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'पीएन पणिक्कर का संदेश-पढ़ो और बढ़ो'

तिरुवनंतपुरम में पीएन पणिक्कर की प्रतिमा का अनावरण

केरल के लोग भारत का गौरव बढ़ाते हैं-रामनाथ कोविंद

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 23 December 2021 05:14:44 PM

pn panikkar's statue unveiled in thiruvananthapuram

तिरुवनंतपुरम। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूजाप्पुरा तिरुवनंतपुरम में पीएन पणिक्कर की प्रतिमा का अनावरण किया और कहाकि पीएन पणिक्कर निरक्षरता की बुराई को दूर करना चाहते थे। उन्होंने एक बहुत सरल और बड़े शक्तिशाली संदेश वायचु वलारुका का प्रचार किया, जिसका अर्थ है-पढ़ो और बढ़ो। राष्ट्रपति ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहाकि पीएन पणिक्कर ने पुस्तकालयों और साक्षरता को जनआंदोलन बनाया, वास्तव में उन्होंने इसे एक लोकप्रिय सांस्कृतिक आंदोलन बना दिया है। राष्ट्रपति ने कहाकि केरल की एक अनूठी विशेषता यह हैकि राज्य के हर गांव, यहां तककि दूर-दराज के गांवों में भी पुस्तकालय हैं और लोग अपने गांव में किसी मंदिर, मस्जिद, चर्च या स्कूल से जुड़कर जिस प्रकार का विशेष जुड़ाव अनुभव करते हैं वैसा ही भावनात्मक जुड़ाव यहां के लोग किसी पुस्तकालय केसाथ जुड़कर महसूस करते हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि पीएन पणिक्कर के आंदोलन से स्थापित किए गए पुस्तकालय बादमें सभी सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के तंत्रिका केंद्र बन गए, जिनका केरल के साक्षरता अभियान में प्रभावशाली उदाहरण है। उन्होंने कहाकि केरल की संस्कृति में पुस्तकालयों का केंद्रीय स्थान होने का श्रेय पीएन पणिक्कर को जाता है, जिन्होंने आम लोगों को पुस्तकालयों से जोड़ा है। उन्होंने कहाकि पीएन पणिक्कर ने 50 छोटे पुस्तकालयों केसाथ वर्ष 1945 में जो ग्रंथशाला संगम शुरू किया था, वह अब हजारों पुस्तकालयों के एक बड़े नेटवर्क में विकसित हो गया है। राष्ट्रपति ने कहाकि पुस्तकालयों के इस विशाल नेटवर्क के माध्यम से केरल की आम जनता नारायण गुरु, अय्यंकाली, वीटी भट्टाथिरीपाद जैसे महान गुरुओं के विचारों और आदर्शों केबारे में जानकारी प्राप्त कर सकती है। उन्होंने कहाकि केरल के एक औसत व्यक्ति के महानगरीय दृष्टिकोण का पता पीएन पणिक्कर के पुस्तकालय और साक्षरता आंदोलन से लगाया जा सकता था।
राष्ट्रपति ने कहाकि केरल भारत के सांस्कृतिक और श्रेष्ठ सद्भाव का सर्वोत्तम रूपमें प्रदर्शन करता है, केरल ने दुनिया के सभी हिस्सों के लोगों को आकर्षित किया और अपनी गौरवमयी विशेषताओं को बनाए रखते हुए विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों को अपनाया है। राष्ट्रपति ने कहाकि केरल के लोगों ने शेष भारत और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में सम्मान और सद्भावना अर्जित की है, केरल के प्रवासी भारतीयों के उद्यमी सदस्य न केवल बड़ी मात्रा में जमा राशि घर भेज रहे हैं, बल्कि उन्होंने जिन देशों को अपने कार्यस्थलों के रूपमें अपनाया है, वहां भी उन्होंने भारत की प्रतिष्ठा को बहुत ऊंचा रखा है, केरल के सेवा क्षेत्र के पेशेवरों, विशेष रूपसे नर्सों और डॉक्टरों को हर जगह बहुत सम्मान दिया जाता है और उन पर विश्वास भी किया जाता है। हाल में जब कोविड महामारी ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया तो केरल के नर्स और डॉक्टर भारत, मध्य-पूर्व और दुनिया के कई अन्य क्षेत्रों में सबसे अधिक दिखाई देने वाले कोविड योद्धाओं में शामिल थे।
राष्ट्रपति ने कहाकि केरल के लोग भारत का गौरव बढ़ाते हैं। उन्होंने इस तथ्य की ओर भी इशारा कियाकि केरल सौ प्रतिशत साक्षरता वाला पहला राज्य बन गया है, 'साक्षरा केरलम' आंदोलन पीएन पणिक्कर की रखी गई नींव के कारण ही लोकप्रिय और प्रभावी हुआ है, केरल में उच्च साक्षरता और शिक्षा के स्तर पर इसका कई गुना प्रभाव पड़ा है। राष्ट्रपति ने कहाकि केरल सतत विकास के पहलुओं सहित मानव विकास के कई सूचकांकों में अन्य राज्यों से आगे है। उन्होंने कहा कि केरल की सरकारों ने लगातार प्रगति और विकास के एजेंडे पर निरंतर अपना ध्यान केंद्रित किया है, इसलिए राज्य ने उत्कृष्टता के अनेक पैमानों पर अपने नेतृत्व की स्थिति बरकरार रखी है। राष्ट्रपति ने कहाकि पीएन पणिक्कर की पुण्यतिथि 19 जून को 'पठन दिवस' के रूपमें मनाना इस महान राष्ट्र निर्माता को श्रद्धांजलि देने का सबसे अच्छा तरीका है।
राष्ट्रपति ने समर्पण भाव से पीएन पणिक्कर के मिशन को आगे बढ़ाने केलिए पीएन पणिक्कर फाउंडेशन की प्रशंसा करते हुए कहाकि यह फाउंडेशन समावेशी विकास के कारण को साकार करने केलिए एक उपकरण के रूपमें डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा दे रहा है। राष्ट्रपति को यह जानकर खुशी हुई हैकि फाउंडेशन ने इस सदी की शुरुआत से ही ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल शिक्षा शुरू की है और उनका यह प्रयास हजारों घरेलू डिजिटल पुस्तकालयों को स्थापित करने में सफल रहा है। उन्होंने पीएन पणिक्कर नेशनल रीडिंग मिशन जैसी पहलों के माध्यम से वंचितों तक पहुंचने में इस फाउंडेशन के प्रयासों की सराहना की। राष्ट्रपति ने संस्कृत की एक कहावत 'अमृतं तू विद्या' जिसका अर्थ है-शिक्षा या विद्या अमृत के समान है का उल्लेख करते हुए कहाकि पणिक्कर फाउंडेशन विद्या के इस अमृत को पूरे देश में बांट रहा है।

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