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राष्ट्रपति ने किया विमान वाहक विक्रांत का दौरा

'विक्रांत' आत्मनिर्भर भारत का एक बेमिसाल उदाहरण है-राष्ट्रपति

भारतीय नौसेना और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के प्रयास सराहे

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 23 December 2021 01:39:00 PM

president visited aircraft carrier vikrant

कोच्चि। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कोच्चि के कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में निर्माणाधीन स्वदेशी विमान वाहक 'विक्रांत' का दौरा किया, यह उनकी इस पोत की पहली यात्रा थी। राष्ट्रपति को जहाज क्रियांवित करने की दिशा में परीक्षण की प्रगति केबारे में जानकारी प्रदान की गई। राष्ट्रपति ने कार्य प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और स्वदेशी विमान वाहक पोत के निर्माण में स्वदेशी क्षमताओं के विकास की दिशा में भारतीय नौसेना तथा कोचीन शिपयार्ड के प्रयासों की सराहना की, जो आत्मनिर्भर भारत केलिए देश की खोज का एक बेमिसाल उदाहरण है। राष्ट्रपति ने एर्णाकुलम खाड़ी में नौसेना संचालन का प्रदर्शन देखा, जिसमें नौसैन्य कौशल और कार्य प्रणाली को दर्शाया गया। राष्ट्रपति केसाथ केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल एमए हम्पीहोली भी उपस्थित थे।
नौसैनिक पोतों और विमानों की इस शानदार कार्यक्रम में युद्ध क्षमता प्रदर्शित की गई, जिसमें कृत्रिम समुद्र तट टोही गतिविधि और घात लगाकर हमला, तेज इंटरसेप्टर छोटे विमानों का उच्चगति से उड़ना, तटीय बमबारी, हेलोबैटिक्स, सोनार डंक ऑपरेशन, बोर्डिंग संचालन और नौसेना के हेलीकॉप्टरों का कार्गो स्लिंग ऑपरेशन आदि शामिल थे। मुख्य आकर्षण में नौसेना के जहाजों का स्टीम पास्ट के साथ-साथ सेल समुद्री प्रशिक्षण जहाज 'तरंगिनी' के यार्ड और हथियारों की मैनिंग, जो राष्ट्रपति के सम्मान में तीन बार जय का उद्घोष करते हुए एक कॉलम फॉर्मेशन में अपना कौशल प्रदर्शित कर रहे थे। कार्यक्रम का समापन नौसेना बैंड के बेहतरीन धुन प्रदर्शन और विमान द्वारा फ्लाई पास्ट केसाथ हुआ।
गौरतलब हैकि स्वदेशी विमान वाहक पोत विक्रांत के निर्माण में स्वदेशी सामग्री 19341 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत का 76 प्रतिशत के करीब है। आईएसी में भारतीय औद्योगिक घरानों और लगभग 100 एमएसएमई के द्वारा निर्मित उपकरणों के अलावा बड़ी संख्या में स्वदेशी सामग्री जैसे स्टील का इस्तेमाल किया गया है। पोत के स्वदेश में ही निर्माण होने से रोज़गार के अवसर पैदा हुए और घरेलू अर्थव्यवस्था पर इसका मजबूत प्रभाव पड़ा है। विमान वाहक पोत के निर्माण कार्य केलिए प्रति वर्ष लगभग 2000 शिपयार्ड और 13000 गैर यार्ड कर्मियों को रोज़गार प्रदान किया गया है।

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