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वायुयोद्धा मार्शल अर्जन सिंह याद किए गए

मार्शल अर्जन सिंह ने पाकिस्तान पर की थी कड़ी एयर स्ट्राइक

वे पेशेवर क्षमता नेतृत्व रणनीतिक दृष्टि व वायुसेना के प्रतीक

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 15 April 2022 12:57:51 PM

air warrior marshal arjan singh remembered

नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना ने आज अपने महान वायुयोद्धा मार्शल अर्जन सिंह को उनकी 103वीं जयंती पर उनकी जांबाज़ी के संस्मरण याद करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। मार्शल अर्जन सिंह वायुसेना का एक जाना-माना नाम है, जिनके साथ बहादुरी के अनेक कीर्तिमान जुड़े हैं। वायुसेना इस दिन मार्शल अर्जन सिंह के राष्ट्र और भारतीय वायुसेना केलिए अनुकरणीय योगदान को याद किया करती है। मार्शल अर्जन सिंह का जन्म 15 अप्रैल 1919 को लायलपुर फैसलाबाद जो अब पाकिस्तान में है हुआ था। अर्जन सिंह 19 वर्ष की आयु में ही आरएएफ कॉलेज क्रैनवेल में प्रशिक्षण केलिए चुन लिए गए थे। उन्हें दिसंबर 1939 में एक पायलट अधिकारी के रूपमें रॉयल एयर फोर्स में कमीशन मिला था। द्वितीय विश्वयुद्ध में बर्मा अभियान में उन्हें उत्कृष्ट नेतृत्व, महान कौशल और साहस केलिए विशिष्ट फ्लाइंग क्रॉस से सम्मानित किया गया था।
भारत को पंद्रह अगस्त 1947 को जब स्वतंत्रता मिली तो मार्शल अर्जन सिंह को लालकिले के ऊपर सौ से अधिक वायुसेना विमानों के फ्लाईपास्ट का नेतृत्व करने का अनूठा सम्मान दिया गया। अर्जन सिंह ने 44 वर्ष की आयु में यानी 1 अगस्त 1964 को वायुसेनाध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया था। राष्ट्र केलिए एक परीक्षा का समय सितंबर 1965 में आया, जब पाकिस्तान ने ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम शुरू किया, जिसमें एक बख्तरबंद जोर ने अखनूर के महत्वपूर्ण शहर को निशाना बनाया, जब हवाई सहायता के अनुरोध केसाथ रक्षामंत्री के कार्यालय में बुलाया गया और पूछा गयाकि भारतीय वायुसेना कितनी जल्दी ऑपरेशन केलिए तैयार हो जाएगी तो उनका जवाब था-एक घंटे में। सही मायने में भारतीय वायुसेना ने एक घंटे में पाकिस्तानी आक्रमण पर प्रहार किया, पाकिस्तानी वायुसेना पर हवाई श्रेष्ठता हासिल की और भारतीय सेना को रणनीतिक जीत हासिल करने में मदद की। भारत सरकार ने जनवरी 2002 में अर्जन सिंह को उनकी सेवाओं के सम्मान में वायुसेना के मार्शल का पद प्रदान किया, जिससे वे भारतीय वायुसेना के पहले 'फाइव स्टार' रैंक के अधिकारी बने।
मार्शल अर्जन सिंह को 1965 के युद्ध में नेतृत्व केलिए उन्हें पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था। अर्जन सिंह भारतीय वायुसेना के पहले एयर चीफ मार्शल बने, जुलाई 1969 में सेवानिवृत्त होने केबाद उन्होंने भारतीय वायुसेना की बेहतरी और कल्याण केलिए अत्यधिक योगदान देना जारी रखा। उन्होंने 1971 से 1974 तक स्विट्जरलैंड में राजदूत, होली सी और लिकटेंस्टीन के रूपमें राष्ट्र केलिए अपनी सेवा जारी रखी, जिसके बाद उन्होंने 1974 से 1977 तक केन्या के नैरोबी में भारतीय उच्चायोग का नेतृत्व किया, उन्होंने एक सदस्य के रूपमें भी कार्य किया। वे 1978 से 1981 तक भारत के अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य और 1989 से 1990 तक दिल्ली के उपराज्यपाल भी रहे। वायुसेना में उनके योगदान को याद करने केलिए वायुसेना स्टेशन पानागढ़ का नाम बदलकर 2016 में वायुसेना स्टेशन अर्जन सिंह कर दिया गया।

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