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बांग्लादेशी लोक सेवकों की भारत में ट्रेनिंग पूरी

भारत में नागरिक केंद्रित सार्वजनिक नीति और सुशासन के सबक सीखे

राष्ट्रीय सुशासन केंद्र से अबतक 2055 बांग्लादेशी अफसर प्रशिक्षित हुए

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 8 May 2023 12:46:28 PM

bangladeshi civil servants complete training in india

नई दिल्ली। राष्ट्रीय सुशासन केंद्र में बांग्लादेश के लोक सेवकों के 58वें बैच का प्रमुख क्षमता निर्माण कार्यक्रम पूरा हो चुका है, जिसमें 45 अधिकारियों ने हिस्सा लिया था। लोक सेवकों ने भारत में नागरिक केंद्रित सार्वजनिक नीति और सुशासन से सबक सीखे। यह कार्यक्रम नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार को लेकर प्रभावी लोक नीतियों एवं कार्यक्रमों को तैयार करने और उन्हें कार्यांवित करने केलिए अधिकारियों को सार्वजनिक नीतियों, कार्यक्रमों, शासन, तकनीक के उपयोग तथा नवीन कौशल के क्षेत्र में नया ज्ञान प्रदान करने पर केंद्रित था। एनसीजीजी के महानिदेशक भरत लाल ने इस अवसर पर अधिकारियों से लोगों की जरूरतों को लेकर जवाबदेह होने का अनुरोध किया और समयबद्ध सार्वजनिक शिकायतों के निवारण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने दोनों देशों केबीच विकासात्मक साझेदारी की सराहना की और कहाकि यह कार्यक्रम प्रतिभागियों को अन्य बातों के अलावा नए विकास प्रतिमान और पहल केलिए सशक्त बनाने का एक प्रयास है।
एनसीजीजी के महानिदेशक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के न्यूनतम सरकार अधिकतम शासन के मंत्र को रेखांकित किया और लोक सेवकों से नागरिकों एवं सरकार केबीच की दूरी को कम करने और पुरानी औपनिवेशिक मानसिकता को समाप्त करने का अनुरोध किया। उन्होंने रेखांकित कियाकि आधुनिक तकनीक पारदर्शिता और जवाबदेही लाने में काफी सहायक है। उन्होंने जनता को बेहतर सेवा प्रदान करने केलिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के आधुनिक साधनों को सीखने और अपनाने पर जोर दिया। इसके लिए उन्होंने आधार और जल जीवन मिशन का उदाहरण दिया और बतायाकि कैसे देश के लाखों किसानों को सिर्फ एक क्लिक में सब्सिडी हस्तांतरित की जा रही है, क्योंकि प्रौद्योगिकी नागरिकों को सेवाओं के वितरण की सुविधा प्रदान कर रही है। उन्होंने कहाकि प्रौद्योगिकी सार्वजनिक सेवा वितरण में शानदार दक्षता लाई है और हमें इसका अधिक उपयोग करना चाहिए।
भरत लाल ने लोगों के व्यापक कल्याण केलिए आधुनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण एवं रखरखाव के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने लोक सेवकों से लोगों और विभिन्न हितधारकों जैसेकि समुदाय आधारित संगठन, स्वयं सहायता समूह व अन्य नागरिक समाज संगठन केसाथ मिलकर काम करने का अनुरोध किया, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सकेकि नीतियों एवं कार्यक्रमों को एक भागीदारीपूर्ण तरीके से विकसित किया गया है और पर्यावरण जलवायु और आपदा को लेकर इसमें लचीलता भी है। उन्होंने प्रतिभागियों को सलाह दीकि वे दो सप्ताह के इस क्षमता निर्माण कार्यक्रम से प्राप्त सीख को नए विचारों एवं सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों के रूपमें बढ़ाएं और उन्हें समाज की व्यापक कल्याण केलिए एक सांचे के रूपमें उपयोग करें। बांग्लादेश के लोक सेवकों ने कार्यक्रम के डिजाइन और संबंधित क्षेत्र के उच्च योग्यता वाले विशेषज्ञों एवं संसाधन व्यक्ति के रूपमें प्रतिष्ठित हस्तियों केसाथ चर्चा करने एवं सुनने के अवसर की प्रशंसा की। गौरतलब हैकि अबतक विदेश मंत्रालय और ढाका में भारतीय मिशन के सहयोग से एनसीजीजी ने बांग्लादेश के 2055 लोक सेवकों को प्रशिक्षित किया है।
