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भारत में 26 दिसंबर को वलयाकार सूर्य ग्रहण

सूर्य ग्रहण की आंशिक प्रावस्था प्रात: 8 बजे आरम्भ होगी

चंद्रमा सूर्य को 93 % वलयाकार में आच्छादित कर देगा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 17 December 2019 04:06:24 PM

annular solar eclipse

नई दिल्ली। भारत सरकार में पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय ने जानकारी दी है कि भारत में 26 दिसंबर (5 पौष, शक संवत 1941) को वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। भारत में वलयाकार प्रावस्था प्रात: सूर्योदय के पश्चात देश के दक्षिणी भाग कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु के हिस्सों के संकीर्ण गलियारे में दिखाई देगी तथा देश के अन्य हिस्सों में यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूपमें दिखाई देगा। ग्रहण की वलयाकार प्रावस्था का संकीर्ण गलियारा देश के दक्षिणी हिस्से में कुछ स्थानों यथा कन्नानोर, कोयम्बटूर, कोझीकोड़, मदुराई, मंगलोर, ऊटी, तिरुचिरापल्ली से होकर गुजरेगा। भारत में वलयाकार ग्रहण की अधिकतम प्रावस्था के समय चंद्रमा सूर्य को लगभग 93 प्रतिशत आच्छादित कर देगा। वलयाकार पथ से देश के उत्तर एवं दक्षिण की ओर बढ़ने पर आंशिक सूर्य ग्रहण की अवधि घटती जाएगी। आंशिक ग्रहण की अधिकतम प्रावस्था के समय चंद्रमा द्वारा सूर्य का आच्छादन बंगलोर में लगभग 90 प्रतिशत, चेन्नई में 85 प्रतिशत, मुंबई में 79 प्रतिशत, कोलकाता में 45 प्रतिशत, दिल्ली में 45 प्रतिशत, पटना में 42 प्रतिशत, गुवाहाटी में 33 प्रतिशत, पोर्ट ब्लेयर में 70 प्रतिशत और सिलचर में 35 प्रतिशत होगा।
यदि पृथ्वी को सम्पूर्ण माना जाए तो सूर्य ग्रहण की आंशिक प्रावस्था भारतीय मानक समय अनुसार प्रात: 8 बजे आरम्भ होगी। ग्रहण की वलयाकार अवस्था प्रात: 9 बजकर 6 मिनट पर शुरू होगी। सूर्य ग्रहण की वलयाकार अवस्था 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगी। ग्रहण की आंशिक प्रावस्था 13 घंटे 36 मिनट पर समाप्त होगी। सूर्य का वलयाकार ग्रहण भूमध्य रेखा के निकट उत्तरी गोलार्ध में एक संकीर्ण गलियारे में दिखाई देगा। वलयाकार पथ सउदी अरब, कतर, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात, भारत, श्रीलंका के उत्तरी भाग, मलेशिया, सिंगापुर, सुमात्रा एवं बोर्निओ से होकर गुजरेगा। चंद्रमा की उपच्छाया से आंशिक ग्रहण होता है, जोकि मध्य पूर्व, उत्तर पूर्वी अफ्रीका, उत्तर एवं पूर्वी रूस को छोड़कर एशिया, उत्तर और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, सोलोमन द्वीप के क्षेत्रों में दिखाई देगा। अगला सूर्य ग्रहण भारत में 21 जून 2020 को दिखाई देगा। यह एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। वलयाकार अवस्था का संकीर्ण पथ उत्तरी भारत से होकर गुजरेगा। देश के शेष भाग में यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूपमें दिखाई पड़ेगा।
गौरतलब है कि सूर्य ग्रहण किसी अमावस्या के दिन घटित होता है, जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है तथा उस समय ये तीनों एक ही सीध में रहते हैं। वलयाकार सूर्य ग्रहण तब घटित होता है, जब चंद्रमा का कोणीय व्यास सूर्य की अपेक्षा छोटा होता है, जिसके फलस्वरूप वह सूर्य को पूर्णतया ढक नहीं पाता है, परिणामत: चंद्रमा के चतुर्दिक सूर्य चक्रिका का छल्ला ही दिखाई देता है। ग्रहणग्रस्त सूर्य को थोड़ी देर के लिए भी नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए। चंद्रमा सूर्य के अधिकतम हिस्सों को ढक दे तब भी इसे खाली आंखों से न देखें, क्योंकि यह आंखों को स्थाई नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे अंधापन हो सकता है। सूर्य ग्रहण को देखने की सबसे सही तकनीक है ऐलुमिनी माइलर, काले पॉलिमर, 14 नंबर शेड के झलाईदार कांच जैसे उपयुक्त फिल्टर का उपयोग करना अथवा टेलेस्कोप के माध्यम से श्वेत पट पर सूर्य की छाया का प्रक्षेपण करना।

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