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महान संत रविदास समस्त मानवता के हैं-राष्ट्रपति

'समानता और न्याय आधारित राष्ट्र के निर्माण के लिए प्रेरित किया'

श्रीगुरु रविदास विश्व महापीठ राष्ट्रीय अधिवेशन में बोले राष्ट्रपति

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Monday 22 February 2021 11:41:29 AM

president participated in 'sri guru ravidas vishwa mahapeeth national session-2021'

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि संत शिरोमणि रविदासजी जैसे महान संत समस्त मानवता के हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि गुरु रविदास का जन्म भले ही किसी विशेष समुदाय, संप्रदाय या क्षेत्र में हुआ हो, लेकिन उनके जैसे संत ऐसी सभी सीमाओं से ऊपर उठ जाते हैं। उन्होंने कहा कि संत किसी जाति, संप्रदाय या क्षेत्र के नहीं होते, वे ऐसे कदम उठाते हैं, जो पूरी मानवता के कल्याण के लिए होते हैं, संतों का आचरण सभी तरह के भेदभाव और विचारधाराओं से परे होता है। राष्ट्रपति ने 21 फरवरी को नई दिल्ली में 'श्रीगुरु रविदास विश्व महापीठ राष्ट्रीय अधिवेशन-2021' को संबोधित करते हुए ये उद्गार व्यक्त किए।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रसन्नता व्यक्त की कि सामाजिक न्याय, समानता और बंधुत्व जैसे गुरु रविदास के दर्शन और मूल्यों को हमारे संवैधानिक मूल्यों में समाविष्ट किया गया है और हमारे संविधान के मुख्य निर्माता डॉ भीमराव आंबेडकर ने गुरु रविदासजी के मूल्यों के इर्द-गिर्द संवैधानिक सिद्धांतों को सन्निहित किया। राष्ट्रपति ने कहा कि संत रविदास ने अपने प्रेम और करुणा की परिधि से समाज के किसी भी व्यक्ति या वर्ग को वंचित नहीं किया, उनके विचार से अगर संतों को किसी एक विशिष्ट समुदाय के साथ जोड़ा जाता है तो यह समावेशन के ही सिद्धांत के विरूद्ध होगा, जिसका स्वयं संत रविदास ने प्रचार किया था, इसलिए लोगों के लिए अपनी सोच और दृष्टिकोण को बदलना आवश्यक है। राष्ट्रपति ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों में समाज के सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाने चाहिएं। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से देश में सामाजिक समानता और सद्भाव बढ़ाने में सहायता मिलेगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि गुरु रविदास ने एक ऐसे समाज की परिकल्पना की थी, जो समानता पर आधारित हो और किसी भी प्रकार के भेदभाव से मुक्त हो, उन्होंने इसे ‘बे-गमपुरा’ अर्थात वह नगर जहां किसी प्रकार के दुःख या भय का कोई स्थान नहीं है का नाम दिया, ऐसा एक आदर्श नगर भय, निर्बलता या अभाव से मुक्त होगा, समानता और सर्वकल्याण जैसे सही विचारों पर आधार कानून का नियम शासन का सिद्धांत होगा, केवल वैसे व्यक्तियों को जिन्होंने इस प्रकार के नगर के विजन का समर्थन किया था, उन्हें ही गुरु रविदास ने अपना सच्चा मित्र माना था। राष्ट्रपति ने कहा कि वास्तव में गुरु रविदास भारत के विजन को बे-गमपुरा नगर के रूपमें अभिव्यक्त कर रहे थे, वह अपने समकालीन समाज को समानता और न्याय पर आधारित राष्ट्र बनाने के लिए प्रेरित कर रहे थे। राष्ट्रपति ने कहा कि यह सभी नागरिकों का कर्तव्य है कि वे ऐसे समाज और राष्ट्र निर्माण के लिए एकसाथ काम करें और संत रविदास के सच्चे मित्र कहलाने के योग्य बनें।

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