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Tuesday 1 October 2024 01:11:45 PM
नई दिल्ली। भारतीय सेना ने खेल पारिस्थितिकी तंत्र में भारतीय सशस्त्र बलों की भूमिका को रेखांकित करते हुए सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज केसाथ मिलकर मानेकशॉ सेंटर नई दिल्ली में बहुप्रतीक्षित ‘सेना खेल कॉन्क्लेव’ का आयोजन किया है, जिसका उद्देश्य भारतीय सेना की खेल प्रतिभाओं को एक मंच पर लाना है। भारत मिशन-2036 ओलंपिक की मेजबानी करने की ओर अग्रसर है, ऐसेमें सेना खेल कॉन्क्लेव इस राष्ट्रीय मिशन से जुड़े प्रयासों को व्यवस्थित करने और इसमें योगदान देने की एक महत्वपूर्ण पहल है। भारत की खेलों से जुड़ी वैश्विक महत्वाकांक्षाओं को संवर्धित करने केलिए सेना खेल कॉन्क्लेव में विभिन्न राष्ट्रीय हितधारकों केसाथ सहयोग को बढ़ावा देने पर जोर देतेहुए भारतीय ओलंपिक संघ, भारतीय खेल प्राधिकरण और राष्ट्रीय खेल महासंघों केसाथ सहयोगपूर्ण रणनीति तैयार करने पर जोर दिया गया है।
भारत की खेलों में उपलब्धियां विशेष रूपसे एशियाई खेलों और ओलंपिक जैसी प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में भारतीय सशस्त्र बलों के योगदान की भी दीर्घ और विशिष्ट परंपरा है। राष्ट्रीय गौरव, फिटनेस और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को बढ़ावा देने में खेलों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए सशस्त्र बलों ने अपने खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने में निरंतर योगदान दिया है। इसीके अंतर्गत 2001 में भारतीय सेना के मिशन ओलंपिक प्रकोष्ठ की स्थापना की गई थी, जिसके तहत कुल 9000 खिलाड़ी 28 विभिन्न खेल नोड्स पर प्रशिक्षण ले रहे हैं। एसएआई के सहयोग से 09 से 16 वर्ष उम्र की प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देने केलिए भारतभर में लड़कों की कुल 18 खेल कंपनियां और लड़कियों की दो खेल कंपनियां हैं। पैरालंपिक खेलों केलिए दिव्यांग सैनिकों को प्रेरित और प्रशिक्षित करने केलिए एक पैरालंपिक नोड की स्थापना की गई है। विशिष्ट, व्यापक प्रशिक्षण व्यवस्था और बुनियादी ढांचे की स्थापना के जरिए भारतीय सेना ने ऐसे अनेक एथलीटों और खिलाड़ियों के करियर में सहायता प्रदान की है, जिन्होंने वैश्विक मंचों पर अपार सम्मान प्राप्त किया है।
सेना खेल कॉन्क्लेव में थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी, केंद्रीय खेल मंत्री डॉ मनसुख मांडविया, राजस्थान सरकार में उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री तथा युवा कार्यमंत्री (सेवानिवृत्त) कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर भी उपस्थित थे। राज्यवर्धन सिंह राठौर ने खेलों को बढ़ावा देने केलिए विशेषकर ‘खेलो इंडिया’ कार्यक्रम के जरिए केंद्र सरकार के कदमों पर प्रकाश डाला। उन्होंने खेलों केलिए उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना का पक्ष लेते हुए 2036 तक भारत केलिए अधिकतम ओलंपिक पदक हासिल करने के विजन को रेखांकित किया। उन्होंने खेल संस्कृति को बढ़ावा देनेमें भारतीय सेना के योगदान को स्वीकार किया और कहाकि भारतीय सेना देशमें शीर्ष पदक जीतने वाली संस्थाओं में से एकके रूपमें उभरी है। डॉ मनसुख मांडविया ने भारत के खेल संबंधी इकोसिस्टम में भारतीय सेना के अपरिहार्य योगदान की प्रशंसा की। उन्होंने देशभर में खेलों को बढ़ावा देने केलिए साझा मल्टीएजेंसी की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने ओलंपिक में सफलता केलिए एक व्यापक रोडमैप तैयार करने की चर्चा की, जिसमें जमीनी स्तरसे लेकर शीर्षस्तर तककी प्रतिभाओं के विकास केलिए अल्पकालिक पंचवर्षीय योजनाएं और दीर्घकालिक 25 वर्षीय रणनीतियां शामिल हों।
सेना खेल कॉन्क्लेव में अंजू बॉबी जॉर्ज, मैरी कॉम और तरुणदीप राय जैसी प्रसिद्ध हस्तियां, पूर्व एथलीटों और ओलंपियनों ने महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। सभी ने खेलों के शीर्षतम स्तरपर उत्कृष्टता प्राप्त करने के संबंध में अपने अनुभव और दृष्टिकोण साझा किए। कॉन्क्लेव में खेल शिक्षा, राष्ट्रीय स्तरपर संसाधनों को साझा करने और खेल संबंधी इकोसिस्टम में सर्वोत्तम प्रथाओं की आवश्यकता को रेखांकित किया गया। कॉन्क्लेव में जमीनी स्तरपर खेल विज्ञान के एकीकरण, सेवानिवृत्त एथलीटों की प्रतिभा का उपयोग करने और 2036 के ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करने के इच्छुक एथलीटों की शारीरिक और मानसिक दोनों तरहकी तैयारी को एकीकृत करते हुए भारतीय खेलों के संबंध में एक बहुआयामी दृष्टिकोण पर विचार-विमर्श किया गया। कॉन्क्लेव में ओलंपिक में उत्कृष्ट प्रदर्शन केलिए तकनीकी मानकों को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देकर भारत की खेल क्षमता का उपयोग करने की रणनीतियों के बारेमें गहन चर्चा कीगई। युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय, भारतीय सेना, भारतीय खेल प्राधिकरण, भारतीय खेल महासंघ और अन्य प्रमुख हितधारकों के सहयोग से किएगए इस संयुक्त प्रयास ने बहुमूल्य जानकारी प्रदान की, जिससे ओलंपिक की तैयारी केलिए एक व्यापक रोडमैप तैयार करने का मार्ग प्रशस्त हुआ। इन सामूहिक चर्चाओं ने वैश्विक मंच पर भारत की खेलों में सफलता सुनिश्चित करने केलिए कार्रवाई योग्य पहलों की नींव रखी।