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इनोवेटर अब्दुल खादर को पद्मश्री सम्मान

कृषि क्षेत्र के गहन ज्ञान ने किसानों केलिए प्रेरणा बना दिया

कर्नाटक के धारवाड़ क्षेत्र से हैं अब्दुल खादर नादकत्तिन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 28 January 2022 01:52:41 PM

innovator abdul khader honored with padma shri

धारवाड़ (कर्नाटक)। कर्नाटक के धारवाड़ में इनोवेटर के रूपमें काम करने वाले अब्दुल खादर नादकत्तिन भी जमीनीस्तर पर नवाचार श्रेणीमें वर्ष 2022 केलिए घोषित 107 पद्मश्री सम्मान के प्राप्तकर्ताओं में शामिल हैं। अब्दुल खादर नादकत्तिन एक सीरियल इनोवेटर हैं और उनके प्रमुख नवाचारों में इमली के बीज को अलग करने केलिए एक उपकरण, जुताई ब्लेड निर्माण मशीन, बीज सह उर्वरक ड्रिल, वाटर हीटिंग बॉयलर, एक स्वचालित गन्ना बुवाई ड्रिलर और एक व्हील टिलर शामिल हैं। उनके सभी नवाचार स्थिरता, लागत प्रभावशीलता, पर्यावरण मित्रता और सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक स्वीकृति के सिद्धांतों को प्रदर्शित करते हैं।
कृषि जलवायु परिस्थितियों और मिट्टी की विशेषताओं के उनके गहन ज्ञान ने उन्हें देश के किसानों केलिए प्रेरणा बना दिया है। अब्दुल खादर नादकत्तिन का पहला नवाचार वॉटर अलार्म था, जो सुबह देर तक सोने की उनकी अपनी आदत को बदलने का उनका व्यक्तिगत प्रयास था। उन्होंने अलार्म की चाबी के सिरे पर एक पतली रस्सी इस तरह बांध दीकि जब चाबी घूमती तो साथमें रस्सी भी घूम जाती, ऐसे में रस्सी से बंधी पानी की बोतल के पलटने से नीचे सोते हुए अब्दुल खादर पर पानी गिरता और उन्हें वे नींद से जाग जाते। उन्होंने कृषि प्रौद्योगिकियां और उपकरण विकसित किए, जो आधुनिक कृषि केसाथ प्रासंगिकता बनाए रखते हुए स्थानीय लोगों केलिए विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
अब्दुल खादर नादकत्तिन को भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त निकाय नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन ने 2015 में एनआईएफ के 8वें नेशनल ग्रासरूट इनोवेशन एंड आउटस्टेंडिंग ट्रेडिशनल नॉलेज अवार्ड्स के दौरान लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया था। भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अब्दुल खादर नादकत्तिन को यह पुरस्कार प्रदान किया था। उन्होंने अपने जमीन से जुड़े होने की भावना के अनुरूप और पुरस्कार के सम्मान में नंगे पैर चलकर इसे ग्रहण किया था, तभीसे उन्हें देश का नंगे पैर वाला वैज्ञानिक के रूपमें जाना जाने लगा। इमली से संबंधित नवाचारों के उनके पोर्टफोलियो के कारण लोग उन्हें हुनासे हुच्चा कहने लगे, जिसका अर्थ है-इमली केलिए पागल। इसकी शुरुआत दुर्लभ लेकिन क्षारीय पानी केसाथ इमली उगाने में उनकी सफलता केसाथ हुई, जो आगे चलकर पेड़ से इमली की कटाई की तकनीक और इमली के बीजों को अलग करने केलिए अत्यधिक स्वीकृत मशीन जैसे प्रयोगों केसाथ आगे बढ़ी।
इसने उन्हें इमली काटने केलिए एक मशीन विकसित करने केलिए प्रेरित किया। इमली केसाथ सफलता को आगे बढ़ाने केलिए उन्होंने गहरी जुताई, बीजों की बुवाई और ईंधन कुशल जल तापन बॉयलर जैसे कृषि कार्यों को संबोधित करने केलिए नवाचारों को विकसित किया। ज्ञातवय हैकि कई वर्षों से जमीनी स्तर के नवोन्मेषकों को पद्म पुरस्कारों की विभिन्न श्रेणियों में मान्यता दी जा रही है, जो भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों मेंसे एक है। ये विभिन्न विषयों जैसे साहित्य, शिक्षा, कला, विज्ञान, इंजीनियरिंग, व्यापार, उद्योग, सिविल सेवा, सार्वजनिक मामले, खेल और चिकित्सा आदि के क्षेत्र में दिए जाते हैं। ऐसे कार्यों को मान्यता दी जाती है, जिससे आगे की पीढ़ी को कुछ नया इजाद करने की प्रेरणा मिले। 

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