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'चंद्रास्वामी की दोबारा उदय होने की तैयारी '

आलोक तोमर

आलोक तोमर

चंद्रास्वामी-chhandraswami

नई दिल्ली। मायावी तंत्र के 'महान कलाकार' चंद्रास्वामी को एलिजाबेथ टेलर के बाद पहली स्टार शिष्या मिल गई है। एक बहुत गुप-चुप मुलाकात में अपनी अभिनय क्षमता की बजाय अब आईपीएल से जुड़ाव के कारण मशहूर हुई प्रीति जिंटा पिछले कुंभ के दौरान चंद्रा स्वामी से मिलने गई थी और काफी देर एकांत में उनके साथ बात करने के बाद एक छोटा सा महायज्ञ भी करवाया था। इसके पहले बीते जमाने के कई बड़े सितारों को चंद्रास्वामी के आलीशान आश्रम में देखा गया था। इनमें राजेश खन्ना भी थे, आशा पारिख भी थीं और चंकी पांडे जैसे छोटे-मोटे एक्टर भी थे। चंद्रास्वामी का इस बार का वनवास कुछ ज्यादा लंबा हो गया। लंदन के भारतीय व्यापारी लखू भाई पाठक को ठगने के इल्जाम में और उनसे पी वी नरसिंह राव के नाम पर पैसे वसूलने के मामले में चंद्रास्वामी को उनके स्वयं घोषित शिष्य नरसिंह राव ने ही मजबूरी में जेल भिजवाया था। चंद्रास्वामी का साथ उनके तब के सचिव और अब संसार छोड़ चुके कैलाश नाथ अग्रवाल उर्फ मामा जी ने दिया था और दोनों बारी बारी से तिहाड़ जेल में रहे थे।
अब चंद्रास्वामी को दूसरों से कुछ ज्यादा जानने का दावा अपन कर सकते हैं। उनके साथ देश-परदेस भी घूमा है और इसको ले कर कोई लज्जा नहीं है। इन यात्राओं में अरुण शौरी जैसे आदर्श संपादक और जैन टीवी वाले घनचक्कर जेके जैन भी हुआ करते थे। चंद्रास्वामी के चरणों में टीएन शेषन जैसे कड़क अफसर को भी बैठे देखा है और कैप्टन सतीश शर्मा को भी। कम से कम दो दर्जन केंद्रीय मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को चंद्रास्वामी के जन्मदिन पर उपहार और गुलदस्ते लिए लाइन में लगे भी देखा है। जिन दिनों चंद्रास्वामी के शिष्य नरसिंह राव उन दिनों रेसकोर्स रोड पर ही रहने वाले अपने मंत्री अर्जुन सिंह से दुखी थे तो चंद्रास्वामी के कहने पर अजीत जोगी और मैने उनकी मुलाकात अर्जुन सिंह के घर तीन बार करवाई है और बाद में श्रीमती अर्जुन सिंह अड़ गईं तो आगे की मुलाकातें नहीं हुईं।
महागुरू चंद्रास्वामी पर बहुत सारे इल्जाम हैं जिनमें राजीव गांधी हत्याकांड के अभियुक्तों की मदद करने का आरोप भी शामिल है। भारत सरकार ने इस हत्याकांड की जांच के लिए मिलाप चंद्र जैन आयोग बैठाया था जिसने लगभग छह सौ पन्नों में यह साबित करने की कोशिश की कि चंद्रास्वामी राजीव गांधी की हत्या का षडयंत्र रचने वाले शिवरासन के मददगार थे और हत्या के बाद शिवरासन को विदेश भेजने का इंतजाम भी उन्होंने करवाया था जो पूरा नहीं हो सका। जैन आयोग की यह रिपोर्ट अच्छी खासी कल्पना शक्ति से भरपूर है और देश की किसी भी अदालत ने इस रिपोर्ट को विश्वसनीय नहीं माना।
