स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 5 December 2024 03:55:33 PM
पुरी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भारतीय नौसेना दिवस पर पुरी तट पर आयोजित भव्य नौसेना दिवस समारोह में भाग लिया और भारतीय नौसेना के ऑपरेशनल प्रदर्शन देखे और सराहे। राष्ट्रपति ने कहाकि ऑपरेशनल प्रदर्शन में प्रदर्शित उन्नत प्रौद्योगिकी, सामरिक कौशल और विशुद्ध साहस का सहज एकीकरण हमारी नौसेना के युद्ध केलिए तैयार, भविष्य केलिए तैयार और विश्वसनीय बल के रूपमें विकास को सही ढंग से प्रदर्शित करता है। राष्ट्रपति ने नौसैनिकों को शुभकामनाएं दीं और कहाकि 4 दिसंबर को हम भारतीय नौसेना की 1971 के युद्ध में शानदार जीत का जश्न मनाते हैं और मातृभूमि की रक्षा में नौसैनिकों की नि:स्वार्थ सेवा एवं सर्वोच्च बलिदान को याद करते हैं। उन्होंने कहाकि देश नौसैनिकों का आभारी है और प्रत्येक भारतीय सम्मान एवं साहस केसाथ राष्ट्र की अनुकरणीय सेवाओं केलिए उन्हें सलाम करता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि यह प्रत्येक भारतीय केलिए गर्व की बात हैकि आज हम दुनिया के उन छह देशों में से एक हैं, जिनके पास बैलिस्टिक मिसाइल परमाणु पनडुब्बी और विमानवाहक पोत दोनों को डिजाइन करने, निर्माण करने और संचालित करने की क्षमता है। उन्होंने विश्वास जतायाकि भारतीय नौसेना 2047 तक एक विकसित भारत के निर्माण केलिए ज़रूरी, समुद्री सुरक्षा को सुनिश्चित करना जारी रखेगी। राष्ट्रपति ने 'नारी शक्ति' को उचित विकास के अवसर प्रदान करने में नौसेना के अग्रणी प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने कहाकि नौसेना महिला अग्निवीरों को शामिल करनेवाली पहली सेवा थी एवं 'नाविका सागर परिक्रमा II' के हिस्से के रूपमें आईएनएसवी तारिणी में विश्व की परिक्रमा करने वाली दो महिला नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा इस नए बदलाव का सबसे अच्छा उदाहरण हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि भारत की भौगोलिक स्थिति ने हमें एक महान समुद्री राष्ट्र बनने के ज़रूरी सभी तत्व प्रदान किए हैं, लंबी तटरेखा, द्वीप क्षेत्र, समुद्री यात्रा करने वाली आबादी एवं विकसित समुद्री बुनियादी ढांचे ने 5000 साल सेभी अधिक पहले से तटों और महासागरों केपार भारत की समुद्री नौसैनिक शक्ति को बढ़ाया है। राष्ट्रपति ने कहाकि गौरवशाली समुद्री विरासत, पीछे मुड़कर देखने लायक इतिहास और उम्मीदों से भरे भविष्य केसाथ भारत हमेशा से एक मजबूत समुद्री राष्ट्र रहा है-हमारा भाग्य, गौरव और पहचान समुद्रों से ही परिभाषित है। द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि भारत में 63 जहाजों के निर्माण केसाथ 2047 तक आत्मनिर्भर बनने केलिए नौसेना का एकमात्र लक्ष्य हम सभीको 'मिशन मोड' में नवाचार को आगे बढ़ाने की प्रेरणा देता है।