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इस्पात खनन के क्षेत्र में नया रोडमैप-सिंधिया

सर्कुलर इकोनॉमी और संसाधन दक्षता पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

दुनिया को सर्कुलर इकोनॉमी मॉडल की सबसे ज्यादा जरूरत

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 27 August 2022 02:22:30 PM

international conference on circular economy and resource efficiency

नई दिल्ली। केंद्रीय इस्पात और नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया ने कहा हैकि इस्पात मंत्रालय एक नोडल एजेंसी के रूपमें काम करता है और उसने इस्पात के खनन क्षेत्रमें सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने केलिए एक विस्तृत रोडमैप तैयार कर लिया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेटल्स दिल्ली चैप्टर के सर्कुलर इकोनॉमी और संसाधन दक्षता पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में यह बात कही। उन्होंने बतायाकि इसमें खनन से लेकर तैयार धातु उत्पादन, हरतरह के कचरे के उपयोग उनके पुनर्चक्रण या पुन: उपयोग और प्रक्रिया में उत्पन्न उत्पादों के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस बात पर प्रकाश डालाकि सर्कुलर इकोनॉमी रीसाइक्लिंग से कहीं आगे बढ़कर है। उन्होंने कहाकि हमारी ऊर्जा खपत का एक बहुत बड़ा हिस्सा और संबंधित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का संबंध पदार्थके निष्कर्षण, प्रसंस्करण, परिवहन, उपयोग और निपटान से निकटता से जुड़ा हुआ है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेटल्स दिल्ली चैप्टर के सर्कुलर इकोनॉमी और संसाधन दक्षता पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में यह बात कही। उन्होंने कहाकि हमारे अधिकांश प्राकृतिक संसाधन सीमित हैं, इसलिए दुनिया में गंभीरतापूर्वक इन दुर्लभ संसाधनों का उपयोग करने केलिए पर्यावरण और आर्थिक रूपसे व्यवहार्य तरीके ढूंढे जाएं। उन्होंने कहाकि दुनियाभर में आम सहमति बन गई हैकि सर्कुलर इकोनॉमी संसाधनों के संरक्षण का एकमात्र तरीका है, हमें यह समझ लेना चाहिएकि मानवता का भविष्य 'टेक-मेक-डिस्पोज' मॉडल यानी लीनियर इकोनामी पर नहीं बनाया जा सकता है। उन्‍होंने कहाकि 6आर सिद्धांतों रिड्यूस, रीसायकल, रीयूज, रिकवर, रिडिजाइल और रीमैन्‍यूफैक्‍चर का पालन करते हुए व्‍यवसाय मॉडल में उत्तरदायी और स्‍वीकार्य होनेके कारण धातु क्षेत्रको धातुओं की प्राकृतिक संभावना के अलावा उसके व्यापक इस्‍तेमाल के मद्देनज़र सर्कुलर इकोनॉमी मॉडल में सबसे आगे रहने की जरूरत है।
इस्पात मंत्री ने 15 अगस्त 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन को याद किया, जिसमें उन्होंने सर्कुलर इकोनॉमी मिशन की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया था। प्रधानमंत्री ने कहा थाकि सर्कुलर इकोनॉमी समय की आवश्यकता है और हमें आधुनिक अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने केलिए प्राकृतिक संसाधनों की तेजीसे कमी के कारण इसे अपने जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बनाना चाहिए। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहाकि धातु उद्योग ऊर्जाका बड़े पैमाने पर उपयोग करने वाला उद्योग है और इस प्रकार बड़े पैमाने पर कार्बन उत्सर्जन का कारण बनता है, जो वैश्विक समुदाय केलिए एक बड़ी चुनौती है, इसलिए हमें शून्य कार्बन उत्सर्जन केलक्ष्य को प्राप्त करने केलिए नई तकनीकों को अपनाना होगा। उन्होंने कहाकि हमसभी इस बातसे सहमत हैंकि आज दुनिया में टेक्‍नोलॉजी का वर्चस्‍व है, कुछभी बेकार नहीं है और सभी तथाकथित कचरे को उपयुक्त प्रौद्योगिकी को अपनाकर धन सृजन केलिए संसाधनों में बदला जा सकता है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहाकि ऑटोमोटिव, इंफ्रास्ट्रक्चर, परिवहन, अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्रमें वृद्धि में उभरते उछाल का समर्थन करने केलिए मांग में अपेक्षित उछाल को देखते हुए भारत का खनन और धातुक्षेत्र जबरदस्‍त विकास केलिए तैयार है। उन्होंने कहाकि तेजीसे दौड़ती इस दुनिया में चुनौती स्टील जैसे क्षेत्रों के उप-उत्पादों