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'लोकतंत्र में संसद लोगों की इच्छा की प्रतिमूर्ति'

संसदीय समितियों के बिना अधूरा है संसदीय लोकतंत्र-राष्ट्रपति

संसद की लोक लेखा समिति के शताब्दी समारोह का उद्घाटन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 4 December 2021 02:50:40 PM

parliamentary democracy incomplete without parliamentary committees-president

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज संसद भवन के सेंट्रल हॉल में भारतीय संसद की लोक लेखा समिति के शताब्दी समारोह में कहा हैकि हमारे लोकतंत्र की एक अत्यंत महत्वपूर्ण संस्था के सौ वर्ष पूरे होने पर सभीको बधाई! उन्होंने कहाकि यह दिन हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था के विकास में एक मील का पत्थर है। उन्होंने कहाकि लोकतंत्र में संसद लोगों की इच्छा का प्रतीक होती है, विभिन्न संसदीय समितियां इसके विस्तार के रूपमें कार्य करती हैं और इसके कार्यकरण में वृद्धि करती हैं। उन्होंने कहाकि यह श्रम का एक स्वागत योग्य विभाजन है, क्योंकि वे सदनों को सभी मुद्दों पर चर्चा करने और बहस करने की अनुमति देते हैं, जबकि संसद सदस्यों के चुनिंदा समूह चुनिंदा मामलों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, इस प्रकार बनाए गए ढांचे के महत्व को कम करके आंका नहीं जा सकता है। राष्ट्रपति ने कहाकि आम तौरपर संसदीय समितियां और लोक लेखा समिति विशेष रूपसे विधायिका केप्रति कार्यपालिका की प्रशासनिक जवाबदेही सुनिश्चित करती हैं, इनके बिना संसदीय लोकतंत्र अधूरा रह जाएगा। उन्होंने कहाकि इनके जरिए नागरिक सरकारी वित्त पर नज़र रखते हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि संसदीय लोकतंत्र में शासन केलिए जवाबदेही केंद्रीय है, अतः स्पष्ट हैकि जनप्रतिनिधियों की एक समिति, जो लोक लेखाओं की जांच कर रही है, एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहाकि लोक लेखा समिति को विवेक का गुण दिखाने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है, यह संसाधनों को बढ़ाने के बेहतर तरीके खोजने में मदद करता है और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह हैकि उन्हें लोगों के कल्याण पर कुशलता से खर्च करना है। उन्होंने कहाकि चूंकि यह संसद है, जो कार्यपालिका को धन जुटाने और खर्च करने की अनुमति देती है, यह आकलन करने का कर्तव्य हैकि धन जुटाया गया और उसके अनुसार खर्च किया गया या नहीं। राष्ट्रपति ने कहाकि दशकों से पीएसी का रिकॉर्ड सराहनीय और अनुकरणीय रहा है, इसके कामकाज की स्वतंत्र विशेषज्ञों ने भी सराहना की है। रामनाथ कोविंद ने कहाकि मेरे पूर्ववर्तियों मेंसे एक आर वेंकटरमण और हमारे तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों अटल बिहारी वाजपेयी, पीवी नरसिम्हा राव और इंदर कुमार गुजराल सहित कई दिग्गजों ने इसमें सेवा की है।
रामनाथ कोविंद ने बतायाकि वर्ष 1952 से समिति ने अबतक संसद को 1,671 रिपोर्टें प्रस्तुत की हैं, इसने तकनीकी अनियमितताओं यदि कोई हो का पता लगाने केलिए न केवल कानूनी और औपचारिक दृष्टिकोण से, बल्कि अर्थव्यवस्था, विवेक और औचित्य के दृष्टिकोण से भी सार्वजनिक व्यय की जांच की है, इसका कोई अन्य उद्देश्य नहीं है सिवाय बर्बादी, हानि, भ्रष्टाचार, अपव्यय, अक्षमता के किसी भी मामले को ध्यान में लाना। उन्होंने कहाकि अगर ईमानदार करदाताओं से आनेवाले एक-एक रुपये मेंसे अधिक पैसा जरूरतमंदों तक पहुंच रहा है अर्थात पीएसी कोषागार का त्रुटिरहित लेखा-जोखा प्रस्तुत करने का प्रयास करती है। उन्होंने कहा कि यह समारोह कार्यपालिका को अधिक जवाबदेह बनाने और इस प्रकार लोगों के कल्याण में सुधार करने के तरीकों पर चर्चा केलिए एक आदर्श मंच प्रदान करेगा। इस दौरान उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, सांसद, भूतपूर्व एवं वर्तमान नियंत्रक और महालेखा परीक्षक, राज्यसभा व लोकसभा के पीठासीन अधिकारी और पीएसी के पूर्व अध्यक्ष भी उपस्थित थे।

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