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'विश्व में घोर निराशा के बीच भारत से आशा'

अहिंसा विश्व भारती के समारोह में बोले केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल

राष्ट्र निर्माण में संतों और सामाजिक संस्थाओं का योगदान सराहा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 7 November 2022 11:30:24 AM

seminar on 'contribution of saints and social institutions in nation building'

मुंबई। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने अहिंसा विश्व भारती एवं विश्व शांति केंद्र के स्थापना दिवस पर 'राष्ट्र निर्माण में संतों एवं सामाजिक संस्थाओं का योगदान' विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं अहिंसा इंटरनेशनल अवार्ड समारोह में भारत के विश्वगुरु बनने के मिशन पर प्रकाश डाला। विश्वमें व्याप्त घोर निराशा के वातावरण केबीच भारत को आशा जगाने वाला एक स्‍थान बताते हुए उन्‍होंने कहाकि प्रत्‍येक भारतीय देशकी प्रगति का साक्षी है। यह कार्यक्रम मुंबई में हुआ, जिसमें केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल मुख्य अतिथि थे। पीयूष गोयल ने कहाकि संत और ऋषि किसी व्यक्ति के भीतर आध्यात्मिक, धार्मिक, कर्तव्यपरायणता, शांति और अहिंसा जैसे ज्ञान के प्रकाश को प्रज्वलित करते हैं, जिससे व्यक्ति के व्यक्तित्व एवं कार्यों की आभा का बढ़ना संभव हो जाता है। उन्होंने कहाकि हमें कभी-कभी अपने कर्तव्यों की याद दिलाने की जरूरत होती है और संत यही काम करते हैं।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहाकि एक व्यक्ति को कर्मकांडों की दुनियामें उलझे बिना धर्म को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी से जोड़ने की जरूरत है और आचार्य डॉ लोकेश मुनि जैसे आचार्य इसी आदर्श को साकार करते हैं। पीयूष गोयल ने देशके विश्वगुरु बनने के मिशन में हरघर तिरंगा जैसे कार्यक्रमों की अभूतपूर्व सफलता का हवाला दिया, जिसमें शायद ही कोई ऐसा घर था, जहां राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया गया हो। पीयूष गोयल ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पंच प्रण में देशवासियों से औपनिवेशिक मानसिकता को त्यागने और अपने पारिवारिक मूल्यों, विरासत एवं आदर्शों का पालन करते हुए अपनी जड़ों कीओर वापस लौटने की अपील की है। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री के पंच प्रण हमारे दैनिक जीवन मेभी हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे। उन्होंने कहाकि समाज का ध्यान रखने की जैनधर्म की शिक्षा देशकी प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहाकि अगर भारत के नागरिक यह तय करलें कि भारत को विश्वगुरु बनाना है तो दुनिया की कोईभी ताकत इसे रोक नहीं सकती।
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे। उन्होंने कहाकि हमारा देश अपने संतों की वजह से जाना जाता है, देशके निर्माण में ऋषियों ने मौलिक भूमिका निभाई है। राज्यपाल ने कहाकि हम राजा-महाराजाओं के योगदान को भलेही भूल जाएं, लेकिन हमें राष्ट्र निर्माण में संतों के योगदान को कभीभी नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने बतायाकि देशने ऋषियों की शिक्षाओं की वजह से कई विदेशी आक्रमणों को सफलतापूर्वक विफल किया है। राज्यपाल ने कहाकि अमेरिकी मीडिया ने स्वामी विवेकानंद के व्यक्तित्व से मंत्रमुग्ध होकर उन्हें एक महान विभूति कहा था। कार्यक्रम में जैन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संगठन और संजय घोड़ावत फाउंडेशन को अहिंसा अंतर्राष्ट्रीय सम्मान 2022 से प्रदान किया गया।

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