स्वतंत्र आवाज़
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हमारी मातृभूमि कोई नहीं कब्जा सकता-प्रधानमंत्री

भारतीय सीमा पर सेना को हर आवश्यक कदम उठाने की स्वतंत्रता

भारत और चीन के हालात पर सर्वदल प्रधानमंत्री के साथ खड़े

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 20 June 2020 05:32:06 PM

narendra modi holding an all party meeting discuss the situation in india-china border

नई दिल्ली। भारत-चीन सीमा पर जो युद्ध के हालात हैं, उनपर देश के सभी राजनीतिक दलों ने कोई भी निर्णय लेने के लिए मोदी सरकार को स्वतंत्रपूर्ण समर्थन व्यक्त किया है। सर्वदलीय बैठक में देश के राजनीतिक दलों के अध्यक्षों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा हैकि वे इस मामले में सरकार के सभी निर्णयों और भारतीय सीमाओं की रक्षा में लगे सैनिकों के साथ एकजुट हैं और सेना के साहस एवं बहादुरी पर पूरा भरोसा रखते हैं। सर्वदलीय बैठक वीडियो कॉंफ्रेंस के माध्यम से हुई। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह शहीदों के परिवारों को भरोसा दिलाना चाहते हैं कि पूरा देश उनके साथ खड़ा है। प्रधानमंत्री ने बैठक की शुरुआत में ही स्पष्ट कर दिया थाकि न तो किसी ने भारतीय सीमा में प्रवेश किया है और न ही किसी भी भारतीय पोस्ट पर कब्जा किया है। उन्होंने कहा कि हमारे 20 बहादुर जवानों ने लद्दाख में राष्ट्र के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है, लेकिन उन्होंने उन लोगों को सबक भी सिखाया है, जिन्होंने हमारी मातृभूमि की ओर देखने का दुस्साहस किया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र सैनिकों के साहस और बलिदान को हमेशा याद रखेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एलएसी पर चीन की छलपूर्ण नीतियों से पूरा देश आहत और आक्रोशित है। उन्होंने सर्वदलीय नेताओं को भरोसा दिलाया कि हमारे सैन्यबल देश की रक्षा में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, चाहे हमारी जमीन, समुद्र और हवाई तैनाती हो, कार्रवाई हो या कोई जवाबी कार्रवाई हो, हम देश की रक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत आज इतना सक्षम है कि कोई भी उसकी एक इंच जमीन की ओर भी देखने का दुस्साहस नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना किसी भी क्षेत्र में जाने में सक्षम है, सेना को हर आवश्यक कदम उठाने की स्वतंत्रता दी गई है, सेना के लिए लड़ाकू विमानों, आधुनिक हेलिकॉप्टरों, मिसाइल रक्षा प्रणालियों और अन्य आवश्यकताओं का प्रावधान भी किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने राजनयिक माध्यम से चीन के सामने अपना रुख पूरी तरह साफ कर दिया है और भारत शांति और मित्रता चाहता है, लेकिन हमारे लिए सम्प्रभुता सबसे अहम है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार अपनी सीमाओं को ज्यादा सुरक्षित करने के लिए सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी ढांचे के विकास को प्रमुखता दे रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एलएसी पर हाल में विकसित बुनियादी ढांचे और पैट्रोलिंग क्षमता से हमें एलएसी पर होने वाले घटनाक्रमों के बारे में ज्यादा जानकारी मिलती है और इस क्रम में हम निगरानी करने तथा प्रतिक्रिया देने में ज्यादा सक्षम हुए हैं। उन्होंने कहा कि पहले जहां उनकी आवाजाही बिना किसी व्यवधान के होती थी, वहीं अब हमारे जवान जांच करते हैं, जिसके चलते कई बार तनाव बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि बेहतर बुनियादी ढांचे से दुर्गम इलाकों में जवानों के लिए सामग्री और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति तुलनात्मक रूपसे ज्यादा आसान हो गई है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्र और नागरिकों के कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि चाहे यह व्यापार और संपर्क हो या आतंकवाद का विरोध हो, सरकार हमेशा ही बाहरी दबाव के सामने मजबूती से खड़ी रही है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए तेजगति से कार्य किए जाएंगे। उन्होंने देश की सीमाओं की रक्षा में सैन्यबलों की क्षमता के प्रति सर्वदलीय नेताओं को फिरसे भरोसा दिलाया और दोहराया कि सभी आवश्यक कदमों के लिए सेना को पूरी स्वतंत्रता दे दी गई है।
