्रगति की एक नई कहानी प्रस्‍तुत करती है। पुस्तक जम्मू कश्मीर की भावना और भविष्य का उत्सव है। गणमान्य महानुभावों ने मानाकि इस आयोजन के जरिए कला प्रेमियों, शोधकर्ताओं और आमजन को जम्मू कश्मीर के विविध पहलुओं और जीवंत अनुभवों से जुड़ने का अवसर मिला है।

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