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भुवनेश्वर में उत्कल विश्वविद्यालय का दीक्षांत

छात्रों को 21वीं सदी के कौशल से लैस करें शैक्षिक संस्थान-वेंकैया

उपराष्ट्रपति ने ओडिशा की समृद्ध संस्कृति एवं इतिहास की चर्चा की

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Saturday 3 April 2021 06:01:03 PM

vice president presented the honoris causa to shakti kanta das rbi governor

भुवनेश्वर। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने युवाओं से भारत के गौरवशाली अतीत से प्रेरणा लेने और उद्यमिता एवं नवाचार की भावना को आत्मसात करने का आह्वान किया है। उन्होंने विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों से छात्रों को 21वीं सदी के कौशल से लैस करने की अपील की, ताकि वे रोज़गार निर्माता के तौरपर सामने आ सकें। भुवनेश्वर में उत्कल विश्वविद्यालय के 50वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने छात्रों और शिक्षकों को भारत की अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा की गौरवशाली परंपरा का स्मरण दिलाया। दीक्षांत समारोह को एक छात्र के जीवन का महत्वपूर्ण दिवस बताते हुए उपराष्ट्रपति ने उन्हें अपनी व्यक्तिगत दक्षताओं जैसे-इच्छाशक्ति, दृढ़ता, परिश्रम और शिक्षण के माध्यम से अपनी मानसिक क्षमता को बढ़ाने की अपील की। उन्होंने उत्तीर्ण छात्रों को भविष्य निर्माता बनने के लिए शुभकामनाएं दीं।
उपराष्ट्रपति ने उच्च शैक्षिक मानकों को बनाए रखने के लिए उत्कल विश्वविद्यालय की सराहना की और कहा कि उत्कल विश्वविद्यालय को ओडिशा का शैक्षिक आधार कहा जाता है। तक्षशिला, नालंदा, वल्लभी और विक्रमशिला जैसे प्राचीन भारतीय संस्थानों का उदाहरण देते हुए उन्होंने इस महान परंपरा को कौशलपूर्ण विचारों से परिपूर्ण छात्रों से आत्मसात करने और इसे फिरसे वापस लाने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिसके माध्यम से देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में परिवर्तन किया जा सकता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल संज्ञानात्मक विकास नहीं है, अपितु चरित्र निर्माण करना भी है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य छात्रों को 21वीं सदी के प्रमुख कौशल से लैस करते हुए उनके समग्र विकास के माध्यम से उनके भविष्य का निर्माण करना भी होना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने उल्लेख किया कि ओडिशा 62 विभिन्न जनजातीय समुदायों का निवास है, जो राज्य की कुल आबादी का 23 प्रतिशत है।
वेंकैया नायडू ने उनके विकास और कल्याण की प्राथमिकताओं पर जोर देते हुए कहा कि हमें सम्मान और संवेदनशीलता के भाव के साथ जनजातीयों से संपर्क स्थापित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनजातीयों के प्रति पितृसत्तात्मक व्यवहार उचित नहीं है, वास्तविकता यह है कि हमें जनजातीय समुदायों से बहुत कुछ सीखना है, जो प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाते हुए सरल जीवन बिताते हैं। उपराष्ट्रपति ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान के एक अध्ययन का उल्लेख करते हुए बताया कि ओडिशा में जनजातीय आबादी मुख्य रूपसे अद्वितीय प्रथागत प्रथाओं के कारण कोविड-19 महामारी से बची रही है, जनजातियों की परंपराओं में पंक्तियों में चलना और प्राकृतिक भोजन करना शामिल है। उपराष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि जनजातीय समुदायों के ऐसे सकारात्मक पहलुओं को उजागर किया जाना चाहिए और इन्हें विद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने इच्छा जताई कि उत्कल विश्वविद्यालय जैसे संस्थान जनजातीयों के मुद्दों पर शोध करें और उनके विकास और कल्याण के लिए नीति निर्माण में सक्रिय योगदान दें।
उपराष्ट्रपति ने आपदा प्रबंधन को प्रारंभिक स्तरपर ही शिक्षा का अभिन्न अंग बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इससे भविष्य में होने वाली ऐसी किसी भी आपदा का सामना करने के लिए हमें बेहतर रूपसे तैयारी करने का अवसर मिलेगा। उपराष्ट्रपति ने ओडिशा की समृद्ध संस्कृति और इतिहास के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि कलिंग की महान भूमि ने सम्राट अशोक को शांति का पाठ पढ़ाया और इस भूमि पर शासन करने वाले राजाओं ने दक्षिण पूर्व एशिया के साथ अंतर-सांस्कृतिक संबंध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कलिंग की समृद्ध समुद्री परंपराओं को ध्यान में रखते हुए उन्होंने कलिंग के साहसी समुद्री-व्यापारियों की सराहना की, जिन्होंने श्रीलंका, जावा, सुमात्रा, बाली और बर्मा सहित विभिन्न देशों के साथ व्यापार संबंध स्थापित किए। कलिंग के नाविकों और व्यापारियों के कौशल और उद्यमशीलता की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने इच्छा जताई कि युवा पीढ़ी उनसे प्रेरणा लेते हुए एक प्रसन्न और समृद्ध भारत बनाने का प्रयास करे।
वेंकैया नायडू ने ओडिशा के भूमकारा राजवंश के संबंध में भी उल्लेख किया, जिसमें 9वीं-10वीं शताब्दी में महिला शासकों का एक लंबा उत्तराधिकार रहा है, इसे महिला सशक्तिकरण का शानदार उदाहरण बताते हुए उन्होंने युवा पीढ़ी से ऐसी गाथाओं का अध्ययन करने और लैंगिक भेदभाव के साथ-साथ जातिवाद, सांप्रदायिकता और भ्रष्टाचार जैसी अन्य सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ने का संकल्प लेने का आग्रह किया। छात्रों को अगली पीढ़ी के अधिनायक, अधिवक्ता, शिक्षाविद और प्रशासक के रूपमें आह्वान करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि उनका भविष्य इस देश के भविष्य के साथ जुड़ा हुआ है और उन्हें किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए अनुशासित, निष्ठावान और अथक परिश्रम करने की सलाह दी। उन्होंने छात्रों से वंचितों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील होने की अपील की। युवाओं को परिवर्तन की कुंजी बताते हुए उपराष्ट्रपति ने इच्छा जताई कि वे भूख, बीमारी, अज्ञानता और हर उस बुराई का डटकर सामना करें, जो राष्ट्र के विकास को धीमा कर देती है।
उपराष्ट्रपति ने उत्कल विश्वविद्यालय ने पांच प्रतिष्ठित हस्तियों भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक गिरीश चंद्र मुर्मू, उड़ीसा उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति कुमारी संजू पांडा, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ अजीत कुमार मोहंती और ओडिशा सरकार के सलाहकार डॉ बिजया कुमार साहू को सम्मानित किया। इस अवसर पर ओडिशा के राज्यपाल और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रोफेसर गणेशीलाल, ओडिशा के मंत्री डॉ अरुण कुमार साहू, उत्कल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सबिता आचार्य, उत्कल विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ अव्य कुमार नायक, प्रोफेसर, कर्मचारी, अभिभावक और छात्र उपस्थित थे।

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