चंद्रास्वामी का उदय महागुरु बनने के पहले राजनीति में हुआ था। नरसिंह राव जब आंध्र प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे तो उन्होंने युवा चंद्रास्वामी को- उनका नाम तब नेमि चंद्र जैन हुआ करता था- हैदराबाद युवा कांग्रेस का महासचिव बनाया था। इसके बाद चंद्रास्वामी दिल्ली आ गए और उस समय युवा कांग्रेस के महासचिव और मध्य प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता रहे महेश जोशी के बंगले के बाहर नौकरों वाले क्वार्टर में उन्हें जगह मिल गई थी। फिर पता चला कि चंद्रास्वामी अमर मुनि नामक एक साधु के शिष्य हो गए हैं और बिहार-नेपाल सीमा पर तांत्रिक साधना कर रहे हैं। कुछ दिन बाद वे गुरू चंद्रास्वामी बन कर प्रकट हुए और जैसाकि आपको भी मालूम है कि बाद में चलकर राजा-महाराजाओं की एक लाइन उनकी भक्ति और चमत्कारों में लीन हो गई।
उस समय प्रकाश चंद्र सेठी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। तभी दिल्ली से खबर आई कि सेठीजी, इंदिरा गांधी के नाश के लिए उज्जैन के महाकाल मंदिर में एक तांत्रिक यज्ञ करवा रहे हैं। चंद्रास्वामी उन दिनों दक्षिण दिल्ली की एक छोटी सी कॉलोनी नानकपुरा में रहा करते थे। उस समय उनका एक शिष्य बन गया था जो कैलाश नाथ अग्रवाल नाम के कानपुर से आए व्यापारी का भांजा था। कैलाश नाथ अग्रवाल, कांग्रेस के राजकुमार संजय गांधी के दरबार में उठते-बैठते थे। भांजे ने मामा से कहा और मामा ने एक महान तांत्रिक के तौर पर चंद्रास्वामी का परिचय संजय गांधी से करवाया, इसलिए मामा जी आजीवन मामा जी कहे जाते रहे। संजय गांधी ने चंद्रास्वामी को एक विशेष विमान दे कर जवाबी तांत्रिक साधना करने के लिए कहा और संयोग से प्रकाश चंद्र सेठी को दिल का दौरा पड़ गया। फिर क्या था-चंद्रास्वामी की ख्याति रातों-रात स्थापित हो गई थी और वे महान तांत्रिक गुरू चंद्रास्वामी बन गए। इसके बाद तो इंदिरा गांधी के दरबार में नरसिंह राव के एक तरह से वे अभिभावक ही बन गए।
फिर शुरू हुआ उनकी विदेश यात्राओं का सिलसिला। चंद्रास्वामी को अंग्रेजी आज भी नहीं आती। उस समय मामा जी ही उनकी तरफ से बात किया करते थे। प्रसिद्ध वैद्य बृहस्पति देव त्रिगुणा भी उनके साथ में जाते थे और विदेशी भक्तों को चंद्रास्वामी उनकी दवाईयां भभूत कह कर खिलाते थे। ऐसी ही एक खुराक से प्रसिद्व अभिनेत्री और सात शादियों का रिकॉर्ड बनाने वाली एलिजाबेथ टेलर को आराम मिला तो चंद्रास्वामी हॉलीवुड में हिट हो गए। फिर दुनिया के सबसे रईस आदमी ब्रुनई के सुल्तान उनके परम शिष्यों में शामिल हुए। इसके बाद शाह फहद आए जिनके बेटे के साथ ब्रिटेन की राजकुमारी डायना दुर्घटना में मारी गई थीं। लंदन के प्रसिद्ध हैराड्स मेगा स्टोर की खरीद में भी चंद्रास्वामी ने दलाली खाई और फिर दुनिया का सबसे बड़ा हथियार दलाल अदनान खाशोगी भी चंद्रास्वामी के संपर्क में आ गया। खाशोगी को सात करोड़ रुपए विदेशी मुद्रा में देने का मामला चंद्रास्वामी पर वर्षों तक चला और अभी हाल में ही खत्म हुआ है।
अब तो चंद्रास्वामी का अपना शानदार आश्रम है, मगर जब वे हिट हो गए थे और नरसिंह राव की सरकार थी तो जिस कोठी को किराए पर ले कर वे विश्व धर्मायतन आश्रम बना कर रहते थे उसके मालिक देश के मशहूर पहलवान दारा सिंह थे। दारा सिंह भक्त भी थे इसलिए किराया लेते थे या नहीं, यह कोई नहीं जानता। इसी आश्रम से चंद्रास्वामी रोज नरसिंह राव से मिलने प्रधानमंत्री निवास जाते थे और वे उन दुर्लभ लोगों में से थे जिनकी कार बगैर जांच के अंदर तक जाती थी। नरसिंह राव के जमाने में चंद्रास्वामी को सुपर प्रधानमंत्री कहा जाता था। झारखंड मुक्ति मोर्चा के वोट खरीदने के लिए चंद्रास्वामी ने कैप्टन सतीश शर्मा के साथ मिल कर अभियान चलाया था और यह बात अदालत में साबित हो चुकी है।
