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भारत में गैस आधारित अर्थव्यवस्था का विस्तार

प्रधानमंत्री ने कोच्चि-मंगलुरू गैस पाइपलाइन राष्ट्र को समर्पित की

'केरल और कर्नाटक के लोगों का जीवन बेहतर और आसान होगा'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 6 January 2021 02:12:12 PM

narendra modi dedication of the kochi-mangaluru natural gas pipeline to the nation

कोच्चि/ मंगलुरू। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोच्चि-मंगलुरू प्राकृतिक गैस पाइपलाइन राष्ट्र को समर्पित कर दी है। वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से प्रधानमंत्री ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि यह दिन केरल और कर्नाटक के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि आज दो राज्य प्राकृतिक गैस पाइपलाइन से जुड़ गए हैं। उन्होंने कहा कि इस पाइपलाइन का दोनों राज्यों के आर्थिक विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि गैस आधारित अर्थव्यवस्था का तेजी से विस्तार करना आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है, इसी कारण सरकार एक देश-एक गैस ग्रिड को प्रोत्साहित कर रही है। प्रधानमंत्री ने पाइपलाइन के लाभ बताते हुए कहा कि यह पाइपलाइन दोनों राज्यों में लोगों के जीवनयापन को बेहतर और आसान बनाएगी तथा दोनों राज्यों के ग़रीब, मध्यमवर्गीय तथा उद्यमी लोगों के खर्च में कमी लाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह गैस पाइपलाइन अनेक शहरों में गैस वितरण प्रणाली और सीएनजी आधारित परिवहन प्रणाली का आधार बनेगी। उन्होंने कहा कि पाइपलाइन मंगलौर रिफाइनरी को स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करेगी और दोनों राज्यों में प्रदूषण कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदूषण में कटौती का प्रत्यक्ष प्रभाव लाखों पौधे लगाने जैसे पर्यावरण पर पड़ेगा और इससे लोगों के स्वास्थ्य में सुधार होगा और उनके स्वास्थ्य संबंधी खर्च में कमी होगी। उन्होंने कहा कि कम प्रदूषण तथा स्वच्छ वायु से शहर में अधिक पर्यटक आकर्षित होंगे। उन्होंने बताया कि पाइपलाइन बनने से 1.2 मिलियन मानव दिवस का रोज़गार सृजन हुआ है, इसके चालू हो जाने के बाद रोज़गार तथा स्वरोज़गार का इकोसिस्टम विकसित होगा, जिससे उर्वरक, पेट्रो रसायन तथा विद्युत क्षेत्र को मदद मिलेगी, इससे देश के लिए हजारों करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत करने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्वभर के विशेषज्ञ कहते हैं कि 21वीं शताब्दी में जो देश कनेक्टिविटी तथा स्वच्छ ऊर्जा पर बल देगा, वह नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि देश में कनेक्टिविटी के मामले में जिस गति से काम हो रहा है, वैसी गति पहले के दशकों में कभी नहीं देखी गई। उन्होंने कहा कि 2014 से पहले 27 वर्ष में केवल 15 हजार किलोमीटर गैस पाइपलाइन बिछाई गई, अब देशभर में 16,000 किलोमीटर से अधिक पाइपलाइन बिछाई जा रही है और यह काम अगले 5-6 वर्ष में पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने सीएनजी ईंधन स्टेशन, पीएनजी कनेक्शन तथा एलपीजी कनेक्शन जिस तरह बढ़ाए वैसा पहले कभी नहीं देखा गया। उन्होंने कहा कि इन बढ़े हुए कनेक्शनों से मिट्टी तेल के अभाव में कमी आई है और अनेक राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों ने अपने आपको मिट्टी तेल मुक्त घोषित कर दिए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 से सरकार ने तेल और गैस क्षेत्र में अनेक सुधार कार्यक्रम चलाए हैं, जिसमें खोज और उत्पादन, प्राकृतिक गैस मार्केटिंग और वितरण को कवर किया गया है। उन्होंने घोषणा की कि सरकार की योजना एक देश-एक गैस ग्रिड के लक्ष्य को हासिल करने तथा गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने की है, क्योंकि गैस के अनेक पर्यावरण लाभ हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने भारत के ऊर्जा बाजार में प्राकृतिक गैस में छह प्रतिशत के योगदान को 15 प्रतिशत करने के लिए नीतिगत कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि गेल की कोच्चि-मंगलुरू प्राकृतिक गैस पाइपलाइन को समर्पित किया जाना एक देश-एक गैस ग्रिड की दिशा में हमारी यात्रा का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि स्वच्छ ऊर्जा बेहतर भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है, इस पाइपलाइन से स्वच्छ ऊर्जा पहुंच में सुधार होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं की तैयारी के प्रयास किए जा रहे हैं, इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक ओर जहां प्राकृतिक गैस पर फोकस किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर ऊर्जा स्रोतों को विविध बनाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सिलसिले में गुजरात में प्रस्तावित विश्व के सबसे बड़े नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र का उदाहरण दिया और जैव ईंधन पर बल दिया। उन्होंने कहा कि चावल तथा गन्ने से इथनॉल निकालने के लिए काम चल रहा है। उन्होंने बताया कि दस वर्ष में पेट्रोल में 20 प्रतिशत तक इथनॉल मिलाने का लक्ष्य तय किया गया है, सरकार सभी नागरिकों को रियायती, प्रदूषण मुक्त ईंधन तथा बिजली उपलब्ध कराने के प्रति संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक, केरल तथा अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों जैसे तटीय राज्यों में नीली अर्थव्यवस्था विकसित करने के लिए व्यापक योजना चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि नीली अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भर भारत का महत्वपूर्ण स्रोत होगी, बंदरगाहों तथा तटीय सड़कों को कनेक्ट किया जा रहा है और इसका फोकस मल्टीमोड कनेक्टिविटी पर है। उन्होंने कहा कि हम अपने तटीय क्षेत्र को जीवनयापन की सुगमता तथा व्यावसायिक सुगमता के रोल मॉडल में बदलने के उद्देश्य से काम कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने तटीय क्षेत्रों के मछुआरा समुदाय की चर्चा की जो न केवल समुद्री धन पर निर्भर हैं, बल्कि इसके रक्षक भी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने तटीय इकोसिस्टम के संरक्षण और समृद्धि के लिए अनेक कदम उठाए हैं, इन कदमों में गहरे समुद्र में काम करने वाले मछुआरों की सहायता, अलग मछली पालन विभाग, किफायती ऋण प्रदान करना तथा मछली पालन के काम में लगे लोगों को किसान क्रेडिट कार्ड देना शामिल है, इससे उद्यमियों तथा सामान्य मछुआरों को मदद मिल रही है। प्रधानमंत्री ने हाल में लॉंच की गई 20 हजार करोड़ रुपए की मत्स्य संपदा योजना की भी चर्चा की, इससे केरल तथा कर्नाटक में लाखों मछुआरे प्रत्यक्ष रूपसे लाभांतित होंगे। उन्होंने कहा कि भारत मछली उत्पाद निर्यात में तेजी से प्रगति कर रहा है, भारत को गुणवत्ता सम्पन्न सी फूड प्रोसेसिंग हब में बदलने के सभी कदम उठाए जा रहे हैं, भारत समुद्री शैवाल की बढ़ती मांग पूरी करने में प्रमुख भूमिका निभा सकता है, क्योंकि किसानों को समुद्री शैवाल लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। कार्यक्रम में कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा तथा केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन तथा केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी शामिल हुए।

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