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सीबीडीटी का ईमेल कोई उत्पीड़न नहीं-आयकर

सीबीडीटी के ईमेल से आयकरदाताओं में भ्रांति का निवारण

सोशल मीडिया पर चल रहीं सूचनाएं पूरी तरह से निराधार

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 21 April 2020 06:47:46 PM

income tax department

नई दिल्ली। केंद्रीय प्रत्यक्षकर बोर्ड ने सोशल मीडिया पर चल रहीं उन सूचनाओं को पूरी तरह से निराधार एवं तथ्यात्मक दृष्टि से गलत बताया है, जिनमें यह कहा गया है कि आयकर विभाग वसूली करने में जुट गया है और स्टार्टअप्स की बकाया मांगों को समायोजित करके उन्हेंकर देने को विवश करने के तरीकों का उपयोग कर रहा है। सीबीडीटी ने कहा है कि उसके द्वारा भेजे गए ईमेल उत्पीड़न के रूपमें गलत नहीं ठहराया जा सकता है, जिसमें उन सभी से यह स्पष्टीकरण मांगा गया है कि जो कर रिफंड पाने के हकदार हैं, उन्हेंबकाया कर का भुगतान भी करना है। ये कंप्यूटर सृजित ईमेल लगभग 1.72 लाख करदाताओं को भेजा गया है, इनमें करदाताओं के सभी वर्ग शामिल हैं-व्यक्ति से एचयूएफ तक एवं फर्मों से स्टार्टअप्स सहित बड़ी या छोटी कंपनियों तक।
सीबीडीटी ने कहा है कि यह कहना तथ्यात्मक दृष्टि से भी पूरी तरह गलत है कि स्टार्टअप्स को लक्षित और परेशान किया जा रहा है, जबकि कारण यह है कि आयकर विभाग रिफंड जारी करने से पहले बकाया कर मांग को समायोजित करके सार्वजनिक या सरकारी धन की रक्षा करने के लिए बाध्य है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने कहा कि ये ईमेल व्यक्तिगत उपस्थिति के बगैर ही संवाद करने का हिस्सा है, जो यह सुनिश्चित करते हुए सार्वजनिक या सरकारी धन की रक्षा करता है कि बकाया कर मांग, यदि कोई हो को समायोजित किए बिना रिफंड जारी नहीं किए जाएं। ये ईमेल उन रिफंड मामलों में आयकर अधिनियम की धारा-245 के तहत स्वतः सृजित होते हैं, जिनमें करदाता पर कुछ भी बकाया कर मांग देय है। यदि करदाता ने बकाया टैक्सं मांग का भुगतान पहले ही कर दिया है या उच्चकर प्राधिकरणों ने इसपर रोक लगा दी है तो वैसी स्थिति में करदाताओं से इन ईमेल के जरिए अनुरोध किया जाता है कि वे ताजा स्थिति अपडेट करें, ताकि रिफंड जारी करते समय इन धनराशियों को रोका न जाए और उन्हेंतुरंत रिफंड कर दिया जाए।
सीबीडीटी ने कहा कि इस तरह का संचार या संवाद बकाया कर मांग के साथ रिफंड के प्रस्तावित समायोजन के लिए करदाता से ताजा स्थिति अपडेट करने का एक अनुरोध मात्र है, अत:इसका गलत अर्थ यानी वसूली नोटिस के रूपमें नहीं निकाला जा सकता है या आयकर विभाग द्वारा तथाकथित विवश करने के रूपमें नहीं माना जा सकता है। सीबीडीटी ने कहा है कि स्टार्टअप्स को परेशानी मुक्त टैक्स माहौल प्रदान करने के लिए उसने एक समेकित परिपत्र (संख्या‍ 22/2019) 30 अगस्त 2019 को जारी किया था। स्टार्टअप्स के कर आकलन के तौर-तरीकों का उल्लेख करने के अलावा इसमें यह भी निर्दिष्टकिया गया है कि धारा-56(2) (viiबी) के तहत किए गए परिवर्धन से संबंधित बकाया आयकर मांगों को अदा करने पर जोर नहीं दिया जाएगा। इस तरह के स्टार्टअप्स किसी भी अन्य आयकर मांग की अदायगी पर भी तबतक जोर नहीं देंगे, जबतक कि आईटीएटी मांग की पुष्टि नहीं कर देती। स्टार्टअप्स की शिकायतों के निवारण और इस तरह की अन्य फर्मों की कर संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए एक स्टार्टअप प्रकोष्ठ का भी गठन किया गया।
किसी भी करदाता के मामले में बकाया कर मांगों की वसूली से संबंधित मौजूदा प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए सीबीडीटी ने कहा कि आयकर विभाग करदाता को एक अवसर प्रदान करता है कि वह या तो मांग की गई राशि अदा कर दे या उक्त टैक्स मांग से जुड़ी ताजा स्थिति से आयकर विभाग को अवगत करा दे। निश्चित रूपसे इस तरह का संचार या संवाद आयकर विभाग करदाता को एक ईमेल भेजकर करता है, जिसमें बकाया मांग की राशि के बारे में सूचित किया जाता है और मांगी गई राशि का भुगतान करने या पहले ही किए जा चुके भुगतान के संबंध में साक्ष्य के साथ जवाब देने या उसपर कोई और कदम उठाने की स्थिति से अपडेट कराने का एक अवसर होता है। सीबीडीटी ने कहा कि आयकर दाता के लिए लंबित मांग का विवरण प्रस्तुत करना आवश्यक है, चाहे उसका भुगतान कर दिया गया हो या किसी भी अपीलीय या सक्षम प्राधिकारी ने उस पर रोक लगा दी हो, ताकि विभाग रिफंड से इस राशि की कटौती न कर सके। इस प्रकार बकाया मांग की प्राप्ति की मौजूदा प्रक्रिया का पालन करते हुए इसी तरह की ईमेल स्टार्टअप्स सहित 1.72 लाख करदाताओं को भी भेजा गया है, जिनमें आयकर विभाग को यह जानकारी देने को कहा गया है कि बकाया मांग की ताजा स्थिति क्या है और इसपर क्या सक्षम अधिकारी ने रोक लगाई है, ताकि देरी किए बिना ही स्टार्टअप्स को रिफंड जारी करने के लिए उचित कदम उठाए जा सकें।
आयकर विभाग की ईमेल का समुचित जवाब नहीं देना और गलत सूचनाएं फैलाना सीबीडीटी के परिपत्र (संख्या22/2019) की भावना के विपरीत है और पूरी तरह से अनुचित है। सीबीडीटी ने स्टार्टअप्स से अनुरोध किया है कि वे जल्द से जल्द उसके ईमेल का जवाब दें, ताकि आयकर विभाग मौजूदा प्रक्रिया के अनुसार रिफंड को तुरंत जारी करने के लिए आगे के कदम उठा सके। सीबीडीटी ने यहे दोहराया कि 8 अप्रैल 2020 की घोषणा को ध्यान में रखते हुए उसने अबतक 9,000 करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि वाले लगभग 14 लाख रिफंड विभिन्न करदाताओं को जारी किए हैं, जिनमें व्यक्ति, एचयूएफ, प्रोपराइटर, फर्म, कंपनियां, स्टार्टअप्स और एमएसएमई शामिल हैं। इसका मुख्य उद्देश्य कोविड-19 महामारी की विकट स्थिति में करदाताओं की मदद करना है। कई रिफंड दरअसल करदाताओं की ओर से जवाब न मिलने के कारण लंबित हैं, संबंधित सूचना के अपडेट होने के बाद जल्द से जल्द रिफंड जारी कर दिए जाएंगे।

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