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राष्ट्रहित के विपरीत विचारधारा हानिकारक-मोदी

प्रधानमंत्री ने जेएनयू में स्वामी विवेकानंद की मूर्ति का अनावरण किया

छात्रों के समक्ष अपनी सरकार के सुधार एजेंडे की रूपरेखा भी रखी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 13 November 2020 12:58:41 PM

narendra modi unveiling a statue of swami vivekananda at jawaharlal nehru university campus

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से जेएनयू परिसर नई दिल्ली में स्वामी विवेकानंद की मूर्ति का अनावरण किया। प्रधानमंत्री ने आशा जताई कि जेएनयू में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा हर एक को प्रेरित करेगी और साहस देगी, जो स्वामी विवेकानंद सभी लोगों में चाहते थे। नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह प्रतिमा दया भाव की शिक्षा देगी, हमें राष्ट्र के प्रति समर्पण भाव और देश प्रेम की शिक्षा देगी, राष्ट्र को एकता के धागे में बंधे रहने के लिए प्रेरित करेगी और युवाओं के नेतृत्व में विकास के लिए आगे बढ़ने को हमें प्रेरित करेगी, जोकि स्वामीजी की अपेक्षा थी। उन्होंने कहा कि स्वामीजी की यह प्रतिमा हमें सशक्त और समृद्ध भारत के स्वप्न को साकार करने के लिए सदैव प्रेरित करती रहेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेएनयू छात्रों और देश के युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय हित के विपरीत विचारधारा को लाना हानिकारक है, इस सोच ने हमारे देश की लोकतांत्रिक प्रणाली को व्यापक नुकसान पहुंचाया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय हित के मामलों में मेरी विचारधारा यह कहती है, इसलिए मैं इस विचारधारा के अनुरूप सोचूंगा और उसी के अनुरूप काम करूंगा, यह एक गलत परंपरा है। उन्होंने जोर दिया कि किसी विचारधारा का समर्थक होना स्वाभाविक है और उसके लिए हमें गर्व होना चाहिए, लेकिन जहां बात राष्ट्रीय हितों की आती है, वहां विपरीत विचारधारा के लोगों को भी एकसाथ राष्ट्र के लिए खड़े होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश के इतिहास में जब भी देश के समक्ष विषम परिस्थितियां पैदा हुई हैं, हर एक विचारधारा के लोग राष्ट्र की भलाई के लिए एकसाथ आगे आए हैं। उन्होंने कहा कि देश के स्वतंत्रता संघर्ष में महात्मा गांधी के नेतृत्व में हर एक विचारधारा के लोगों ने मिलकर काम किया, वे देश के लिए मिलकर लड़े।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यही स्थितियां उस समय भी देखने को मिलीं, जब देश में आपातकाल लगाया गया, जिसके विरुद्ध आंदोलन में कई पूर्व कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए, इस आंदोलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता और जनसंघ से जुड़े लोग जुड़े, साथ ही समाजवादी और वामपंथी विचारधारा के लोग भी आपातकाल के विरुद्ध एक स्वर में संघर्ष के लिए आगे बढ़े। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस उद्देश्य से एकजुट होने के लिए किसी को भी अपनी विचारधारा से समझौता करने की आवश्यकता नहीं होती है, केवल एक ही लक्ष्य, एक ही उद्देश्य होता है राष्ट्र का हित, इसलिए जब भी प्रश्न राष्ट्रीय एकता, अखंडता और राष्ट्रीय हित का हो तब अलग-अलग विचारधाराओं के आधार पर फैसले नहीं लिए जाने चाहिएं, इससे राष्ट्र का नुकसान होता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया कि विचारों के साझा किए जाने और नए विचारों के प्रवाह को निर्बाध रखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारा देश दुनिया में एक ऐसा देश है, जहां विभिन्न मतों के समृद्ध विचारों का अंकुरण होता है और यह आवश्यक है कि देश का युवा इस परंपरा को और मजबूत करे। नरेंद्र मोदी ने कहा कि इसी परंपरा के कारण भारत एक समृद्ध लोकतांत्रिक व्यवस्था का पोषक बना हुआ है। प्रधानमंत्री ने छात्रों के समक्ष अपनी सरकार के सुधार एजेंडे की रूपरेखा रखी। प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत के विचार का उल्लेख करते हुए कहा कि यह अब 130 करोड़ भारतीयों की महत्वाकांक्षा बन गया है। प्रधानमंत्री ने जेएनयू के छात्रों से आग्रह किया कि वे इसपर विचार करें कि अच्छी सुधार और बुरी राजनीति की धारणा को बदलकर अच्छे सुधार और अच्छी राजनीति में कैसे बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जारी सुधारों को लागू करने से पहले एक सुरक्षा जाल सृजित किया जाता है, जोकि विश्वास पर आधारित है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लंबे समय से गरीबों को सिर्फ नारों तक सीमित रखा गया और उन्हें देश की व्यवस्था से जोड़ने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किए गए, अब तक देश के गरीब लोग सबसे ज्यादा उपेक्षित, व्यवस्था से कटे हुए और आर्थिक रूपसे व्यवस्था से बाहर रखे गए। उन्होंने कहा कि आज ग़रीब को पक्का मकान मिल रहा है, शौचालय, बिजली, गैस, पीने का स्वच्छ पानी, डिजिटल बैंकिंग व्यवस्था, सस्ता मोबाइल संपर्क और तेज इंटरनेट जैसी मूलभूत सुविधाओं का लाभ पा रहा है, यह सुरक्षा तंत्र गरीबों के इर्द-गिर्द बुना गया, जोकि उनकी महत्वाकांक्षाओं की उड़ान के लिए आवश्यक था। उन्होंने कहा कि ठीक इसी तरह से बेहतर सिंचाई बुनियादी ढांचा, मंडियों का आधुनिकीकरण, ई-नाम, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, यूरिया की उपलब्धता और अच्छा न्यूनतम समर्थन मूल्य भी सुरक्षा का ताना-बाना है, जो किसानों के लिए बुना गया, सरकार ने पहले उनकी आवश्यकताओं के लिए काम किया और अब उनकी महत्वाकांक्षाओं के लिए काम कर रही है।

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