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'अफ्रीकी देशों की सुरक्षा जरूरतें पूरी करेगा भारत'

रक्षामंत्री ने अफ्रीकी साझेदार देशों की रक्षा कंपनियों को आमंत्रित किया

भारत और अफ्रीका के सेना प्रमुखों का पहला सम्मेलन पुणे में आयोजित

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 28 March 2023 03:54:03 PM

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पुणे। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज पुणे में दूसरे अफ्रीका-भारत संयुक्त अभ्यास 'एफइंडेक्स' के दौरान आयोजित भारत-अफ्रीका सेना प्रमुखों के कॉन्क्लेव के पहले संस्करण को संबोधित करते हुए कहा हैकि भारत क्षेत्रीय सुरक्षा, स्थिरता और रक्षा क्षमताओं को एकसाथ बढ़ावा देने केलिए अफ्रीकी देशों केसाथ काम करना जारी रखेगा। राजनाथ सिंह ने अपने सशस्त्र बलों की क्षमता वृद्धि सहित सभी रक्षा संबंधी मामलों में अफ्रीकी साझेदार देशों को सहायता प्रदान करने की भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया, ताकि उनका आर्थिक और सामाजिक विकास सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कहाकि किसी राष्ट्र की प्रगति की पूरी क्षमता तभी महसूस की जा सकती है, जब उसकी सुरक्षा सुनिश्चित हो। उन्होंने कहाकि हम मानते हैंकि व्यक्तिगत मानवाधिकारों का संरक्षण जैसे जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार, रोज़गार का अधिकार, आजीविका का अधिकार आदि एक मजबूत और प्रभावी राज्यतंत्र पर निर्भर हैं, जो कानून के शासन को सुनिश्चित करने केसाथ-साथ आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकता है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि विकास और सामाजिक विकास सुरक्षित वातावरण में ही हो सकता है, हालांकि हममें से कई ने अपनी स्वतंत्रता केबाद से एक लंबा सफर तय किया है, ऐसे कई अफ्रीकी देश हैं, जहां राज्य प्रणालियों का क्षमता निर्माण अभीभी प्रगति पर है। रक्षामंत्री ने लोगों की जरूरतों और आकांक्षाओं केलिए मजबूत राज्य संरचनाओं के निर्माण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि अफ्रीकी देशों के सशस्त्र बलों को प्रशिक्षण देने और उन्हें 21वीं सदी की सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने केलिए आवश्यक कौशल से लैस करने में भारत सबसे आगे है। उन्होंने कहाकि भारत के प्रशिक्षण कार्यक्रम व्यापक क्षेत्रों को कवर करते हैं, जिसमें उग्रवाद विरोधी अभियान, शांति स्थापना, समुद्री सुरक्षा और साइबर युद्ध और ड्रोन संचालन जैसे नए डोमेन में विशेष प्रशिक्षण शामिल हैं, इनमें आपदा प्रबंधन, मानवीय सहायता और चिकित्सा सहायता जैसे क्षेत्रों में नागरिकों को प्रशिक्षण देना भी शामिल है और विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण केलिए बड़ी संख्या में अफ्रीकी देशों के सशस्त्र बलों के जवानों का भारत आना-जाना लगा रहता है।
राजनाथ सिंह ने कहाकि भारत और अफ्रीकी देशों केबीच संयुक्त अभ्यास सशस्त्र बलों को एक-दूसरे से सीखने और पारस्परिकता को बढ़ावा देने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करते हैं। उन्होंने 'एफइंडेक्स' को क्षमता विकसित करने और आपसी क्षमताओं को बढ़ाने केलिए अफ्रीकी देशों पर भारत के निरंतर ध्यान का प्रतिबिंब बताया। उन्होंने कहाकि हिंद महासागर से जुड़े समुद्री पड़ोसियों के रूपमें समुद्री सुरक्षा, हाइड्रोग्राफी, आतंकवाद और उग्रवाद का मुकाबला करने में हमारा सहयोग क्षेत्रीय शांति और समृद्धि केलिए आवश्यक होगा। राजनाथ सिंह ने रक्षा उपकरणों और प्लेटफार्मों के संदर्भ में क्षमता निर्माण को अफ्रीका भागीदारों केसाथ भारत के सैन्य सहयोग का एक और महत्वपूर्ण पहलू बताया। उन्होंने अफ्रीकी देशों को अपनी सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने केलिए भारतीय रक्षा उपकरणों और प्रौद्योगिकियों का पता लगाने केलिए आमंत्रित किया। रक्षामंत्री ने कहाकि भारत हाल के वर्षों में एक प्रमुख रक्षा निर्यातक के रूपमें उभरा है, यहां एक डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम बनाया गया है, जिसमें प्रचुर मात्रा में तकनीकी जनशक्ति का लाभ है।
