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भारत में आतंकवाद पर सख्त कार्रवाई!

आतंकवाद के खिलाफ सरकार की है 'जीरो टॉलरेंस' नीति

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर का मीडिया को बयान

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 19 December 2022 05:12:33 PM

information broadcasting minister anurag thakur

नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने आतंकवाद से निपटने केलिए भारत सरकार के प्रयासों पर मीडिया को विस्तृत बयान देते हुए कहा हैकि भारत सरकार की नीति 'आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस' पर केंद्रित है और भारत ने आतंकवाद की कमर तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उन्होंने कहाकि सरकार ने जहां यूएपीए को मजबूत करने केलिए कानूनी मोर्चे पर काम किया है, वहीं प्रवर्तन स्तरपर भी विभिन्न कदम उठाए गए हैं, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (संशोधन) अधिनियम को पेश करके राष्ट्रीय जांच एजेंसी को वास्तविक तौरपर एक संघीय संरचना दी गई है और इन उपायों का सामूहिक प्रभाव आतंकवाद के इकोसिस्टम को कमजोर कर रहा है। उन्होंने कहाकि अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और बैठकों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने केलिए हमेशा आग्रह किया है। उन्होंने कहाकि 90वीं इंटरपोल महासभा में 2000 से अधिक विदेशी प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसका समापन 'आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई' की घोषणा केसाथ हुआ।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहाकि आतंकवाद के खिलाफ सरकार के संकल्प को सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर बालाकोट स्ट्राइक तक बार-बार प्रदर्शित किया गया है। उन्होंने कहाकि हमारे सशस्त्र बलों की कार्रवाई से जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में 168 प्रतिशत की भारी कमी दर्ज की गई है, इसी तरह आतंकवाद को वित्तीय मदद देने के मामलों में सजा की दर 94 प्रतिशत तक हासिल की गई है। उन्होंने पूर्वोत्तर में शांति का माहौल बनाने की दिशामें सरकार के प्रयासों के बारेमें कहाकि 2014 से उग्रवाद प्रभावित हिंसा में 80 प्रतिशत और नागरिकों की मौतों में 89 प्रतिशत की भारी गिरावट आने की वजह से भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में शांति का युग शुरू हो गया है। उन्होंने 2014 केबाद से छह हजार उग्रवादियों के आत्मसमर्पण की उपलब्धि कोभी रेखांकित किया। उन्होंने कहाकि वामपंथी चरमपंथियों की क्षमताओं को कम करने के सरकार के प्रयासों की वजह से हिंसक घटनाओं में 265 प्रतिशत की कमी आई है। उन्होंने कहाकि सरकार आतंकवाद का मुकाबला करने केलिए सशस्त्र कार्रवाई से आगे जाने केलिए प्रतिबद्ध है और उसने पूरे क्षेत्र में स्थायी शांति का माहौल बनाने केलिए काम किया है।
अनुराग ठाकुर ने कहाकि जनवरी 2020 में बोडो समझौता, ब्रू-रियांग समझौता, अगस्त 2019 में एनएलएफटी-त्रिपुरा समझौता, सितंबर 2021 में कार्बी आंगलोंग समझौता और मार्च 2022 में असम-मेघालय अंतर-राज्यीय सीमा समझौता सरकार की उपलब्धियों की विरासत हैं। सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफ्स्पा) के बारेमें उन्होंने कहाकि अफ्स्पा को वापस लेने केबारे में अबतक सिर्फ चर्चा ही होती रही, लेकिन मोदी सरकार ने इसे पूरे त्रिपुरा और मेघालय सहित पूर्वोत्तर के एक बड़े हिस्से से वापस ले लिया। उन्होंने मीडिया को जानकारी दीकि यह कानून अरुणाचल प्रदेश के सिर्फ तीन जिलों में लागू है, असम का 60 प्रतिशत हिस्सा अफ्स्पा से मुक्त है, छह जिलों के अंतर्गत 15 पुलिस थानों को अशांत क्षेत्र की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है, सात जिलों में 15 पुलिस थानों से अशांत क्षेत्र अधिसूचना को हटा दिया गया है। अनुराग ठाकुर ने सरकार के वर्षों से चलाए जा रहे बचाव कार्यों का भी जिक्र किया। उन्‍होंने इस बात पर प्रकाश डालते हुएकि संकट में फंसे भारतीय लोगों का जीवन बचाना सरकार का एक सबसे प्रमुख चिंता का विषय है और भारत पूरी दुनिया में बचाव अभियान चलाने के मामले में सबसे आगे रहा है, बचाव अभियान की उपलब्धियों को सूचीबद्ध किया।
अनुराग ठाकुर ने कहाकि फरवरी-मार्च 2022 में ऑपरेशन गंगा के तहत 22,500 नागरिकों को बचाया गया, ऑपरेशन देवी शक्ति में अफगानिस्तान से 670 भारतीय नागरिकों को बचाया गया, वर्ष 2021-22 में वंदे भारत मिशन के तहत, बचाव अभियानों की एक सबसे बड़ी सफलता में 1.83 करोड़ नागरिकों की कोविड-19 संकट के दौरान घर वापसी की गई, चीन के वुहान से 654 लोगों को बचाया गया। उन्होंने कहाकि भारत में न केवल भारतीयों, बल्कि संकट में फंसे विदेशी नागरिकों केलिए भी मदद की पेशकश की, वर्ष 2016 में ऑपरेशन संकट मोचन केतहत दक्षिण सूडान से 2 नेपाली नागरिकों सहित 155 लोगों को देश में वापस लाया गया, ऑपरेशन मैत्री के दौरान नेपाल से 5,000 भारतीयों को बचाया गया जबकि नेपाल से ही 170 विदेशी नागरिकों का भी बचाव किया गया, ऑपरेशन राहत केतहत यमन से 1,962 विदेशी नागरिकों सहित 6,710 लोगों को बचाया गया। अनुराग ठाकुर ने कहाकि भारत को अब एक ऐसे देशके रूपमें देखा जा रहा है, जो संकट के समय अन्य देशों कोभी सभी प्रकार की सहायता प्रदान करने केलिए तत्‍पर रहता है और आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से कार्य करता है, जबकि एक पड़ोसी देश को केवल आतंकवाद को शरण देने वाले और हिंसा को बढ़ावा देनेवाले देश के रूपमें ही देखा जाता है।

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