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देश में नया सिनेमैटोग्राफ अधिनियम लागू

भारत में दुनिया का कंटेंट हब बनने की क्षमता है-प्रधानमंत्री

भारतीय फिल्म उद्योग का ऐतिहासिक सशक्तिकरण-ठाकुर

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 16 March 2024 01:04:14 PM

new cinematograph act implemented in the country (file photo)

नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) अधिनियम-2023 के अनुसरण में सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) नियम-1983 के स्थान पर सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) नियम-2024 को अधिसूचित किया है, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक प्रदर्शन केलिए फिल्मों के प्रमाणन की पूरी प्रक्रिया को सुधारना और उसे सामयिक बनाना है। गौरतलब हैकि भारतीय फिल्म उद्योग दुनिया के सबसे बड़े और सबसे अधिक वैश्वीकृत उद्योगों में से एक है, जो हर साल 40 से अधिक भाषाओं में 3000 से अधिक फिल्मों का निर्माण करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा हैकि भारत वास्तव में समृद्ध विरासत और सांस्कृतिक विविधता केसाथ दुनिया का कंटेंट हब बनने की अपार क्षमता रखता है, जो भारत की ताकत है। सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने प्रधानमंत्री की परिकल्पना को आगे बढ़ाते हुए भारतीय सिनेमा को भारत की सॉफ्ट पावर, भारतीय संस्कृति, समाज और मूल्यों को विश्वस्तर पर बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता माना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना हैकि पारदर्शिता, व्यापार सुगमता और निजता के उल्लंघन के खतरे से सुरक्षा केसाथ भारतीय फिल्म उद्योग का ऐतिहासिक सशक्तिकरण भारत में सामग्री निर्माण इकोसिस्टम के विकास में काफी मदद करेगा एवं यह फिल्म क्षेत्र के सभी कलाकारों और कारीगरों के हितों की रक्षा करने में भी सहायक होगा, इसी दृष्टि से सिनेमैटोग्राफ अधिनियम का ऐतिहासिक संशोधन 40 वर्ष केबाद 2023 में लाया गया था और अब इसे दुरुस्त किए गए सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) नियम-2024 केसाथ पूरी तरह से सशक्त बनाया गया है। उन्होंने कहाकि सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) नियम-2024 फिल्म क्षेत्र में उभरती प्रौद्योगिकियों और प्रगति के साथ तालमेल रखते हुए डिजिटल युग केलिए फिल्म प्रमाणन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और आधुनिक बनाएगा। उन्होंने बताया कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय और सीबीएफसी ने फिल्म निर्माताओं, सिनेमा मालिकों, दिव्यांगों के अधिकार संबंधीसंगठनों, गैर सरकारी संगठनों, फिल्म उद्योग निकायों, आम जनता और हितधारकों केसाथ व्यापक परामर्श किया है, ताकि व्यापक तथा समावेशी दृष्टिकोण सुनिश्चित किया जा सके, यह लक्ष्य सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास में दृष्टिगोचर होता है।
सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) नियम-2024 में शामिल सुधारों के प्रमुख विशेषताएं हैं-ऑनलाइन प्रमाणन प्रक्रियाओं को अपनाने केसाथ इसे पूरी तरह से संरेखित करने केलिए नियमों में व्यापक संशोधन किया गया है, जो फिल्म उद्योग केलिए बढ़ी हुई पारदर्शिता, दक्षता और व्यापार सुगमता सुनिश्चित करेगा। फिल्म प्रमाणन की प्रक्रिया केलिए समयसीमा में कमी और काम करने के समय में लगने वाले विलम्ब को खत्म करने केलिए पूर्ण डिजिटल प्रक्रियाओं को अपनाना। समय-समय पर इस संबंध में जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार फिल्मों/ फीचर फिल्मों में प्रमाणन केलिए पहुंच संबंधी विशेषताएं होनी चाहिएं, ताकि इसमें दिव्यांगजनों को भी शामिल किया जा सके। आयु आधारित प्रमाणीकरण के तहत मौजूदा यूए श्रेणी को तीन आयु आधारित श्रेणियों में उप विभाजित करके प्रमाणन की आयु आधारित श्रेणियों को शुरू किया जा रहा है यानी बारह वर्ष के बजाय सात वर्ष (यूए 7+), तेरह वर्ष (यूए 13+) और सोलह वर्ष (यूए 16+)। ये आयु आधारित मार्कर केवल अनुशंसात्मक होंगे, जो माता-पिता या अभिभावकों केलिए इस बात पर विचार करने केलिए होंगेकि क्या उनके बच्चों को ऐसी फिल्म देखनी चाहिए। यह सुनिश्चित करने केलिए कि युवा दर्शकों को आयु उपयुक्त सामग्री उपलब्ध हो, यूए मार्करों केसाथ आयु आधारित प्रमाणन प्रणाली लागू की जाएगी। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और उपभोक्ता की पसंद के सिद्धांतों केसाथ बच्चों जैसे संवेदनशील दर्शकों की सुरक्षा की आवश्यकता को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
सीबीएफसी बोर्ड और सीबीएफसी के सलाहकार पैनलों में महिलाओं का अधिक प्रतिनिधित्व, यह निर्धारित करता हैकि बोर्ड में एक तिहाई सदस्य महिलाएं होंगी और अधिमानतः आधी महिलाएं होंगी। पारदर्शिता बढ़ाने और सभी विवेकाधिकारों को दूर करने केलिए फिल्मों की प्राथमिकता स्क्रीनिंग की प्रणाली। पूर्व प्रतिबद्धताओं के कारण कभी-कभी फिल्म निर्माताओं को महसूस होता हैकि उनकी फिल्म जल्द रिलीज करदी जाए। इसीको मद्देनज़र रखते हुए व्यापार सुगमता के तहत प्रमाणन केलिए फिल्म की स्क्रीनिंग में तेजी लाने के वास्ते प्राथमिकता स्क्रीनिंग का प्रावधान किया जा रहा है। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के प्रमाणपत्रों की स्थायी वैधता केलिए केवल 10 वर्ष केलिए प्रमाणपत्र की वैधता पर प्रतिबंध को हटाना। टेलीविज़न प्रसारण केलिए संपादित फ़िल्म का पुन: प्रमाणीकरण, क्योंकि केवल अप्रतिबंधित सार्वजनिक प्रदर्शनी श्रेणी की फ़िल्में ही टेलीविज़न पर दिखाई जा सकती हैं। सिद्धांत नियमों को पहलीबार भारत सरकार ने 1983 में अधिसूचित किया था और समय-समय पर इनमें संशोधन किया गया है। बहरहाल पिछले 40 वर्ष से फिल्म प्रौद्योगिकी, दर्शकों की जनसांख्यिकी, सामग्री वितरण विधियों में महत्वपूर्ण प्रगति को देखते हुए भारतीय फिल्म उद्योग की लगातार बढ़ती जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करने केलिए आमूल परिवर्तनों केसाथ नियमों का नया सेट पेश किया जा रहा है। सरकार ने फिल्म प्रमाणन से संबंधित मुद्दों को व्यापक रूपसे संबोधित करने केलिए लगभग 40 वर्ष की अवधि केबाद पिछले साल सिनेमैटोग्राफ अधिनियम 1952 में संशोधन किया था। नए सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) नियम 2024 को अधिसूचित करना प्रमाणन प्रक्रिया को सरल, अधिक समसामयिक और सर्वोत्तम वैश्विक व्यवहारों के अनुरूप बनाना है। ये सभी नियम भारतीय सिनेमा की निरंतर वृद्धि और सफलता का समर्थन करते हुए अधिक कुशल, पारदर्शी और समावेशी फिल्म प्रमाणन प्रक्रिया को बढ़ावा देंगे।

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