भारत में शोध कार्य के लिए 6 देशों के छात्रों को फ़ेलोशिप दी गई
फेलोशिप भारत के पड़ोसी देशों के साथ शोध में सहयोग का मंचस्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 6 March 2021 04:21:54 PM
नई दिल्ली। विश्वस्तरीय भारतीय शोध संस्थानों और विश्वविद्यालयों में शोध कार्य करने के लिए 6 देशों के 40 छात्रों को फ़ेलोशिप प्रदान की गई है। इन शोधार्थियों का चयन उनके प्रस्तुत शोध प्रस्ताव, अनुभव, अकादमिक योग्यता, उनके शोध पत्रों के प्रकाशन आदि के आधार पर किया गया है और उन्हें भारतीय विज्ञान एवं अनुसंधान फ़ेलोशिप आईएसआरएफ-2021 के लिए चुना गया है। पड़ोसी देशों के साथ सहयोग और साझेदारी बढ़ाने की भारत की पहल के अंतर्गत भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने एसएंडटी साझेदारी विकसित करने के उद्देश्य से विश्वस्तरीय भारतीय विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में शोध करने के लिए आईएसआरएफ कार्यक्रम का आरंभ अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड के शोधार्थियों के लिए किया है।
अनुसंधान फेलोशिप का क्रियांवयन 2015 से किया जा रहा है और अबतक इसमें युवा शोधार्थियों को सम्मिलित करने के लिए 5 आयोजन किए जा चुके हैं, तबसे लेकर अबतक इन देशों के 128 शोधकर्ताओं को फेलोशिप प्रदान की जा चुकी है। वर्ष 2015 से लेकर 2019 के बीच आईएसआरएफ के तहत फेलोशिप प्राप्त करने वाले शोधार्थियों ने कई गुणवत्तापूर्ण शोधपत्र प्रकाशित कराए हैं और अपने-अपने संबंधित क्षेत्रों से जुड़े सम्मेलनों और संगोष्ठियों में भाग लिया है। कोरोना महामारी के कारण पिछले वर्ष कार्यक्रम के तहत फेलोशिप प्रदान नहीं की गई। आईएसआरएफ कार्यक्रम में भारत के पड़ोसी देशों के युवा शोधकर्ताओं को भारतीय विश्वविद्यालयों और भारतीय शोध संस्थानों में उपलब्ध विश्वस्तरीय शोध सुविधाओं तक पहुंच सुलभ होती है।
शोध कार्य हेतु फेलोशिप भारत के पड़ोसी देशों के साथ शोध क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है, जोकि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग का एक महत्वपूर्ण अंग है। गौरतलब है कि कोरोना महामारी का प्रभाव अभी भी जारी है, इसके बीच फेलोशिप पाने वाले शोध छात्रों को जिस संस्थान में शोध का अवसर प्राप्त हुआ है, उससे और इन संस्थानों के वैज्ञानिकों से वर्चुअल माध्यम से चर्चा करने का अवसर उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि शोधार्थी प्रोत्साहित हों। शोधार्थी भारतीय शोध संस्थानों का दौरा तब कर सकते हैं, जब यात्रा संबंधी प्रतिबंधों को वापस ले लिया जाए और प्रयोगशालाओं में नियमित शोध कार्य करने के अनुकूल वातावरण बन जाए।