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जी20 में भारत: लोकतंत्र की जननी प्रदर्शनी

'भारत का लोकतंत्र वास्तव में सामूहिक शक्ति का उत्सव है'

संस्कृति मंत्रालय ने किया लोकतांत्रिक इतिहास का प्रदर्शन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 12 September 2023 01:21:14 PM

'india: mother of democracy' exhibition in g-20

नई दिल्ली। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने 8 से 10 सितंबर के दौरान जी-20 शिखर सम्मेलन केलिए आईटीपीओ के हॉल नंबर 14 फोयर एरिया में 'भारत: लोकतंत्र की जननी' विषय पर प्रदर्शनी लगाई, जो हमारे देश की लोकतांत्रिक परंपराओं को प्रदर्शित करती है। प्रदर्शनी के केंद्र में सिंधु-सरस्वती संस्कृति की एक लड़की की मूर्ति है, जो आत्मविश्वास से खड़ी है और दुनिया को देख रही है, वह स्वतंत्र, मुक्त, आश्वस्त, आत्मविश्वास से परिपूर्ण है और दुनिया को आंखों से आंखें मिलाकर देख रही है। वह अपने शरीर पर आभूषण पहनती है, जो पश्चिमी भारत की महिलाओं के प्रतिदिन पहने जाने वाले आभूषणों से काफी मिलते-जुलते हैं। कलाकृति की वास्तविक ऊंचाई 10.5 सेंटीमीटर है, लेकिन प्रतिकृति 5 फीट ऊंचाई और 120 किलोग्राम वजन केसाथ कांस्य में बनाई गई थी।
भारत: लोकतंत्र की जननी प्रदर्शनी में भारत के लोकतांत्रिक इतिहास को विभिन्न भाषाओं में 26 इंटरैक्टिव पैनलों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है, जहां आगंतुक 16 विभिन्न भाषाओं में सामग्री पढ़ सकते हैं और ऑडियो से सुन सकते हैं। पैनल में स्थानीय स्वशासन, आधुनिक भारत में चुनाव, कृष्णदेव राय, जैन धर्म सहित अन्य चीजें शामिल हैं। प्रदर्शनी को जी-20 एप्लिकेशन पर भी डिजिटल रूपसे एक्सेस किया जा सकता है। गौरतलब हैकि भारत में लोकतंत्र सदियों पुरानी अवधारणा है, भारतीय लोकाचार के अनुसार लोकतंत्र में समाज में स्वतंत्रता, स्वीकार्यता, समानता और समावेशिता के मूल्य शामिल होते हैं और यह अपने आम नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण और सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर देता है।
प्रदर्शनी में पवित्र ग्रंथ ऋग्वेद और अथर्ववेद की पंक्तियों में सभा, समिति और संसद जैसी सहभागी संस्थाओं का उल्लेख किया गया है। अंतिम शब्द संसद हमारे देश की संसद को दर्शाते हुए प्रचलित है। महान महाकाव्य रामायण और महाभारत भी निर्णय प्रक्रिया में लोगों को समावेशित करने की बात करते हैं। भारतीय लिखित उदाहरणों में यह भी पाया जाता हैकि शासन करने का अधिकार योग्यता या आम सहमति के माध्यम से अर्जित किया जाता है और यह वंशानुगत नहीं है। परिषद और समिति जैसी विभिन्न लोकतांत्रिक संस्थाओं में मतदाता की वैधता पर लगातार चर्चा होती रही है। भारतीय लोकतंत्र वास्तव में लोगों की सत्यता, सहयोग, समन्वय, शांति, सहानुभूति और सामूहिक शक्ति का उत्सवपूर्ण उद्घोष है।

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