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जगुआर के संरक्षण के लिए 14 देशों ने की पहल

अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस पर दिल्ली चिड़ियाघर में जागरुक कार्यक्रम

जिज्ञासु छात्रों को प्रकृति व वन्यजीव संरक्षण केलिए प्रोत्साहित किया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 30 November 2022 12:56:05 PM

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नई दिल्ली। राष्ट्रीय प्राणी उद्यान नई दिल्ली ने अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस पर दिल्ली चिड़ियाघर में जू वॉक और बिग कैट्स एवं जगुआर पर एक्सपर्ट से बातचीत जैसी कई गतिविधियां आयोजित कीं, इसमें लिटिल स्टार पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। जिज्ञासु विद्यार्थियों को प्रकृति एवं वन्यजीव संरक्षण केलिए प्रोत्साहित करते हुए विभिन्न प्रतियोगी कार्यक्रमों के जरिए प्रकृति एवं वन्यजीव संरक्षण के महत्व को समझाया और उनको प्रमाणपत्र, वन्यजीव संरक्षण पर पुस्तकें और स्मारिका प्रदान की गईं। गौरतलब हैकि जगुआर केलिए बढ़ते खतरों और उसके अस्तित्व को सुनिश्चित करनेवाले संरक्षण के महत्वपूर्ण प्रयासों के बारेमें जागरुक करने केलिए 2018 में 14 देशों ने जगुआर के संरक्षण पर 'जगुआर 2030 रोडमैप' कार्यक्रम की शुरुआत करके 29 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस के रूपमें घोषित किया था।
जैव विविधता संरक्षण केलिए एक महत्वपूर्ण प्रजाति, सतत विकास और मध्य एवं दक्षिण अमेरिका की सदियों पुरानी सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक के रूपमें अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस मनाया जाता है। यह अमेरिका का सबसे बड़ा वाइल्ड कैट है। संयुक्तराष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के व्यापक प्रयासों केतहत जगुआर कॉरिडोर और उनके आवासों के संरक्षण की जरूरत पर ध्यान आकर्षित करने केलिए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय साझीदारों के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस संबंधित देशों की सामूहिक आवाज़ का प्रतिनिधित्व करता है। जगुआर को अक्सर तेंदुआ समझ लिया जाता है, लेकिन उनके शरीर पर बने धब्बों के कारण आसानी से अंतर किया जा सकता है। वैसे कई कैट्स पानी से दूर रहते हैं, लेकिन जगुआर अच्छे से तैर सकते हैं। ये पनामा नहर में भी तैरने केलिए जाने जाते हैं।
जगुआर फ़ेलिडाए कुल का एक शिकारी मांसाहारी जानवर है, जो उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका में पाईजाने वाली इकलौती पैंथेरा जाति है। सिंह और बाघ केबाद जगुआर बिल्ली कुल का तीसरा सबसे बड़ा और पृथ्वी के पश्चिमी गोलार्ध का पहला सबसे बड़ा सदस्य जानवर है। हालांकि इसका रहन-सहन और आदतें तेंदुए से ज़्यादा बाघ से मिलती हैं। यह वनों में रहना पसंद करता है, लेकिन मैदानों और झाड़ वाले इलाकों में भी घूमता है। इसे अकेला रहना और पीछा करके अपना शिकार मारना पसंद है। इसका जबड़ा और दांत बहुत मज़बूत होते हैं और सहज ही कवच वाले जानवरों कोभी ग्रास बनाने में सक्षम हैं। आमतौरपर यह अपने शिकार को कानों के बीच काटकर सीधा कोपल की हड्डी तोड़कर मस्तिष्क पर जानलेवा घाव कर देता है। जगुआर रात के समय सक्रिय रहते है, शिकार के दौरान ये दिन मेंभी सक्रिय रहते है।
जगुआर किसीभी बीहड़ी, पर्वतीय इलाकों में आसानी से रह सकते हैं। जगुआर को यूएन समझौते केतहत अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण प्राप्त है। वर्तमान में 90 प्रतिशत जगुआर अमेज़न क्षेत्र के 9 देशों में पाए जाते हैं और इनके वास स्थान के क्षरण के कारण शेष 10 प्रतिशत जगुआर 33 अन्य छोटे समूहों में रहते हैं। संयुक्तराष्ट्र अमेरिका से लेकर अर्जेंटीना तक जगुआर के प्रवास क्षेत्र में 50 प्रतिशत की कमी आई है और मध्य अमेरिका में इसके प्रवास स्थान का क्षेत्रफल घटकर 23 प्रतिशत ही रह गए हैं। वहीं अल सल्वाडोर और उरुग्वे जैसे देशों में यह जीव अब विलुप्त हो चुका है। अपने प्रवास के दौरान जगुआर कईबार अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं को भी पार कर जाते हैं।

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