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रक्षाबंधन में कलाई पर बांधें 'खादी रक्षासूत'

'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में खादी का पुनर्जागरण'

देशभर के राज्यों में तैयार की गईं हैं खादी राखियां

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 24 August 2023 02:47:18 PM

tie 'khadi rakshasut' on the wrist on rakshabandhan

नई दिल्ली। खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष मनोज कुमार ने रक्षाबंधन के उपलक्ष्य में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के तत्वावधान में 'खादी रक्षासूत' यानी खादी राखी की शुरुआत की है। गौरतलब हैकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस कार्यक्रम में अपने संबोधन में नागरिकों से आग्रह किया थाकि वे अपने आगामी त्योहारों केलिए खादी एवं ग्रामोद्योग उत्पादों का चयन करके ग्रामीण कारीगरों का तहेदिल से समर्थन करें, जिससे भारत के सुदूर ग्रामीण भागों में रोज़गार के सर्वोत्तम अवसर सुनिश्चित हो सकें। इस अवसर पर मनोज कुमार ने कहाकि खादी रक्षासूत की विशिष्टता ग्रामीण भारत की समर्पित स्पिनर बहनों द्वारा इसके निर्माण में निहित है, जो चरखे पर सूत कातने का काम करती हैं, यह उत्पाद पूरी तरह से प्राकृतिक है, किसीभी रासायनिक घटक से रहित है।
केवीआईसी के अध्यक्ष ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहाकि इस वर्ष खादी रक्षासूत को एक पायलट परियोजना पहल के रूपमें शुरू किया गया है, जो विशेष रूपसे नई दिल्ली में खादी भवन में उपलब्ध है और आगामी वर्ष में देशभर में खादी रक्षासूत लॉंच करने केलिए व्यापक तैयारी चल रही है। उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहाकि वे खादी के माध्यम से भारत की राष्ट्रीय विरासत की उल्लेखनीय अभिव्यक्ति खादी रक्षासूत को अपनाएं, ऐसा करके वे न केवल भारत की शानदार विरासत को संरक्षित करेंगे, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के विजन में भी सक्रिय रूपसे योगदान देंगे। मनोज कुमार ने खादी के गहन महत्व पर प्रकाश डाला, जो हमारी राष्ट्रीय विरासत का प्रतीक है और स्वतंत्रता केलिए भारत के संघर्ष के दौरान इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में खादी ने पिछले नौ वर्ष में अपने स्वर्ण युग में प्रवेश करते हुए पुनर्जागरण का अनुभव किया है।
मनोज कुमार ने कहाकि पिछले वित्तीय वर्ष में खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों से 1.34 लाख करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ, इसके अलावा चालू वित्तीय वर्ष में खादी ने 9.5 लाख से अधिक नई नौकरियां पैदा करके एक ऐतिहासिक उपलब्धि प्राप्त की है। उन्होंने कहाकि खादी के इस नए जोश केसाथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यू इंडिया की नई खादी को न केवल कपड़ों के प्रतीक के रूपमें, बल्कि एक हथियार के रूपमें भी गढ़ा है, यह हथियार गरीबी के खिलाफ, कारीगरों को सशक्त बनाने, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने और बेरोज़गारी को खत्म करने की दिशा में है। मनोज कुमार ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 से अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम मन की बात के माध्यम से देश के नागरिकों को खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों को अपनाने केलिए प्रोत्साहित किया है, इसका प्रभाव उल्लेखनीय रहा है, खादी उद्योग एक परिवर्तनकारी पुनरुत्थान के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहाकि ग्रामीण कारीगरों की दक्षता को न केवल मान्यता मिल रही है, बल्कि उन्हें अपने शिल्प कौशल केलिए उचित पारिश्रमिक भी मिल रहा है।
मनोज कुमार ने कारीगरों को आर्थिक रूपसे ऊपर उठाने की इस प्रतिबद्धता के अनुरूप केवीआईसी ने खादी रक्षासूत को बाजार में पेश किया है और हम रक्षाबंधन पर्व के करीब हैं, यह न केवल आपकी कलाई पर खादी रक्षासूत बांधने का अवसर है, बल्कि ग्रामीण भारत की महिला कारीगरों के चेहरे पर एक नई मुस्कान लाने का मौका भी है। उदाहरणस्वरूप उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर के ग्रामोद्योगिक विकास संस्थान द्वारा तैयार की गई राखी स्वदेशी पवित्र गौ माता के पवित्र गोबर से बनाई गई है, इसके अतिरिक्त इसमें तुलसी, टमाटर, बैंगन के बीज शामिल करने से इसकी संरचना में और बेहतर होती है, इसके निर्माण के पीछे की अवधारणा इस धारणा में निहित हैकि जब इसे जमीन पर फेंक दिया जाएगा तो इससे तुलसी, टमाटर और बैंगन के पौधे अंकुरित होंगे। देश के विभिन्न राज्यों में तैयार की गई ऐसी खादी राखियां अब नई दिल्ली के खादी भवन में खरीद केलिए पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, जिनमें से प्रत्येक की कीमत 20 रुपये से 250 रुपये तक है। 

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