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मीडिया आत्मनिरीक्षण करे-उपराष्ट्रपति

जनता केबीच चर्चा और संवाद के सुदृढ़ माहौल का आह्वान

गुवाहाटी में लोक मंथन में बोले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

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Thursday 22 September 2022 05:33:58 PM

vice president jagdeep dhankhar spoke at the lok manthan in guwahati

गुवाहाटी। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जनता केबीच चर्चा और संवाद का सुदृढ़ माहौल बनाने का आह्वान किया और कहाकि अन्‍य लोगों के विचारों केप्रति असहिष्णुता, विचारों के मुक्त आदान-प्रदान की दृष्टि से गलत है। भारत में वाद-विवाद, चर्चा और ज्ञान साझा करने की महान विरासत का उल्‍लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि जनता केबीच खासतौर से विधायिकाओं में चर्चा की गुणवत्ता को बढ़ाने केलिए अतीत से सबक लिया जा सकता है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि खुदको दूसरे से बेहतर दर्शाने और जनता की नजरों के केंद्र में बने रहने की आपाधापी में टेलीविजन या सोशल मीडिया पर चलने वाली बहसें आक्रामक लड़ाई के मैदानों में बदल रही हैं। उन्होंने मीडिया से इस दिशामें पहल करने और आत्मनिरीक्षण करने तथा अनूठी, मूल और हाशिए पर पड़ी आवाजों को मुख्यधारा में आने की जगह बनाने का आह्वान किया।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि समय आ गया है जब हमें सामाजिक संरचनाओं और सोशल मीडिया के बंधे-बंधाए ढांचे (एल्गोरिदम) से बाहर आना होगा और अपने दिमाग में स्‍वच्‍छ विचारों को आने का रास्‍ता देना होगा। उन्‍होंने कहाकि हमें सुनने की कला को पुनर्जीवित करना होगा और संवाद की कला को भी फिरसे खोजना होगा। उपराष्ट्रपति ने गुवाहाटी में प्रज्ञा प्रवाह के आयोजित राष्ट्रीय संवाद 'लोकमंथन' के तीसरे संस्करण के उद्घाटन पर ये विचार व्यक्त किए। उत्तर पूर्वी भारत के समृद्ध सांस्कृतिक लोकाचार को उजागर करने केलिए आयोजकों की सराहना करते हुए उन्होंने कहाकि उनकी विविधता में क्षेत्र की सांस्कृतिक प्रथाएं शांति, सद्भाव और सार्वभौमिक भाईचारे के सर्वोत्कृष्ट भारतीय मूल्यों केसाथ प्रतिध्वनित होती हैं। उपराष्ट्रपति ने भारतीय समाज में बुद्धिजीवियों की भूमिका को रेखांकित किया और बतायाकि किस तरह विभिन्‍न संतों ने राजाओं को नीति के मुद्दों पर ऐतिहासिक परामर्श दिए और समाज में सद्भाव एवं स्थिरता सुनिश्चित की।
बुद्धिजीवियों से मौजूदा मुद्दों पर चर्चा का आह्वान करते हुए उन्होंने कहाकि अगर हमारे बुद्धिजीवी वर्तमान समय में चुप्पी का विकल्प चुनने का फैसला करते हैं तो समाज का यह बहुत महत्वपूर्ण वर्ग हमेशा केलिए चुप हो जाएगा। जगदीप धनखड़ ने कहाकि उन्हें स्वतंत्र रूपसे संवाद और विचार-विमर्श का अभ्यास करना चाहिए, ताकि सामाजिक नैतिकता और औचित्य की रक्षा हो सके। संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दी गई प्रमुखता और संविधानसभा की बहसों की समृद्ध परम्‍परा को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि वे स्वतंत्र और स्वस्थ चर्चा के महत्व के प्रमाण हैं, जिसे भारत ने लंबे समय से संजोया है। उन्होंने कहाकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र का अमृत है। उपराष्ट्रपति ने नागरिक समाज के बुद्धिजीवियों से विचार-विमर्श से राज्य की तीन शाखाओं-विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका केबीच सामंजस्यपूर्ण संतुलन सुनिश्चित करने में सक्रिय भूमिका निभाने को कहा।
जगदीप धनखड़ ने कहाकि बुद्धिजीवियों के संवाद और चर्चा के सकारात्‍मक रवैये से लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकारों का निश्चित रूपसे विकास होगा। उन्होंने कहाकि हमारी अद्वितीय सांस्कृतिक एकता की सुंदरता और ताकत हमारे राष्ट्रीय जीवन के हर क्षेत्र-सांसारिक, धर्मनिरपेक्ष मामलों से लेकर उच्च आध्यात्मिक पहलुओं तकमें परिलक्षित होती है। उन्होंने कहाकि बुवाई के मौसम में किसानों के गीतों से लेकर पर्यावरण केप्रति हमारे समग्र दृष्टिकोण तक भारतीयता की अंतर्निहित एकता को महसूस किया जा सकता है। उपराष्ट्रपति ने 'हमारा अपना इतिहास' की भावना विकसित करने का आह्वान किया, जिसमें लोक परंपराएं, स्थानीय कलारूप और असंख्य बोलियां शामिल हैं। उन्‍होंने कहाकि ऐसा होने परही हम वास्तव में मन और आत्मा से स्वतंत्र हो सकते हैं। उन्होंने युवाओं को अपने बारे में सोचने केलिए सशक्त बनाने और सिर्फ सही कौशलही नहीं, बल्कि सही मानसिकता के साथ काम करने का भी आह्वान किया।
उपराष्ट्रपति ने एक पारंपरिक असमिया धार्मिक नृत्य प्रदर्शन, 'गायन बायन' देखा। उन्होंने दो पुस्तकों का भी विमोचन किया-लोकमंथन केलिए एक स्मारिका और 'इन परस्यूट ऑफ ए ड्रीम' शीर्षक मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्वा सरमा के भाषणों का संग्रह। उपराष्ट्रपति दोपहर बाद गुवाहाटी राजभवन पहुंचे, जहां उन्होंने राज्य की प्रतिष्ठित हस्तियों केसाथ बातचीत की, इसके बाद पत्नी डॉ सुदेश धनखड़ केसाथ गुवाहाटी के प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर गए और पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर असम के राज्यपाल प्रोफेसर जगदीश मुखी, असम के मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्वा सरमा, प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे नंदकुमार, लोकमंथन 2022 की कार्यकारी अध्यक्ष डॉ गार्गी सैकिया महंत और गणमान्य नागरिक मौजूद थे।

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