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छतरपुर में सोया हुआ है आयकर विभाग

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Friday 03 May 2013 06:19:58 AM

छतरपुर-मध्य प्रदेश। आयकर विभाग को छतरपुर जिले में आयकर की चोरी नज़र नहीं आ रही है या आयकर विभाग का शिकंजा ढीला है, जिससे आयकर की खुले आम चोरी हो रही है। आयकर विभाग के नियमों का अनेक व्यापारी पालन नहीं कर रहे हैं। मध्य प्रदेश आयकर विभाग के पास संपत्ति खरीदने एवं बेचने वालों की जानकारी ही नहीं है, आयकर की चोरी कराने में मध्य प्रदेश पंजीयन विभाग की भी अहम भूमिका बताई जा रही है।
छतरपुर जिले की सभी तहसीलों में लगातार तीन साल से करोड़ों रूपए की संपत्ति खरीद-विक्रय हो आ रही है, लेकिन एक भी व्यक्ति के पास आयकर विभाग का नोटिस नहीं आ रहा है, जिससे स्पष्ट है कि आयकर विभाग को छतरपुर जिले के आयकर दाताओं के बारे में कुछ भी नहीं पता है कि कहां कितना और कैसा कारोबार हो रहा है, और तो और इंटरनेट पर भी आयकर विभाग का वर्जन लोड नहीं होता है, इसलिए आयकर विभाग की चोरी करने वालों के मजे ही मजे हैं। नौगॉव नगर के किराना एवं गल्ला व्यापारियों के पास करोड़ों रूपयों की राशि नगद रहती है, लेकिन आयकर विभाग को नहीं पता, वह उनके यहां छापा नहीं मार रहा है।
मध्य प्रदेश आयकर विभाग को पंजीयन विभाग कोई जबाब देना पसंद नहीं करता है। आयकर विभाग का आदेश है कि यदि कोई व्यक्ति 5 लाख की या उससे अधिक मूल्य की संपत्ति की खरीद करता है, तो उसकी जानकारी प्रत्येक माह आयकर के भोपाल कार्यालय को दी जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है, जबकि पंजीयन विभाग 5 लाख के पंजीयन होने वाले दस्तावेज में आयकर विभाग का फार्म 60 व 61 की खानापूर्ति कर रहा है, लेकिन उसकी जानकारी नहीं दी जा रही है। इसी प्रकार से 30 लाख मूल्य की संपत्ति को दस्तावेज पंजीयन होने पर उसकी जानकारी तत्काल सीडी बनाकर भोपाल विशेष रूप से भेजना आवश्यक है, लेकिन यह भी नहीं हो रहा है।
छतरपुर जिला मूल्यांकन समिति ने वर्ष 2013-14 के लिए छतरपुर जिले के छतरपुर, राजनगर, नौगांव, लवकुश नगर, बिजावर, बक्स्वाहा उप पंजीयक कार्यालयों में जो संपत्ति के मूल्य निर्धारित किए हैं, उसके अनुसार छतरपुर जिले में सौ से अधिक दस्तावेज 30 लाख रूपए से अधिक मूल्य के दस्तावेज पंजीयन हो चुके हैं। भू-माफियॉ,कृषि भूमि खरीदकर आयकर की चोरी कर रहे हैं, वे खेती की जमीन से आवासीय प्लाट बनाकर करोड़ों रूपए की आय करने के बाद भी आयकर अदा नहीं कर रहे हैं। इसी प्रकार छतरपुर में अनेक ऐसे स्टांप विक्रेता हैं, जो 20 से 30 लाख रूपए की लागत लगाकर प्रतिवर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक 1.5 लाख से 5 लाख रूपए तक की शुद्ध राजस्व आय प्राप्त कर रहे हैं और वे आयकर विभाग का रिर्टन तक नहीं भर रहे हैं, जबकि स्टांप खरीदने एवं बेचने वालों का पूरा रिकार्ड उप कोषालय अधिकारियों के पास होता है।
आयकर अधिकारियों को पता लगाना चाहिए कि पंजीयन विभाग से 5 लाख से अधिक की संपत्ति खरीदने एवं बेचने वाले कौन और कितने हैं? उनकी कोईसूची है? नहीं है। भू-माफिया एक साल में 5 लाख से 50 लाख तक के आवासीय प्लाट बेचने के बाद आयकर जमा नहीं कर रहे हैं, उनकी जानकारियां भी नहीं है। जानकार सूत्रों से पता चला है कि नौगांव उप पंजीयक कार्यालय में झांसी उत्तर प्रदेश के दो किसानों ने 30 अप्रैल 2013 को दस्तावेज नंबर 124, व 125 पंजीयन होने पर 2 करोड़ की संपत्ति खरीदी है, संपत्ति खरीदने एवं बेचने वालों के पास आयकर विभाग से संपत्ति खरीदने की कोई अनुमति नहीं थी, लेकिन उसके बाद भी उप पंजीयक कार्यालय में दस्तावेज पंजीयन हो चुके हैं।

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