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अब दूसरे देशों की मदद से पहले सोचें-उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली में जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट का दीक्षांत समारोह

'उद्योग जगत को अपने यहां शिक्षा और शोध में निवेश करना चाहिए'

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Saturday 17 May 2025 06:21:54 PM

vice president jagdeep dhankhar

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा हैकि समय आ गया है, जब हममें से प्रत्येक को आर्थिक राष्ट्रवाद के बारेमें गहराई से सोचना चाहिए। उन्होंने सवाल किया हैकि क्या हम उन देशों को सशक्त बनाने का जोखिम उठा सकते हैं, जो हमारे हितों के प्रतिकूल चलते हैं? कदाचित उनका इशारा तुर्किए और अज़रबैजान जैसे देशों की ओर था, जिनके साथ हमारे आर्थिक संबंध हैं, हम उन्हें आर्थिक रूपसे सशक्त बनाने का कामकर रहे हैं और वे हैं, जो पूरी तरह हमारे ही दुश्मनों केसाथ खड़े हैं। उपराष्ट्रपति ने कहाकि अब हम अपनी भागीदारी से उन देशों की अर्थव्यवस्थाओं में सुधार केलिए यात्रा या आयात के जोखिम नहीं उठा सकते हैं, क्योंकि वो संकट के समय हमारे देश के विरुद्ध खड़े होते हैं। जगदीप धनखड़ ने फिर कहाकि हम राष्ट्र विरोधी बयानों को कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं या अनदेखाकर सकते हैं? उन्होंने कहाकि विदेशी विश्वविद्यालयों का हमारे देश में आना एक ऐसी चिंता है, जिसमें पूर्ण सावधानी बरतने और इसपर गहन चिंतन की आवश्यकता है, हमें इससे बेहद सावधान रहना होगा।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भारत मंडपम नई दिल्ली में जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहाकि प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र की सुरक्षा में सहायता करने का अधिकार है, व्यापार, व्यवसाय, वाणिज्य और उद्योग, विशेष रूपसे सुरक्षा मामलों में हमें हमेशा राष्ट्र सर्वप्रथम को ध्यान में रखना चाहिए। जगदीप धनखड़ ने कहाकि हर चिंता को गहरी और अटूट प्रतिबद्धता, राष्ट्रवाद केप्रति समर्पण के आधार पर माना जाना चाहिए और यह मानसिकता हमें अपने बच्चों को पहले दिन से ही सिखानी चाहिए। उपराष्ट्रपति ने ऑपरेशन सिंदूर को पहलगाम में हुए बर्बर हमले का करारा जवाब बताते हुए कहाकि यह एक उल्लेखनीय प्रतिशोध था, यह पहलगाम में हुई बर्बरता केलिए शांति और शांति के हमारे लोकाचार के अनुरूप था, यह 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद हमारे नागरिकों पर सबसे घातक हमला था। उन्होंने कहाकि हमने यह पूर्व में भी देखा हैकि कैसे पाकिस्तान आतंकवाद में गहराई से लिप्त है।
उपराष्ट्रपति ने भारत के सशस्त्रबलों की प्रशंसा की और कहाकि जब सशस्त्र सैनाएं काल बनती हैं और राजनीतिक शक्ति उनके साथ होती है तो देश कितनी अच्छी तरह से सिंदूर केसाथ न्याय करता है। जगदीप धनखड़ ने कहाकि भारत के आतंकवाद विरोधी प्रयासों में युद्ध के तरीकों और आतंकवाद के विरूद्ध लड़ाई में एक नया मानक स्थापित हुआ है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान की सीमा के अंदर बहावलपुर में जैश ए मोहम्मद का मुख्यालय, लश्कर ए तैयबा का अड्डा, मुरीदके को निशाना बनाया, जिसे विश्व ने भी देखा और स्वीकार किया है। उन्होंने कहाकि यह भारत की सीमापार की गई सटीक स्ट्राइक है, जिसमें आतंकवादियों को छोड़कर किसी और को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। उपराष्ट्रपति ने कहाकि 2 मई 2011 याद की जाए, जब अमेरिका ने एक वैश्विक आतंकवादी हमलावर को खत्म करने की कार्रवाई को अंजाम दिया, भारत ने भी ऐसा ही किया है और वैश्विक समुदाय की जानकारी में लाकर ऐसा किया है।
उपराष्ट्रपति ने शिक्षा और शोध के व्यावसायीकरण के विरुद्ध सावधान किया। उन्होंने कहाकि यह देश शिक्षा के व्यावसायीकरण और वस्तुकरण को बर्दाश्त नहीं कर सकता, यह निर्विवाद है, यह मौजूद है, हमारी सभ्यता के अनुसार शिक्षा और स्वास्थ्य धनार्जन केलिए नहीं हैं, ये समाज को वापस देने केलिए है, हमें समाज केप्रति अपने दायित्व का निर्वहन करना होगा। उन्होंने उद्योग जगत का आह्वान कियाकि कॉर्पोरेट जगत को शैक्षणिक संस्थानों को वितीय सहायता उपलब्ध करानी चाहिए, सीएसआर कोष को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, क्योंकि शोध में निवेश बहुत जरूरी है। जगदीप धनखड़ ने कहाकि वे दिन चले गए, जब हम दूसरों के द्वारा प्रौद्योगिकी विकसित करने की प्रतीक्षा करते थे, अगर हम ऐसा करते हैं तो हम शुरू सेही निर्भर हो जाते हैं, हमें इससे बचना चाहिए। इस अवसर पर जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष शरद जयपुरिया, जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष की पत्नी अंजलि जयपुरिया, जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के उपाध्यक्ष श्रीवत्स जयपुरिया, छात्र-छात्राएं, शिक्षक और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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