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सड़क के बच्चों का किया जाएगा पुनर्वास

राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग का सीआईएसएस एप्लिकेशन

बच्चों के पुनर्वास के लिए छह चरणों की रूपरेखा तैयार की

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 9 June 2022 03:40:33 PM

national commission for protection of child logo

नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बाल स्वराज पोर्टल केतहत सड़क पर रहनेवाले बच्चों के पुनर्वास की प्रक्रिया में सहायता करने केलिए एक सीआईएसएस एप्लिकेशन का शुभारंभ किया है। एनसीपीसीआर ने देखभाल और सुरक्षा की जरूरत वाले बच्चों की ऑनलाइन निगरानी और डिजिटल रीयल-टाइम निगरानी तंत्र केलिए बाल स्वराज पोर्टल शुरू किया है। इस पोर्टल के दो कार्य हैं-कोविड देखभाल और सीआईएसएस। कोविड देखभाल लिंक उन बच्चों की देखभाल को लेकर है, जिनके माता-पिता दोनों कोविड-19 के कारण या मार्च 2020 केबाद नहीं रहें। पोर्टल बच्चों के पुनर्वास केलिए छह चरणों के ढांचे का अनुसरण करता है, पहला चरण-बच्चे के विवरण का संग्रह है, जिसे पोर्टल के माध्यम से पूरा किया जाता है। दूसरा चरण-सामाजिक जांच रिपोर्ट है यानी कि बच्चे की पृष्ठभूमि की जांच से संबंधित है।
जिला बाल संरक्षण इकाई की निगरानी में जिला बाल संरक्षण अधिकारी बच्चे से बातचीत और परामर्श करके यह कार्य पूरा करते हैं। बच्चों के पुनर्वास केलिए तीसरे चरण में बच्चे केलिए एक व्यक्तिगत देखभाल योजना तैयार करना है। चौथा चरण-सीडब्ल्यूसी को सौंपे गए एसआईआर के आधार पर बाल कल्याण समिति का आदेश है। पांचवां चरण-उन योजनाओं और लाभों का आवंटन करना है, जिनका लाभार्थी लाभ उठा सकते हैं और छठे चरण में प्रगति के मूल्यांकन केलिए एक जांच सूची यानी फॉलोअप्स बनाई जाती है। सड़क के बच्चों की देखभाल और सुरक्षा केलिए मानक संचालन प्रक्रिया 2.0 किसीभी बच्चे को 'सड़क पर रहनेवाले बच्चे की स्थिति' केतहत वर्गीकृत करती है, अगर वह बच्चा अकेले सड़कों पर रह रहा है, दिनके दौरान सड़कों पर रह रहा है या परिवार केसाथ सड़कों पर रह रहा है। इसका मूल कारण बेहतर जीवनस्तर की तलाश में ग्रामीण परिवारों का शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन है।
एनसीपीसीआर की ओर से विकसित यह पोर्टल भारत में सड़क पर रहने वाले बच्चों की सहायता करने केलिए अपनी तरह की पहली पहल है। सीआईएसएस एप्लिकेशन का उपयोग सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से सड़क पर रहनेवाले बच्चों के डेटा प्राप्त करने, उनके बचाव और पुनर्वास प्रक्रिया पर नज़र रखने केलिए किया जाता है। यह पहल भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशन में की गई है। यह कार्यक्रम भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 (ए) का प्रतीक है, क्योंकि यह जनता और संगठनों को सहायता की जरूरत वाले किसीभी बच्चे की रिपोर्ट करने को लेकर बच्चों के कल्याण केलिए एक मंच प्रदान करता है। यह मंच उनके लिए आवश्यक कार्रवाई करने केलिए डेटा एकत्र करने और जिला बाल संरक्षण अधिकारी को रिपोर्ट करने का कार्य करता है।
चिल्ड्रन इन स्ट्रीट सिचुएशन केतहत एक बच्चे की रिपोर्ट करने केलिए लिंक https://ncpcr.gov.in/baalswaraj/login पर जाएं, सिटीजन पोर्टल पर क्लिक करें, इसकी रिपोर्ट ए सीआईएसएस टू हेल्प ए चाइल्ड पर जाएं। यह एक फॉर्म उपलब्ध कराएगा, जिसमें बच्चे और सूचना देने वाले का विवरण देना होगा। एकबार पंजीकृत होने केबाद आगे की कार्रवाई केलिए संबंधित डीसीपीओ की संपर्क जानकारी केसाथ एक पंजीकरण आईडी तैयार की जाती है। डीसीपीओ को आगे की कार्रवाई यानी बचाव और पुनर्वास केलिए डैशबोर्ड पर बच्चे की जानकारी मिलेगी। यह पेशेवरों और संगठनों को जरूरतमंद बच्चों केलिए कोई भी सहायता प्रदान करने केलिए एक मंच भी प्रदान करता है। यह सहायता खुले आश्रयों, परामर्श सेवाओं, चिकित्सा सेवाओं, प्रायोजन, नशामुक्ति सेवाओं, शिक्षा सेवाओं, कानूनी या अर्द्धन्यायिक सेवाओं, स्वयंसेवा, छात्र स्वयंसेवा, हॉटस्पॉट की पहचान, सीआईएसएस की पहचान या किसी अन्य रूप में प्रदान की जा सकती है।
संगठन और संस्थान जैसेकि गैर-सरकारी संगठन, नागरिक समाज संगठन, उच्च शैक्षणिक या तकनीकी संस्थान, फाउंडेशन, सोसायटी या न्यास (ट्रस्ट) इस मंच का उपयोग कर सकते हैं। पेशेवर सहायता प्रदान करने केलिए https://ncpcr.gov.in/baalswaraj/login पर जाएं, इसके बाद सिटिजन पोर्टल पर क्लिक करें, फिर प्रोवाइडिंग सर्विस टू हेल्प सीआईएसएस पर जाएं, सभी आवश्यक विवरण भरें और इसे जमा करें। एकबार पंजीकृत होने केबाद राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के डीसीपीओ की संपर्क जानकारी केसाथ एक पंजीकरण आईडी तैयार की जाती है। प्रतिभागियों यानी सूचना प्रदाता एवं पेशेवरों या संगठनों को डीसीपीओ के मूल्यांकन केबाद सड़क पर रहनेवाले बच्चों की सहायता करने में उनके योगदान को स्वीकार करते हुए उन्हें एक डिजिटल प्रमाणपत्र से सम्मानित किया जाएगा।

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