स्वतंत्र आवाज़
word map

क्या सभी लोगों की न्याय तक समान पहुंच है?

न्यायपालिका में वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र जरूरी-कोविंद

मध्यस्थता व सूचना प्रौद्योगिकी पर राष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 9 April 2022 06:47:59 PM

president, national judicial conference on mediation and information technology

गांधीनगर। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज गुजरात उच्च न्यायालय के मध्यस्थता और सूचना प्रौद्योगिकी पर दो दिवसीय राष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन में प्रश्न उठाया हैकि क्या सभी लोगों की न्याय तक समान पहुंच है? राष्ट्रपति ने कानूनी व्यवसायी के रूपमें अपने दिनों को याद किया और कहाकि उन वर्षों के दौरान उनके दिमाग में एक मुद्दा 'न्याय तक पहुंच' था, न्याय शब्द में बहुत कुछ शामिल है और हमारे संविधान की प्रस्तावना में इसपर जोर दिया गया है। राष्ट्रपति ने आश्चर्य व्यक्त किया कि कैसे सभी केलिए न्याय तक पहुंच में सुधार किया जा सकता है, इसलिए इस सम्मेलन केलिए विषयों को बहुत सावधानी से चुना गया है। उन्होंने कहाकि न्यायपालिका में वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी दोनों कई कारणों से महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उनके विचार से वे महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे व्यवस्था को और अधिक कुशल बनाने में मदद करेंगे और इस प्रकार न्याय देने में बेहतर सक्षम होंगे।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि पिछले दो दशक में सभी हितधारकों ने विवाद समाधान केलिए मध्यस्थता को एक प्रभावी उपकरण के रूपमें मान्यता दी है और इसे प्रोत्साहित किया है। उन्होंने कहाकि जैसाकि कई कानूनी जानकारों ने देखा हैकि नागरिक अधिकारों के संबंध में व्यक्तियों केबीच अदालतों में लंबित अधिकांश मामले ऐसे हैंकि उन्हें न्याय निर्णयन की आवश्यकता नहीं है, ऐसे मामलों में पक्षकार मध्यस्थों के संरचित हस्तक्षेप के माध्यम से अपने विवाद का समाधान सौहार्दपूर्ण ढंगसे कर सकते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि मध्यस्थता का उद्देश्य विवाद को सुलझाना है नाकि किसी आदेश या प्राधिकार से, बल्कि यह पार्टियों को मध्यस्थ द्वारा व्यवस्थित मध्यस्थता बैठकों से समझौते पर पहुंचने केलिए प्रोत्साहित करती है। राष्ट्रपति ने कहाकि कानून एक प्रोत्साहन भी प्रदान करता है, यदि कोई लंबित मुकद्मेबाजी मध्यस्थता से सुलझाई जाती है तो वादी पक्ष की जमा की गई पूरी अदालती फीस वापस कर दी जाती है, इस प्रकार सही मायने में मध्यस्थता में हर कोई विजेता होता है।
रामनाथ कोविंद ने बतायाकि मध्यस्थता की अवधारणा को अभी पूरे देश में व्यापक स्वीकृति मिलनी बाकी है, कुछ जगहों पर पर्याप्त प्रशिक्षित मध्यस्थ उपलब्ध नहीं हैं, कई मध्यस्थता केंद्रों में ढांचागत सुविधाओं के उन्नयन की आवश्यकता है। उन्होंने कहाकि इस प्रभावी उपकरण से व्यापक आबादी को लाभ पहुंचाने में मदद करने केलिए ऐसी बाधाओं को जल्द से जल्द दूर किया जाना चाहिए। उन्होंने कहाकि यदि हम वांछित परिणाम प्राप्त करना चाहते हैं तो सभी हितधारकों को मध्यस्थता केप्रति सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदर्शित करना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहाकि प्रशिक्षण बहुत अंतर कर सकता है, यह विभिन्न स्तरों पर प्रदान किया जा सकता है, प्रारंभिक चरण में प्रारंभिक पाठ्यक्रम से लेकर मध्य-कैरियर पेशेवरों केलिए पुनश्चर्या पाठ्यक्रम तक। उन्होंने कहाकि सुप्रीम कोर्ट की मध्यस्थ और सुलह परियोजना समिति राज्यों में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करके बहुत अच्छा काम कर रही हैं। सम्मेलन के दूसरे विषय यानी सूचना प्रौद्योगिकी केबारे में राष्ट्रपति ने कहाकि हम सभी एक बहुत ही कठिन संकट से गुजरे हैं।
राष्ट्रपति ने कहाकि पिछले दो वर्ष के दौरान अभूतपूर्व मानवीय दुखों केबीच यदि कोई बचत अनुग्रह था तो वह सूचना और संचार प्रौद्योगिकी से था। उन्होंने कहाकि आवश्यक गतिविधियों को बनाए रखने और अर्थव्यवस्था के पहियों को गतिमान रखने में आईसीटी सबसे अधिक मददगार साबित हुआ है रिमोट वर्किंग की तरह, रिमोट लर्निंग ने शिक्षा में ब्रेक से बचने में मदद की है। रामनाथ कोविंद ने कहाकि संकट एक तरह से डिजिटल क्रांति का अवसर साबित हुआ है, सार्वजनिक सेवा वितरण को और अधिक कुशल बनाने केलिए आईसीटी को अपनाने की गति तेज हो गई है। राष्ट्रपति ने कहाकि न्याय की व्यवस्था भी आभासी सुनवाई केसाथ संभव हुई है, महामारी से पहले न्याय वितरण प्रणाली ने वादियों और हितधारकों को दी जानेवाली सेवाओं की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार केलिए आईसीटी से लाभांवित किया था। उन्होंने कहाकि सर्वोच्च न्यायालय में गठित ई-कमेटी के नेतृत्व में और भारत सरकार के न्याय विभाग के सक्रिय सहयोग और संसाधन सहयोग से नीति के अनुसार ई-कोर्ट परियोजना के दो चरणों को पूरा किया गया है, संबंधित चरणों केलिए स्वीकृत कार्ययोजना की इसीलिए ई-कोर्ट के पोर्टल पर प्रकाशित आंकड़ों तक आसानी से पहुंच है।
रामनाथ कोविंद ने कहाकि अन्य सार्वजनिक संस्थानों की तरह न्यायपालिका को भी डिजिटल दुनिया में स्थानांतरित होने में कई मुद्दों का सामना करना पड़ रहा होगा। रामनाथ कोविंद ने कहाकि इन्हें मोटे तौरपर परिवर्तन प्रबंधन के रूपमें जाना जाता है और ये परिवर्तन का हिस्सा हैं। उन्होंने कहाकि सम्मेलन में 'न्यायपालिका में प्रौद्योगिकी का भविष्य' विषय केलिए समर्पित एक पूर्ण कार्यसत्र है, आईसीटी में स्विच करने के कई उद्देश्यों में सबसे ऊपर न्याय तक पहुंच में सुधार होना जरूरी है। उन्होंने कहाकि हम जो लक्ष्य बना रहे हैं, वह बदलाव केलिए बदलाव नहीं है, बल्कि एक बेहतर दुनिया केलिए बदलाव है। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि यह राष्ट्रीय सम्मेलन न केवल अदालतों में मध्यस्थता और आईसीटी दोनों की महान क्षमता पर विचार करेगा, बल्कि रास्ते में आनेवाली चुनौतियों का सबसे अच्छा जवाब देने पर भी विचार करेगा।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]