का मुकाबला करना है, जोकि अर्थव्यवस्था केलिए समान रूपसे महत्वपूर्ण है और दूसरी ओर कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन के संबंध में क्षेत्र को समाप्‍त करना कठिन है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहाकि दुनियाभर में स्टील निर्माता पर्यावरणीय स्थिरता और सर्कुलर इकोनॉमी की दोहरी चुनौतियों से निपटने केलिए उपयुक्त रणनीतियां विकसित करने केलिए तैयार हैं। उन्होंने कहाकि भारत सरकार ने लौह और अलौह धातुओं को शामिल करते हुए धातुक्षेत्र सहित विभिन्न क्षेत्रोंमें सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने केलिए नीति आयोग के माध्यम से 11 समितियों का गठन करके समय पर पहल की है।
सर्कुलर रणनीतियां जैसे सर्कुलर डिजाइन, कुशल सामग्री उत्पादन, पुन: उपयोग, मरम्मत और पुनर्चक्रण से पदार्थ की खपत में बचत होती है और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम होता है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहाकि अधिकतम मूल्यवान समय में वस्‍तु के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करके और मैटिरियल रीसायकल को बंद करके सर्कुलर इकोनॉमी में एक मजबूती होती है, जो जलवायु परिवर्तन के कारण होनेवाले जबरदस्‍त परिवर्तनों से निपटने में मदद करेगी। उन्होंने कहाकि इन कदमों से राष्ट्र को अनेक लाभ होंगे और संबद्ध आपूर्ति श्रृंखला केसाथ-साथ खपत से संबंधित उद्योगों के कारण सकल घरेलू उत्पाद पर एक गुणक प्रभाव पड़ेगा, इसके अलावा संयंत्र के भीतर प्रत्‍यक्ष और अप्रत्यक्ष रूपसे संबद्ध उद्योगों में बड़े पैमाने पर रोज़गार के अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहाकि भारत ने वित्तीय वर्ष 2022 में इस्पात उत्पादन की क्षमता 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 155 मिलियन टन कर दी है, जो वित्तीय वर्ष 2014 में लगभग 100 मिलियन टन थी।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहाकि आठ वर्ष की इस अवधि के दौरान इस्पात की प्रति व्यक्ति खपत भी लगभग 50 प्रतिशत बढ़कर प्रति व्यक्ति 77 किलोग्राम हो गई है, देशके बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर सरकार का ध्यान केंद्रित करने के अलावा भारत सरकार की निवेशक अनुकूल नीतियों के नेतृत्व में इस्पात उद्योग एक स्थिर विकास पथ पर है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहाकि खनिज और धातु क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए हैं और आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक है। उन्होंने उम्मीद जताई हैकि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेटल्स, दिल्ली चैप्टर इस महत्वपूर्ण विषय पर इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में विचार-विमर्श की सिफारिशें लेकर आएगा, जिससे उद्योग को जीरो वेस्ट और जीरो हार्म दृष्टिकोण की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी। एसएमएस समूह के भारत और एशिया प्रशांत क्षेत्र के सीईओ उलरिच ग्रीनर पच्टर ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया और कहाकि भारत के इस्पात उद्योग में सकारात्मक विकास की दिशा में बहुत बदलाव आया है।
सेल की अध्यक्ष सोमा मंडल ने कहाकि शोधसे पता चलता हैकि कार्बन कम करनेकी परिचालन क्षमताओं और नवीकरणीय ऊर्जा समाधानों के व्यापक कार्यांवयन से वातावरण में ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को लगभग 50 प्रतिशत तक ही कम किया जा सकता है। उन्होंने कहाकि शेष 50 प्रतिशत इस बातपर निर्भर करता हैकि हम संसाधनों का उत्पादन और उपभोग करनेके तरीके में परिवर्तन कैसे ला सकते हैं, इस प्रकार व्यवसायों को इस नई आर्थिक संरचना में अग्रणी भूमिका निभानी है, पृथ्‍वी की रक्षा करने केलिए परिवर्तन और नए मूल्य बनाने के नवाचार को अग्रणी रहना है। सोमा मंडल ने कहाकि कुछभी बेकार नहीं है। सम्मेलन में एमआईडीएचएएनआई के सीएमडी डॉ एसके झा, आईआईएम दिल्‍ली चैप्‍टर के अध्‍यक्ष डॉ मुकेश कुमार तथा खनिज और धातु क्षेत्र के लगभग 200 प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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