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संस्कृत भाषा ज्ञान विज्ञान रत्नाकर है-राष्ट्रपति

श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विवि का पहला दीक्षांत

समारोह में स्नातक छात्रों को पदक व डिग्रियां प्रदान की गईं

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Tuesday 5 December 2023 04:45:28 PM

first convocation of shri lbsn sanskrit university

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज नई दिल्ली में श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा हैकि संस्कृत हमारी संस्कृति की पहचान और वाहक है, यह हमारे देश की प्रगति का आधार भी है। उन्होंने कहाकि संस्कृत का व्याकरण संस्कृत भाषा को अद्वितीय वैज्ञानिक आधार देता है, यह मानवीय प्रतिभा की अनूठी उपलब्धि है और हमें इसपर गर्व होना चाहिए। उन्होंने कहाकि संस्कृत भाषा को कल्प, शिक्षा, छंद, निरुक्त, व्याकरण, ज्योतिष जैसे वेदांगों तथा प्रचुर ज्ञानराशि से समृद्ध अन्य विषयों का महासागर कहा जाता है, संस्कृत भाषा ज्ञान विज्ञान रत्नाकर है। उन्होंने कहाकि इसमें जितना विस्तीर्ण और गहन अवगाहन किया जाएगा, उतने ही अमूल्य रत्न प्राप्त होंगे।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि यहां विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को संस्कृत में उपलब्ध शास्त्रों का अध्ययन करने का सौभाग्य प्राप्त है, इसके लिए मैं उनको बधाई देती हूं। राष्ट्रपति ने कहाकि संस्कृत पर आधारित शिक्षा व्यवस्था में गुरु अथवा आचार्य का सर्वाधिक महत्व रहा है, हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी अध्यापकों के केंद्रीय महत्व को रेखांकित करती है। उन्होंने कहाकि मैं आशा करती हूंकि हमारी परंपरा के अनुरूप दीक्षांत समारोह पर विद्यार्थी अपने अध्यापकों केप्रति ऋणी भाव और कृतज्ञता की भावना से आगे बढ़ने का संकल्प लेंगे तथा अध्यापक माता-पिता अभिभावक की तरह विद्यार्थियों के आजीवन कल्याण हेतु आशीर्वाद एवं प्रेरणा व्यक्त करेंगे और उसे बनाए रखेंगे। उन्होंने कहाकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विजन का यह सार तत्व हैकि हमारे युवा विद्यार्थी भारतीय परम्पराओं में निष्ठा रखते हुए 21वीं सदी के विश्व में अपना समुचित स्थान बनाएं।
राष्ट्रपति ने कहाकि हमारे यहां सदाचार, धर्माचरण, परोपकार तथा सर्वमंगल जैसे जीवनमूल्यों पर आधारित प्रगति में ही शिक्षा की सार्थकता मानी गई है। राष्ट्रपति ने कहाकि संस्कृत साहित्य से परिचित होने के कारण आपसब यह जानते हैंकि हमारे महानतम कवियों में अपना परिचय छिपाने की आदत थी, इस विश्वविद्यालय में ज्योतिष का अध्ययन अध्यापन भी किया जाता है, ज्योतिष के अध्येता यह जानते हैंकि सूर्य सिद्धांत जैसे श्रेष्ठ ग्रंथ के लेखक का नाम आजतक अज्ञात है, ऐसी अहंकारविहीन उदात्त जीवनदृष्टि ने ही वाल्मीकि, व्यास, कालिदास, भवभूति, बाणभट्ट और जयदेव जैसे कालजयी महाकवि प्रदान किए हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि महान दार्शनिक महर्षि ऑरोबिंदो के विचारों का उनपर बहुत प्रभाव पड़ा है, महर्षि ऑरोबिंदो ने देशप्रेम के अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किए, संस्कृत में उन्होंने भवानी भारती नामक राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत काव्य लिखा था, वे कहते थेकि संस्कृत हमारे महान अतीत को जानने के साथ-साथ भारत के भविष्य निर्माण की भाषा भी है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि बुद्धिमान लोग सर्वोत्तम चीजों को स्वीकार करने केलिए अपनी बुद्धि का उपयोग करते हैं, नासमझ लोग दूसरों की सलाह पर कोई चीज़ अपना लेते हैं या अस्वीकार कर देते हैं। राष्ट्रपति ने छात्रों को यह ध्यान रखने की सलाह दीकि हमारी परंपराओं में जो कुछभी वैज्ञानिक और उपयोगी है, उसे स्वीकार करना होगा और जो कुछभी रूढ़िबद्ध, अन्यायपूर्ण और बेकार है, उसे अस्वीकार करना होगा, विवेक को सदैव जागृत रखना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहाकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की परिकल्पना हैकि हमारे युवा भारतीय परंपराओं में विश्वास रखते हुए 21वीं सदी की दुनिया में अपना उचित स्थान बनाएं। उन्होंने कहाकि इस दुनिया में उन लोगों केलिए कुछभी हासिल करना मुश्किल नहीं है, जो हमेशा दूसरों के कल्याण में लगे रहते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि सर्वसमावेशी प्रगति किसीभी संवेदनशील समाज की पहचान होती है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि जिस तरह आज विश्व में कई विश्वविद्यालय कस्बे स्थापित हैं, वैसेही विद्या केंद्र प्राचीन भारत में काशी, तक्षशिला और कांची जैसे स्थानों पर विद्यमान थे, लगभग एकही कालखंड के दौरान तक्षशिला में पाणिनि ने व्याकरण का निर्माण किया, कौटिल्य ने अर्थशास्त्र एवं नीतिशास्त्र के जरिए राज्य और समाज व्यवस्था से जुड़े कालजयी ग्रंथ लिखे तथा चरक ने औषधि विज्ञान की आधारभूत संहिता रची थी। राष्ट्रपति ने कहाकि वेद-वेदांग का अध्ययन अध्यापन करने वाले इस संस्थान में गार्गी, मैत्रेयी, अपाला, रोमशा, लोपामुद्रा और मंडन मिश्र की भार्या उभय भारती जैसी विदुषी महिलाओं के विषय में विशेष जानकारी और सम्मान है, इसलिए मैं चाहूंगीकि इस विश्वविद्यालय में छात्राओं को और अधिक प्रोत्साहन मिले तथा उन्हें अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के पर्याप्त अवसर मिलें। राष्ट्रपति ने दीक्षांत समारोह में स्नातक विद्यार्थियों को मेडल और डिग्रियां भी प्रदान कीं। समारोह में केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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