चंद्रास्वामी का फिर अचानक मामा जी से मोहभंग हो गया। नए सचिव की तलाश हुई। इसके लिए नए लोग आने लगे। इनमें बबलू श्रीवास्तव भी था जिसे चंद्रास्वामी के शयन कक्ष में बगैर पूछे जाने की इजाजत थी। मगर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति करने वाले विक्रम सिंह बबलू श्रीवास्तव को इस प्रतियोगिता में हरा कर आगे बढ़ गए और अब वे चंद्रास्वामी के दरबार में सबसे ताकतवर हैं। इन बुरे दिनों में भी विक्रम सिंह एक फॉर्म हाउस के मालिक हैं और बैंक में कितना पैसा है इसका हिसाब सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रवर्तन निदेशालय ने सवा करोड़ रुपए के हवाई टिकट विक्रम सिंह के द्वारा खरीदे गए बताए हैं।
चंद्रास्वामी को सिर्फ अंग्रेजी ही नहीं आती हो ऐसा भी नहीं है। तंत्र में भी उनकी कोई खास गति नहीं हैं। लेकिन मामा जी जैसे सफल सेल्स मैन ने चंद्रास्वामी को जादू टोने और हाथ की सफाई के कुछ गुर सिखाए और देश-विदेश में उनकी जम कर बोली लगाई और बिक्री की। मगर बाद में उनको भी हटना पड़ा क्योंकि शायद वे रहस्य कुछ ज्यादा ही जान गए थे। चंद्रास्वामी को जहां समझौते करने होते हैं वहां वे करते हैं। जब राजीव गांधी उन्हें भाव नहीं दे रहे थे तो उन्होंने अपने आपको गांधीवंश का शुभचिंतक बताते हुए उनके लिए एक लंबा पत्र लिखा था और इसमें वायदा किया था कि बोफोर्स मामले के उनके पक्ष में सबूत ला कर वे दे सकते हैं। इस पत्र का अंग्रेजी अनुवाद भी मैंने किया था और उसे राजीव गांधी के पास पहुंचाया भी मैंने ही था और जब राजीव गांधी ने कहा कि मैं इस आदमी से दूर रहना चाहता हूं तो पत्र को सार्वजनिक करने के लिए एक अंग्रेजी पत्रिका और एक साप्ताहिक अंग्रेजी अखबार में छपवाया भी मैने था।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की सरकार गिरा कर चंद्रास्वामी के शिष्य रोमेश भंडारी ने जब जगदंबिका पॉल को मुख्यमंत्री बना दिया और प्रधानमंत्री की शपथ ले चुके अटल बिहारी वाजपेयी आमरण अनशन पर बैठ गए तो चंद्रास्वामी ने फैक्स पर कल्याण सिंह का समर्थन करने के लिए कई सौ विधायकों की चिट्ठियां फैक्स पर मंगा कर अटलजी तक पहुंचाने के लिए मुझे सौंप दीं। शर्त सिर्फ यह थी कि अटलजी एक बार फोन पर बात कर लें। अटलजी जो एक बार चंद्रास्वामी के साथ न्यूयॉर्क जा कर खुद अदनान खाशोगी के अतिथि बन चुके थे, चंद्रास्वामी का धन्यवाद तक कहने को राजी नहीं हुए और कहा कि मैं नरसिंह राव नहीं बनना चाहता। मगर चंद्रास्वामी दुनियादार हैं यह बात इसी से जाहिर हो जाती है। एक समय, देश-दुनिया के बड़े-बड़े 'राजयोगियों' पर चंद्रास्वामी ने इतना प्रभावशाली सम्मोहन यंत्र चलाया हुआ था कि बड़े-बड़े आचार्यों के भाव गिर गए। 'समय' के ही अचूक फेर में स्वामीजी को तिहाड़ जेल भी जाना पड़ा। http://www.datelineindia.com/ 

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