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जोहा चावल मधुमेह प्रबंधन में श्रेष्ठ न्यूट्रास्युटिकल

अपनी महत्वपूर्ण सुगंध और उल्लेखनीय स्वाद के लिए विख्यात है जोहा

वैज्ञानिकों ने जोहा चावल के न्यूट्रास्युटिकल गुणों का पता लगाया है

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 24 June 2023 12:30:17 PM

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नई दिल्ली। भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में उगाया जाने वाला सुगंधित जोहा चावल ब्लड ग्लुकोज को कम करने और मधुमेह की शुरुआत को रोकने में प्रभावी है, इसलिए मधुमेह प्रबंधन में एक श्रेष्ठ और प्रभावी न्यूट्रास्युटिकल है। जोहा एक छोटे अन्न वाला शीतकालीन धान है, जो अपनी महत्वपूर्ण सुगंध और उल्लेखनीय स्वाद केलिए विख्यात है, इससे संबंधित पारंपरिक दावा यह हैकि जोहा चावल के उपभोक्ताओं में मधुमेह और हृदय रोगों की घटनाएं कम होती हैं, लेकिन इन्हें वैज्ञानिक रूपसे सत्यापित किए जाने की आवश्यकता थी। इस दिशा में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त एवं उन्नत अध्ययन संस्थान के वैज्ञानिकों ने सुगंधित जोहा चावल के न्यूट्रास्युटिकल गुणों का पता लगाया। वैज्ञानिक राजलक्ष्मी देवी और परमिता चौधरी ने अपने शोध में सुगंधित जोहा चावल के न्यूट्रास्युटिकल गुणधर्मों का पता लगाया।
वैज्ञानिक राजलक्ष्मी देवी और परमिता चौधरी ने इन विट्रो प्रयोगशाला विश्लेषण के माध्यम से दो असंतृप्त फैटी एसिड अर्थात लिनोलिक एसिड (ओमेगा-6) और लिनोलेनिक (ओमेगा-3) एसिड का पता लगाया। यह अनिवार्य फैटी एसिड जिसका मानव उत्पादन नहीं कर सकता, विभिन्न शारीरिक स्थितियों को बनाए रखने में मदद कर सकता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड मधुमेह, हृदय रोगों और कैंसर जैसे कई मेटाबोलिक रोगों से बचाव करता है। जोहा ब्लड ग्लुकोज को कम करने और मधुमेह संक्रमित चूहों में मधुमेह की शुरुआत को रोकने में भी प्रभावी साबित हुआ है। शोधकर्ताओं ने यह भी पायाकि सुगंधित जोहा चावल में व्यापक रूपसे उपभोग की जाने वाली गैर-सुगंधित किस्म की तुलना में ओमेगा-6 से ओमेगा-3 का अधिक संतुलित अनुपात होता है।
उचित आहार को बनाए रखने केलिए मनुष्यों द्वारा वांछित ओमेगा-6 से ओमेगा-3 आवश्यक फैटी एसिड का अनुपात लगभग एक है। शोधकर्ताओं ने चावल की भूसी का तेल, एक पेटेंट उत्पाद जिसे वे मधुमेह प्रबंधन में प्रभावी होने का दावा करते हैं बनाने केलिए इस जोहा चावल का उपयोग किया है। इसके अतिरिक्त जोहा चावल कई एंटीऑक्सिडेंट, फ्लेवोनोइड्स और फेनोलिक में भी समृद्ध है। रिपोर्ट किए गए कुछ बायोएक्टिव यौगिकों में से ओरिज़ानॉल, फेरुलिक एसिड, टोकोट्रिनॉल, कैफिक एसिड, कैटेचुइक एसिड, गैलिक एसिड, ट्राइसिन आदि शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में एंटीऑक्सिडेंट, हाइपोग्लाइकेमिक और कार्डियो-सुरक्षात्मक प्रभाव हैं।

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