सर्वदलीय बैठक में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि राष्ट्र शहीदों के बलिदान को कभी नहीं भूलेगा। विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने सीमा प्रबंधन पर भारत और चीन के बीच हुए समझौतों का संक्षिप्त विवरण दिया। उन्होंने बताया कि 2014 में प्रधानमंत्री ने 1999 में कैबिनेट के चिन्हित और स्वीकृत सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए थे। उन्होंने हाल के घटनाक्रमों का विवरण भी साझा किया। राजनीतिक दलों के नेताओं ने लद्दाख में सैन्यबलों की बहादुरी की प्रशंसा की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा जाहिर किया और सरकार के साथ एकजुट रहने की प्रतिबद्धता प्रदर्शित की। उन्होंने हालात से निपटने पर अपने विचार और राय भी साझा कीं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनका दल सरकार के साथ मजबूती के साथ खड़ा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि नेताओं के बीच किसी प्रकार के मतभेद नहीं होने चाहिएं और दलों के बीच एकता का अभाव भी नहीं होना चाहिए, जिसका दूसरे देश फायदा उठा सकें। चिराग पासवान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश सुरक्षित महसूस करता है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री की प्रशंसा की और कहा कि पूरा देश एकजुट है और उनके साथ है।
कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि भारत-चीन के बीच विवाद ब्योरे को लेकर नेता अभी तक अंधेरे में हैं। उन्होंने खुफिया रिपोर्ट तथा अन्य संबंधित मामलों को लेकर भी नरेंद्र मोदी सरकार से सवाल किए। शरद पवार ने इस मुद्दे पर जोर दिया कि जवान कहां क्या हथियार रखेंगे या नहीं रखेंगे, इसका फैसला अंतर्राष्ट्रीय समझौतों से होता है, राजनीतिक दलों को ऐसे मामलों से जुड़ी संवेदनशीलता का सम्मान करने की जरूरत है। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने कहा कि प्रधानमंत्री पूर्वोत्तर क्षेत्र में बुनियादी ढांचे पर काम कर रहे हैं और यह जारी रहना चाहिए। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि यह राजनीति करने का समय नहीं है, प्रधानमंत्री जो भी फैसला लेते हैं, वह उसके साथ मजबूती से खड़ी नज़र आएंगी। डीएमके नेता एमके स्टालिन ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री के बयान का स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने अपने विचार रखने और बैठक में भाग लेने के लिए सभी नेताओं के प्रति आभार प्रकट किया। सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री द्वारा कई बातें स्‍पष्‍ट करने के बावजूद कुछ हलकों में उनका गलत अर्थ निकालने के प्रयास भी किए जा रहे हैं।
सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया है कि भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अतिक्रमण करने के किसी भी प्रयास का पूरी दृढ़ता से यथोचित जवाब देगा। उन्होंने इस बात पर विशेष रूपसे जोर दिया कि अतीत में भले ही इस तरह की चुनौतियों की अनदेखी की जाती रही हो, लेकिन भारतीय सेना अब एलएसी के किसी भी तरह के अतिक्रमण पर तत्‍काल निर्णायक कदम उठाती है, उन्‍हें रोकती है, उन्‍हें टोकती है। सर्वदलीय बैठक में यह भी सूचित किया गया कि इस बार चीनी सैनिक अपेक्षाकृत अधिक संख्‍या में एलएसी के पास पहुंच गए हैं, हालांकि भारत ने भी उसीके अनुसार किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए अपनी ओर से पूरी तैयारी कर रखी है। एलएसी पर अतिक्रमण का जहां तक सवाल है तो यह स्पष्ट किया गया कि 15 जून को गलवान में हिंसा, इसलिए हुई थी, क्योंकि चीन की तरफ से एलएसी के ठीक पार कुछ निर्माण कार्यों को अंजाम देने की कोशिश की जा रही थी और इन निर्माण कार्यों पर रोक लगाने से उसने साफ इनकार कर दिया था। प्रधानमंत्री के संबोधन का फोकस 15 जून को गलवान में हुई हिंसक झड़पों पर था, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सोलह बिहार रेजिमेंट के सैनिकों ने बलिदान देकर चीन के कुछ भी निर्माण कार्य करने के नापाक इरादों को पूरी तरह से नाकाम कर दिया और एलएसी पर भारतीय सीमा में अतिक्रमण करने के प्रयासों को बिल्‍कुल निष्‍फल कर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि जिन लोगों ने हमारी सीमा में अतिक्रमण करने की कोशिश की थी, उन्‍हें हमारे वीर सपूतों ने मुंहतोड़ जवाब दिया। प्रधानमंत्री ने सर्वदलों को आश्वस्त किया कि हमारी सशस्त्र सेना देश की सीमाओं की रक्षा करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ेगी, भारतीय सीमा कहां तक फैली हुई है, यह भारत के नक्शे से स्पष्ट है, सरकार इसे अक्षुण्‍ण रखने के लिए पूरी दृढ़ता के साथ संकल्पबद्ध है। जहां तक कुछ अवैध कब्जों का सवाल है, इस बारे में सर्वदलीय बैठक में विस्तार से बताया गया कि 60 वर्ष में 43,000 वर्ग किलोमीटर से भी अधिक भूमि पर किन परिस्थितियों में दबाव की स्थिति है, यह देश उससे अच्छी तरह से अवगत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें भरोसा है कि जानबूझकर किए जा रहे दुष्‍प्रचार से भारतीय लोगों की एकजुटता कतई कम नहीं होगी।

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