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Tuesday 28 September 2021 05:52:07 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के 17वें स्थापना दिवस समारोह में शामिल हुए और आपदा मित्र योजना की प्रशिक्षण नियमावली और आपदा मित्र व सामान्य चेतावनी प्रोटोकॉल योजना के दस्तावेज का विमोचन किया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि हम एक ऐसा आपदा प्रबंधन तंत्र बनाने की ओर अग्रसर हैं, जिसमें कितनी भी घोर आपदा आए, एक भी व्यक्ति की जान ना जाए। उन्होंने कहा कि हम इस दिशा में अच्छे से बढ़ रहे हैं। अमित शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदीजी ही एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए आपदा क्यों आती है, इस पर ध्यान देना शुरू किया।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग, दोनों पर ध्यान देने के लिए गुजरात में देश में सबसे पहले जलवायु परिवर्तन विभाग की व्यवस्था अस्तित्व में लाने का काम नरेंद्र मोदीजी ने ही किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में नरेंद्र मोदीजी ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना की शुरुआत की और देश में तैयार की गई पहली राष्ट्रीय योजना का ख़ाका रखा, प्रधानमंत्री ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए जो एक 10 सूत्रीय कार्यक्रम दुनिया के सामने प्रस्तुत किया था, इसके तहत भारत की पूरी जिम्मेदारी है कि हम इस पर अच्छे से अमल करें।
अमित शाह ने कहा कि भारत सरकार ने आपदा प्रबंधन में लगे सभी एनजीओ, सामाजिक कार्यकर्ताओं और सरकारी कर्मचारियों केलिए सुभाषचंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार शुरू किया है, जिससे उनकी हौसला अफज़ाई हो सके। उन्होंने कहा कि एनडीएमए और इसकी क्रियांवयन एजेंसी के रूपमें एनडीआरएफ़ और एसडीआरएफ़ ने देश के आपदा प्रबंधन के इतिहास को बदलने का काम किया है। उन्होंने कहा कि अगर कुछ ही पलों में आपदा के समय तुरंत कार्रवाई करनी है तो वो देश की जनता, समाज और गांव-गांव में प्रशिक्षित आपदा मित्र ही कर सकते हैं और ये एक बहुत अच्छा कॉन्सेप्ट है।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि आपदा मित्र का क्रियांवयन 25 राज्यों के 30 बाढ़ग्रस्त ज़िलों में प्रयोगात्मक रूपमें किया गया है, 5500 आपदा मित्रों और आपदा सखियों को बाढ़ से बचाव के लिए तैयार करने का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि 350 आपदा प्रभावित ज़िलों में हम आपदा मित्र योजना को लागू करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन सभी वॉलंटियर्स और उनके परिवार के मन में आश्वस्तता का भाव पैदा करने के लिए भारत सरकार ने उनका बीमा करने का बहुत बड़ा निर्णय भी लिया है। उन्होंने कहा कि 1999 में ओडिशा में आए सुपर सायक्लोन और 2001 में भुज में आए भूकंप ने देश को झकझोर कर रख दिया और वहीं से विचार आया कि एक ऐसी व्यवस्था की जाए जो अपने आप में स्वतंत्र हो और ऐसी एजेंसियों के साथ जुड़े जो तत्काल रिस्पॉंड कर सकें।
गृहमंत्री ने कहा कि उस वक़्त अटलजी देश के प्रधानमंत्री थे और उन्होंने एक टास्क फ़ोर्स का गठन किया था और संयोग से उसी वक़्त नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, पहले आपदाओं के प्रति सरकारों का दृष्टिकोण राहत-केंद्रित था, अब पूर्व चेतावनी, पूर्व तैयारी, सक्रिय निवारण और कम से कम जान के नुक़सान पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। उन्होंने कहा कि अगर किसी भी दृष्टि से एनडीआरएफ़ और एसडीआरएफ़ की समीक्षा की जाए तो इन्होंने सबसे बड़ा काम देश की जनता के मन में विश्वास पैदा करने का किया है।