स्वतंत्र आवाज़
word map

बिरसा मुंडा की जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस

प्रधानमंत्री ने किया जनजातीय परंपराओं और शौर्य गाथाओं का गान

रांची में स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 15 November 2021 03:11:16 PM

prime minister sang tribal traditions and valor stories

रांची/ नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदिवासियों के महानायक और स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती पर उनको श्रद्धासुमन अर्पित किए। गौरतलब हैकि बिरसा मुंडा की जयंती जनजातीय गौरव दिवस के रूपमें मनाई जा रही है। आज झारखंड राज्य का स्थापना दिवस भी है। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर झारखंडवासियों को बधाई दी और कामना कीकि भगवान बिरसा मुंडा की यह धरती विकासपथ पर अग्रसर होती रहे। प्रधानमंत्री ने कामना कीकि बिरसा मुंडा की यह धरती विकासपथ पर सदैव अग्रसर रहे। प्रधानमंत्री ने दिल्ली से वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से रांची में बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन भी किया। संग्रहालय में सिद्धू-कान्हू से लेकर 'पोटो हो', तेलंगा खड़िया से मुंडा तक, जतरा टाना भगत से दिवा-किसुन जैसे अनेक जनजातीय वीरों की प्रतिमाएं हैं और उनकी जीवनगाथा को विस्तार से बताया गया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज़ादी के अमृतकाल में देश ने तय किया हैकि भारत की जनजातीय परंपराओं और इनकी शौर्य गाथाओं को देश अब और भी भव्य पहचान देगा।
गौरतलब हैकि भारत की पहचान और भारत की आज़ादी केलिए लड़ते हुए बिरसा मुंडा ने अपने आखिरी दिन रांची की जेल में बिताए थे। बिरसा मुंडा को जनजातीय समुदाय में भगवान माना जाता है और उनकी पूजा तक होती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भगवान बिरसा मुंडा ने आदिवासी समाज केलिए अस्तित्व, अस्मिता और आत्मनिर्भरता का सपना देखा था, आज देशभी इसी संकल्प को लेकर आगे बढ़ रहा है, इसी क्रम में भारत सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लिया हैकि आजसे हरवर्ष देश में 15 नवम्बर अर्थात बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूपमें मनाएगा। प्रधानमंत्री ने अटल बिहारी वाजपेयी को भी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनकी प्रबल इच्छाशक्ति से झारखंड राज्य अस्तित्व में आया। नरेंद्र मोदी ने कहाकि यह अटलजी ही थे, जिन्होंने केंद्र सरकार में सबसे पहले एक अलग जनजातीय मंत्रालय का गठन किया और जनजातीय हितों को देश की नीतियों से जोड़ा। प्रधानमंत्री ने कहाकि यह संग्रहालय स्वाधीनता संग्राम में जनजातीय नायक-नायिकाओं के योगदान का विविधताओं से भरी जनजातीय संस्कृति का जीवंत अधिष्ठान बनेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि बिरसा मुंडा जानते थेकि आधुनिकता केनाम पर सिर्फ विविधता, प्राचीन पहचान और प्रकृति केसाथ सामंजस्य ही नहीं, अपितु समाज के कल्याण केलिए वे आधुनिक शिक्षा के भी प्रबल समर्थक थे और अपने ही समाज की बुराइयों और कमियों के खिलाफ आवाज़ उठाने का साहस रखते थे। प्रधानमंत्री ने कहाकि स्वतंत्रता संग्राम का उद्देश्य भारत की सत्ता, भारत केलिए निर्णय लेने की अधिकार-शक्ति भारतीयों के हाथों में स्थानांतरित करना है। प्रधानमंत्री ने कहाकि इसके अलावा 'धरती आबा' की लड़ाई भी उस सोचके खिलाफ थी, जो भारत के जनजातीय समाज की पहचान मिटाना चाहती थी, धरती आबा का अर्थ है-धरती पिता। उन्होंने कहाकिबिरसा मुंडा ने जिस तरह अपनी संस्कृति, अपने जंगल, अपनी जमीन की रक्षा केलिए संघर्ष किया, वो धरती आबा ही कर सकते थे। प्रधानमंत्री ने कहाकि भगवान बिरसा मुंडा ने समाज केलिए जीवन जिया, अपनी संस्कृति और अपने देश केलिए अपने प्राणों का परित्याग कर दिया, इसलिए वह आज भी हमारी आस्था में, हमारी भावना में हमारे भगवान के रूपमें उपस्थित हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि धरती आबा बहुत लंबे समयतक इस धरती पर नहीं रहे, लेकिन उन्होंने जीवन के इस छोटे से कालखंड में देश केलिए एक पूरा इतिहास लिख दिया और भारत की पीढ़ियों को दिशा दे दी। उन्होंने कहाकि आज़ादी के अमृत महोत्सव में देश इतिहास के ऐसेही अनगिनत पृष्ठों को फिरसे पुनर्जीवित कर रहा है, जिन्हें बीते दशकों में भुला दिया गया था, देश की आज़ादी में ऐसे कितने ही सेनानियों का त्याग और बलिदान शामिल है, जिन्हें वो पहचान नहीं मिली, जो मिलनी चाहिए थी, इसीलिए देश ने अपने युवाओं, इतिहासकारों का इन विभूतियों से जुड़े आज़ादी के इतिहास को फिर एकबार लिखने का आह्वान किया है। कार्यक्रम में झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, केंद्रीय जनजातीय कार्यमंत्री अर्जुन मुंडा, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी, अन्नपूर्णा देवी, रघुबरदास, झारखंड सरकार के मंत्री, सांसद, विधायक और आदिवासी भाई-बहन ऑनलाइन शामिल हुए।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]