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नालंदा विवि का गौरव वापस पाने का आह्वान!

धर्म-धम्म परंपराओं में हैं समग्र और समावेशी जवाब-उपराष्ट्रपति

नालंदा विश्वविद्यालय में छठा धर्म धम्म अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 8 November 2021 12:37:39 PM

vice president addressing the dharma-dhamma international conference at nalanda university

नालंदा (बिहार)। धर्म धम्म परंपराओं की भूमिका पर नालंदा में छठे धर्म धम्म अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने शिक्षा के क्षेत्र में नालंदा विश्वविद्यालय का प्राचीन गौरव फिरसे हासिल करने का आह्वान किया है। ज्ञातव्य हैकि नालंदा प्राचीन भारत में उच्चशिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विख्यात केंद्र था। उन्होंने दुनिया में शांति और सद्भावना केलिए जीवनशैली और सोच के हर पहलू का पुनर्मूल्यांकन करने को कहा। उन्होंने कहाकि हमें लोगों के जीवन में तनाव घटाने, उन्हें सुखी और प्रसन्न बनाने का मार्ग खोजना होगा। उन्होंने कहाकि दूसरी धार्मिक मान्यताओं के साथ हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म की धर्म-धम्म परंपराओं में कोविड के बाद विश्व के सामने उभरती चुनौतियों केलिए समग्र और समावेशी जवाब मौजूद हैं। उन्होंने विश्वास जतायाकि हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म की शिक्षाओं को समझकर और उन्हें अपने जीवन में उतारकर कोई भी व्यक्ति अपने अंतर्मन और बाह्य जगत में शांति को प्राप्त कर सकता है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने कहाकि यह सम्मेलन इस बात का परीक्षण करने का अवसर प्रदान करता हैकि हमारे आसपास की दुनिया में धर्म और धम्म की शिक्षाओं एवं प्रथाओं को किस हद तक लागू किया जा सकता है। उन्होंने कहाकि शांतिपूर्ण सह अस्तित्व, सहयोग, आपसी देखभाल और हिस्सेदारी, अहिंसा, मित्रता, करुणा, शांति, सच्चाई, ईमानदारी, निस्वार्थता और त्याग के सार्वभौमिक सिद्धांत धार्मिक नैतिक उपदेशों का एक अभिन्न हिस्सा रहे हैं। उन्होंने कहाकि इसे हमारे ऋषियों, मुनियों, भिक्षुओं, संन्यासियों, संतों, मठाधीशों ने बार-बार समझाया है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि धर्म धम्म की धारणा सत्य और अहिंसा, शांति-सद्भाव, मानवता, आध्यात्मिक संबंध, सार्वभौमिक बंधुत्व व शांतिपूर्ण सह अस्तित्व सहित कई अभिव्यक्तियों में एक नैतिक स्रोत के रूपमें कार्य करती है, जिसने सदियों से भारतीय उपमहाद्वीप के लोगों का इस दिशा में मार्गदर्शन किया है।
वेंकैया नायडु ने कहाकि भगवान बुद्ध ने हमें सरल तरीके से समझाया हैकि धर्म का पालन करो, नैतिक मूल्यों का सम्मान करो, अपना अहं त्यागो और सभी से अच्छी बातें सीखो। वेंकैया नायडु ने आशा व्यक्त कीकि यह सम्मेलन कोविड के बाद की दुनिया को मानवता केलिए नए सबक और सूक्ष्म दृष्टि प्रदान करेगा, एक ऐसी दुनिया जहां प्रतिस्पर्धा करुणा को रास्ता देती है, धन स्वास्थ्य के लिए रास्ता बनाता है, उपभोक्तावाद आध्यात्मिकता और सर्वोच्चता का मार्ग प्रशस्त करता है और प्रभुत्व की भावना शांतिपूर्ण सह अस्तित्व की राह तैयार करती है। ऐतिहासिक रूपसे प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय की अकादमिक भावना को सुदृढ़ करने केलिए कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि नालंदा विश्वविद्यालय को एकबार फिर ज्ञान की शक्ति से भारत को बाहरी दुनिया से जोड़ने केलिए 'सेतु और नींव' के रूपमें काम करना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि शिक्षा के इस महान केंद्र को रचनात्मक सहयोग की भावना से प्रत्येक छात्र केलिए एक परिवर्तनकारी शैक्षणिक अनुभव प्रदान करना चाहिए। जलवायु परिवर्तन के भयंकर परिणामों के बारे में चेताते हुए उपराष्ट्रपति ने प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर जीने पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि हमें अपने पूर्वजों की उस पारंपरिक जीवनशैली को पुन: अपनाना चाहिए, जिसमें वे अपने पर्यावरण और प्रकृति केसाथ मैत्रीवत जीवन जीते थे। उपराष्ट्रपति ने दुनिया के सबसे बड़े आत्मनिर्भर नेट जीरो कैंपस बनाने केलिए नालंदा विश्वविद्यालय की प्रशंसा की। सम्मेलन में बिहार के राज्यपाल फागू चौहान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पवित्रा वन्नियाराची परिवहन मंत्री श्रीलंका सरकार, प्रोफेसर सुनैना सिंह कुलपति नालंदा विश्वविद्यालय, ललिता कुमार मंगलम निदेशक इंडिया फाउंडेशन और ध्रुव कटोच निदेशक इंडिया फाउंडेशन उपस्थित थे।

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