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समाज का प्रबोधन साहित्यकार का धर्म!

वृंदावन में 'आत्मबोध से विश्व बोध तक' संगोष्ठी का आयोजन

साहित्यकारों ने भावामृत को विश्व तक पहुंचाया-अनंतवीर्य महाराज

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 5 May 2025 06:03:07 PM

seminar organized in vrindavan

मथुरा वृंदावन। अखिल भारतीय साहित्य परिषद उत्तर प्रदेश ने इस रविवार को गीता शोध संस्थान वृंदावन में ‘आत्मबोध से विश्व बोध तक’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया और समारोहपूर्वक अलग-अलग भाषा बोलियों के साहित्यकारों को साहित्य गौरव सम्मान भी प्रदान किए। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि अक्षयपात्र के अनंत वीर्य महाराज ने कहाकि मथुरा वृंदावन दिव्य भूमि है, यहां भक्ति रस की पवित्र धारा बहती है, बृजभूमि के साहित्यकार साधुवाद के पात्र हैं। उन्होंने कहाकि ग्रंथ को पढ़कर उसका भाव अपने जीवन में उतारें, तभी उसका प्रभाव परिलक्षित होगा। उन्होंने कहाकि वैष्णव किसी केप्रति द्वेषभाव नहीं रखते, वह ना तो किसी की निंदा करते हैं और ना ही निंदा सुनते हैं। अनंत वीर्य ने कहाकि भारत भ्रमण के दौरान चैतन्य महाप्रभु जब ब्रज आए तो उसके बाद उनके 6 शिष्यों ने ब्रज के सभी ग्रंथ का आधार सार लेकर अनेक ग्रंथ का लेखन किया और उन्हीं साहित्यकारों ने कृष्ण भावनामृत को वैश्विक बनाया है।
साहित्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील चंद्र त्रिवेदी ने कहाकि पहले स्वयं बोध होगा, तभी विश्व बोध होगा। उन्होंने कहाकि अखिल भारतीय साहित्य परिषद में पारिवारिक वातावरण बना रहना चाहिए और हम अपनी आत्मीयता की ओर बढ़ते जाएं। अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर ने कहाकि जो संवेदनाओं को कागज पर उतार दे वही साहित्यकार है और साहित्यकार को जबतक आत्मबोध नहीं होगा, तबतक वह विश्व का चिंतन नहीं कर सकता। उन्होंने कहाकि साहित्यकार जो कुछ आंखों से देखता है, वह उसके साथ अंतरंगता से जुड़ता है, यह दूसरे के सुख में सुखी और दुख में दुखी मनुष्य की प्रवृत्ति है। साहित्य परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री मनोज कुमार ने कहाकि समाज का प्रबोधन साहित्यकार का धर्म है। भारत में जितने विवाद हैं, उनका कारण पश्चिमी दृष्टि है, पिछले कुछ वर्षों में हमारी सोच पश्चिमी बन गई है, हमें भारतीय दर्शन की अनुभूति ही नहीं है।
मनोज कुमार ने कहाकि भारत का संपूर्ण मानवता के कल्याण का जो विचार है, उसका बोध आज स्वयं को नहीं है, उस बोध को समाज तक साहित्यकार अच्छी तरह से पहुंचा सकते हैं। साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डॉक्टर पवन पुत्र बादल ने संगोष्ठी में साहित्य परिषद के आगामी तीन कार्यक्रमों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिन साहित्यकारों ने अलग-अलग बोलियों पर काम किया है उनका सम्मान, आत्मबोध से विश्व बोध पर व्याख्यान और संघ शताब्दी वर्ष पर संघ साहित्य चर्चा आयोजित की जाएगी। 

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