रक्षामंत्री ने अफ्रीकी रक्षा सेना प्रमुखों से कहाकि भारतीय रक्षा उद्योग आपकी रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने केलिए आपके साथ काम कर सकता है, हम अपने अफ्रीकी मित्रों को उनकी रक्षा आवश्यकताओं को स्वदेशी रूपसे पूरा करने केलिए सशक्त बनाने के उद्देश्य से रक्षा निर्माण, अनुसंधान और विकास में अपनी विशेषज्ञता एवं ज्ञान को साझा करने केलिए भी प्रतिबद्ध हैं। भारत-अफ्रीका संबंधों पर रक्षामंत्री ने कहाकि हम ग़रीबी उन्मूलन, सतत विकास प्राप्त करने, शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने और लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के सामान्य लक्ष्यों से एकजुट हैं। उन्होंने कहाकि यह साझेदारी दक्षिण-दक्षिण सहयोग को वास्तव में बहुध्रुवीय विश्वव्यवस्था बनाने केलिए प्रेरित करती है, जो विकासशील देशों की आकांक्षाओं केप्रति अधिक उत्तरदायी है। राजनाथ सिंह ने कहाकि भारत और अफ्रीका के लोग एकसाथ मानवता के एक तिहाई का प्रतिनिधित्व करते हैं, एक जनसांख्यिकीय लाभांश जिसका बुद्धिमानी से उपयोग किया जाना है। उन्होंने इस विशाल मानव संसाधन को वृद्धि और विकास के इंजन में बदलने का आह्वान किया।
रक्षामंत्री ने कहाकि कई अफ्रीकी देशों में दुनिया में जनसंख्या वृद्धि की सबसे तेज दर है, कुछ अनुमानों के अनुसार 2050 तक दुनिया में हर चार लोगों में से एक अफ्रीकी होगा, इसलिए यदि मानवता को विकसित करना है तो अफ्रीका को विकसित होना होगा। राजनाथ सिंह ने कहाकि अफ्रीका आज एक अरब से अधिक जीवंत लोगों का घर है, जिनमें से दो तिहाई से अधिक 35 वर्ष से कम आयु के हैं, यदि इस मानव पूंजी को सही अवसरों केसाथ समर्थन दिया जाता है तो यह न केवल अफ्रीका केलिए, बल्कि दुनिया केलिए भी विकास का इंजन बन जाएगा। रक्षामंत्री ने सापेक्ष तकनीकी पिछड़ेपन को विकासशील दुनिया को उच्च आर्थिक विकास दर से रोकने वाले सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक बताया। यह कहते हुएकि नई और उभरती प्रौद्योगिकियां इस अंतर को दूर करने का अवसर प्रदान करती हैं उन्होंने अफ्रीकी देशों के लाभ केलिए डिजिटल, स्वच्छ और हरित प्रौद्योगिकियों में भारत की विशेषज्ञता का विस्तार किया। उन्होंने यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस के माध्यम से संपूर्ण नागरिक वर्ग के वित्तीय समावेशन की भारत की उपलब्धि का विशेष उल्लेख करते हुए इसे वित्तीय क्रांति बताया।
भारत-अफ्रीका सेना प्रमुखों का सम्मेलन 'क्षेत्रीय एकता केलिए अफ्रीका-भारत सेना-अमृत' के केंद्रीय विषय पर संरचित किया गया था, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग तंत्र के हिस्से के रूपमें भारत और अफ्रीकी देशों की सेनाओं केबीच तालमेल को मजबूत करना और सुधारना था। कॉन्क्लेव में भारतीय रक्षा उद्योगों को बढ़ावा देने के अलावा संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण, शांति अभियानों के निष्पादन के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने केलिए एक संस्थागत ढांचे को विकसित करने केलिए दोनों राष्ट्रों केबीच संयुक्त प्रशिक्षण और रक्षा सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया और माना गया कि यह भारत और अफ्रीकी देशों केबीच गहरे रक्षा संबंधों में एक प्रमुख मील का पत्थर है, जिससे क्षेत्रीय सहयोग बढ़ रहा है। कॉन्क्लेव में भारतीय सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, 31 अफ्रीकी देशों के रक्षा प्रमुखों और प्रतिनिधियों केसाथ रक्षा एवं उद्योग क्षेत्र के हितधारक भी उपस्थित थे।

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