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सीबीडीटी और सीबीआईसी करेंगे डेटा शेयर

दोनों संगठनों के अधिकारियों की मौजूदगी में एमओयू साइन

नरेंद्र मोदी सरकार का आर्थिक अपराधों पर सख्त शिकंजा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 21 July 2020 06:12:48 PM

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नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार आर्थिक अपराधों पर अपना शिकंजा कसती जा रही है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने आज एक सहमतिपत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्‍य दोनों संगठनों के बीच डेटा का सहज आदान-प्रदान सुनिश्चित करना है। सीबीडीटी के अध्यक्ष प्रमोद चंद्र मोदी और सीबीआईसी के अध्यक्ष एम अजीत कुमार ने दोनों संगठनों के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए। यह एमओयू वर्ष 2015 में सीबीडीटी और तत्कालीन केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के बीच हस्‍ताक्षरित एमओयू का स्‍थान लेगा।
ज्ञातव्य है कि वर्ष 2015 में पिछले एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद से लेकर अब तक कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम हो चुके हैं, जिनमें जीएसटी को लागू करना, जीएसटीएन को सम्मिलित करना और केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) का नाम बदलकर केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) कर देना शामिल हैं। प्रौद्योगिकी में प्रगति सहित बदलती परिस्थितियों को आज हस्ताक्षरित एमओयू में विधिवत सम्मिलित किया गया है। एमओयू से सीबीडीटी और सीबीआईसी के बीच डेटा और सूचनाओं का स्वत: एवं नियमित रूपसे आदान-प्रदान संभव होगा। डेटा के नियमित आदान-प्रदान के अलावा सीबीडीटी और सीबीआईसी अनुरोध किए जाने पर तत्‍काल अपने संबंधित डेटाबेस में उपलब्ध ऐसी किसी जानकारी का भी एक-दूसरे के साथ आदान-प्रदान करेंगे, जिसकी उपयोगिता दूसरे संगठन के लिए हो सकती है।
यह एमओयू हस्ताक्षर किए जाने की तिथि से ही लागू भी हो गया है। यह सीबीडीटी और सीबीआईसी की एक सतत पहल है। ये दोनों संगठन पहले से ही विभिन्न मौजूदा व्‍यवस्‍थाओं के माध्यम से आपस में सहयोग करते आ रहे हैं। इस पहल के लिए एक ‘डेटा आदान-प्रदान संचालन समूह’ का भी गठन किया गया है, जो डेटा आदान-प्रदान की स्थिति की समीक्षा करने एवं डेटा साझाकरण व्‍यवस्‍था की प्रभावशीलता को और बेहतर बनाने के लिए समय-समय पर बैठक करेगा। यह सहमति-पत्र दरअसल सीबीडीटी और सीबीआईसी के बीच सहयोग एवं आपसी सामंजस्‍य के एक नए दौर की शुरुआत का प्रतीक माना जा रहा है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय आर्थिक अपराधों पर कड़ी निगरानी किए हुए है और ऐसे सभी दरवाजों को बंद करने की कवायद जारी है, जहां से आर्थिक भ्रष्टाचार का आवागमन जारी है। यह समझौता इस दृष्टि से और भी ज्यादा महत्वपूर्ण था।

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