सुशासन केलिए राष्ट्रीय केंद्र की स्थापना साल 2014 में भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के अधीन शीर्ष स्तर की एक संस्था के रूपमें की गई थी। एनसीजीजी को देश केसाथ अन्य विकासशील देशों के लोकसेवकों की सार्वजनिक नीति, शासन, सुधार, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के क्षेत्रों में कार्य करना अनिवार्य है, साथही यह सरकार के थिंकटैंक के रूपमें भी कार्य करता है। एनसीजीजी ने विदेश मंत्रालय केसाथ साझेदारी में विकासशील देशों के लोक सेवकों की क्षमता का निर्माण करने की जिम्मेदारी ली है। अबतक इसने 15 देशों बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, ट्यूनीशिया, सेशेल्स, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान, लाओस, वियतनाम, भूटान, म्यांमार, नेपाल और कंबोडिया के लोक सेवकों को प्रशिक्षण प्रदान किया है। विभिन्न देशों के प्रतिभागी अधिकारियों ने इन प्रशिक्षणों को काफी अधिक उपयोगी पाया है। एनसीजीजी देश के विभिन्न राज्यों के लोक सेवकों की क्षमता निर्माण में भी शामिल रहा है। इन कार्यक्रमों की काफी अधिक मांग है और इसे देखते हुए विदेश मंत्रालय की इच्छा के अनुरूप एनसीजीजी अधिक देशों से बड़ी संख्या में लोक सेवकों को समायोजित करने केलिए अपनी क्षमता का विस्तार कर रहा है। साल 2023-24 केलिए एनसीजीजी ने इन काफी अधिक मांग वाले कार्यक्रमों की संख्या में तीन गुना बढ़ोतरी की है।
एनसीजीजी ने इस कार्यक्रम में देश में की गई विभिन्न पहलों को साझा किया है। इनमें शासन के बदलते प्रतिमान, गंगा के विशेष संदर्भ सहित नदियों का कायाकल्प, डिजिटल प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना, भारत के बदलते ग्रामीण परिदृश्य-प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण, अवसंरचना विकास में सार्वजनिक-निजी भागीदारी, भूमि प्रशासन, नीति निर्माण की संवैधानिक नींव, विकेंद्रीकरण, सार्वजनिक अनुबंध एवं नीतियां, फिनटेक व समावेशन, सार्वजनिक नीति एवं कार्यांवयन, चुनाव प्रबंधन, सुशासन के एक उपकरण के रूपमें आधार, डिजिटल शासन-पासपोर्ट सेवा व मदद की केस स्टडी, ई-शासन व डिजिटल इंडिया उमंग, तटीय क्षेत्र के विशेष संदर्भ में आपदा प्रबंधन, प्रशासन में नैतिकता, राष्ट्रीय सुरक्षा परिदृश्य का अवलोकन, भारत में ग्रामीण विद्युतीकरण पहल, परियोजना नियोजन, जल जीवन मिशन-कार्यांवयन व निगरानी, स्वामित्व योजना, ग्रामीण भारत केलिए संपत्ति सत्यापन, सतर्कता प्रशासन, भ्रष्टाचार विरोधी रणनीतियां, निवेश संवर्धन एवं उद्यमिता, स्वच्छता को लेकर भारतीय अनुभव, चक्रीय अर्थव्यवस्था, 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने केलिए दृष्टिकोण और स्वास्थ्य सेवा केलिए डिजिटल शासन आदि शामिल हैं। कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों ने प्रधानमंत्री संग्रहालय, संसद आदि का भ्रमण भी किया। पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ एपी सिंह ने सहयोगी पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ संजीव शर्मा की सहायता से 58वें पाठ्यक्रम का संचालन किया, इसमें एनसीजीजी की क्षमता निर्माण टीम ने भी सहायता प्रदान की।

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