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भारत-बांग्लादेश में शासन-सुशासन का तालमेल

एनसीजीजी मसूरी में बांग्लादेश के सिविल सेवकों का प्रशिक्षण शुरू

कई देशोंके सिविल सेवकों का हो रहा एनसीजीजी में क्षमता निर्माण

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 12 October 2022 01:32:37 PM

bangladesh civil servants training begins at ncgg mussoorie

मसूरी। राष्ट्रीय सुशासन केंद्र मसूरी में बांग्लादेश के सिविल सेवकों केलिए क्षेत्रीय प्रशासन में दो सप्ताह का 53वां क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू हो चुका है। गौरतलब हैकि वर्ष 2019 से पहले बांग्लादेश के पंद्रह सौ सिविल सेवकों को एनसीजीजी में प्रशिक्षण दिया जा चुका है। चरण-I के पूरा होने केबाद बांग्लादेश के अन्य 1,800 सिविल सेवकों की क्षमता निर्माण का काम शुरू किया गया है, जिसे 2025 तक पूरा करने की योजना है। यह भारत का ऐसा एकमात्र संस्थान है, जिसने बांग्लादेश सिविल सेवा के 1,727 क्षेत्रीय स्तर के अधिकारियों जैसेकि सहायक आयुक्त, उपजिला निर्भय अधिकारी या एसडीएम और अतिरिक्त उपायुक्त आदि को प्रशिक्षित किया है।
राष्ट्रीय सुशासन केंद्र में बांग्लादेश के उस समय पदस्‍थ सभी उपायुक्तों को भी प्रशिक्षित किया गया था। इन क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को शुरू हुए एक दशक हो गया है और इस प्रकार कई प्रशिक्षु अधिकारी बांग्लादेश सरकार में अतिरिक्त सचिव और सचिव के स्तर तक पहुंच गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप दोनों देशों केबीच शासन में तालमेल कायम है। भारत सरकार ने 2014 में राष्ट्रीय सुशासन केंद्र की स्थापना देशके एक शीर्ष संस्थान के रूपमें की थी। इस संस्‍थान में सुशासन, नीति सुधार, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर ध्यान दिया जाता है और यह एक थिंक टैंक के रूपमें भी काम करता है। इसने विदेश मंत्रालय केसाथ साझेदारी में कई अन्‍य देशों के सिविल सेवकों के क्षमता निर्माण का कार्यभार लिया हुआ है, इनमें-बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, ट्यूनीशिया, सेशेल्स, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान, लाओस, वियतनाम, भूटान, म्यांमार और कंबोडिया जैसे 15 देश शामिल हैं।
राष्ट्रीय सुशासन केंद्र में प्रशिक्षण लेनेवाले अधिकारियों ने इन प्रशिक्षण सत्रों को अत्यधिक उपयोगी बताया है। विकासशील देशों के सिविल सेवकों केलिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम का लक्ष्‍य उन्हें इस जटिल और परस्पर निर्भर दुनियामें प्रभावी सार्वजनिक नीति बनाने और लागू करने केलिए अत्याधुनिक ज्ञान, कौशल और उपकरणों से लैस करना है। उम्मीद हैकि यह प्रशिक्षण सुशासन और अंततः सतत विकास प्राप्त करने केसाथ-साथ समृद्ध क्रॉस-कंट्री अनुभव प्रदान करने में सहायक होगा। प्रशिक्षण के दौरान केंद्र विशेष रूपसे तटीय क्षेत्रों तथा अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों को ध्‍यान में रखते हुए देशमें की जा रही ई-गवर्नेंस, डिजिटल इंडिया, सार्वजनिक सेवाओं का सार्वभौमिकरण, सतत विकास लक्ष्यों केलिए दृष्टिकोण, सेवा वितरण में आधार का उपयोग, लोक शिकायत निवारण तंत्र और आपदा प्रबंधन जैसी पहलों को साझा कर रहा है। कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों को दिल्ली मेट्रो, स्मार्ट सिटी, मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान, केंद्रीय सूचना आयोग, भारत निर्वाचन आयोग आदि विभिन्न क्षेत्रों में किए जा रहे विकास कार्यों को देखने केलिए भी ले जाया जाएगा।

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