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पुस्तकालयकर्मी का कार्य एक मिशन-सत्यनारायण

भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक थे डॉ एसआर रंगनाथन

सीएसआईआर में डॉ एसआर रंगनाथन का जयंती समारोह

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 14 August 2019 02:15:05 PM

dr. sr ranganathan's birth anniversary celebration in csir

लखनऊ। सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान लखनऊ में पद्मश्री डॉ एसआर रंगनाथन का जयंती समारोह मनाया गया। चेन्नई में 9 अगस्त 1892 को जन्मे डॉ एसआर रंगनाथन को भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक के रूपमें जाना जाता है। वह भारत में पुस्तकालय आंदोलन के प्रणेता थे। उन्होंने भारत के विभिन्न राज्यों के पुस्तकालय एक्ट का मसौदा तैयार किया एवं उनके अनुपालन के लिए प्रयास किए। उन्होंने भारतीय पुस्तकालय संगठन की स्थापना की, जो पुस्तकालय संगठन के अंतर्राष्ट्रीय फेडरेशन में भारत का प्रतिनिधित्व करता है। डॉ एसआर रंगनाथन के प्रमुख योगदानों में कोलन वर्गीकरण के साथ-साथ पुस्तकालय विज्ञान के उन पांच नियमों की स्थापना सम्मिलित है, जिनको विश्वभर में पुस्तकालय की गाइडलाइन के रूपमें स्वीकृत किया गया है।
डॉ एसआर रंगनाथन को भारत सरकार ने वर्ष 1957 में पद्मश्री से सम्मानित किया था। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर एनआर सत्यनारायण भूतपूर्व विभागाध्यक्ष पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान लखनऊ विश्वविद्यालय थे। उन्होंने अपने सम्बोधन में डॉ रंगनाथन के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख करते हुए उनके जीवन एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एक पुस्तकालयकर्मी का यह मिशन होना चाहिए कि वह सही व्यक्ति को सही समय पर सही फोर्मेट में सही सूचना उपलब्ध कराए। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीकी विकास के चलते पुस्तकालयकर्मी के लिए आवश्यक है कि वह आचार नीति की नवीनतम जानकारी से अवगत रहे, ताकि वह अपने कार्य में सही दिशा में सही कदम उठा सके। उन्होंने कहा कि सत्यता, पारदर्शिता, निष्पक्षता एवं जवाबदेही आचार नीति के महत्वपूर्ण अंग हैं।
सीएसआईआर संस्थान के निदेशक प्रोफेसर एसके बारिक ने कार्यक्रम के अध्यक्षीय सम्बोधन में कहा कि आज के डिजिटल सूचना युग में पुस्तकालय एवं पुस्तकालय विज्ञान की महत्ता छात्र-छात्राओं को बतानी आवश्यक है, ताकि वे इस विधा की बारीकियां, इससे जुड़े तथ्यों एवं महत्व को समझ सकें। इस अवसर पर वेब ऑफ साइंस विषय पर आधारित एक कार्यशाला भी आयोजित की गई, जिसमें विश्व शर्मा सीनियर सोल्यूशन कंसल्टेंट मेसर्स क्लैरीवेट एनालिटिक्स नई दिल्ली ने प्रतिभागियों को कार्यक्रम की विभिन्न विशेषताओं के बारे में जानकारियां दीं एवं शोधकार्यों में उनके प्रयोग पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि यह एक ऐसी सुविधा है, जिसके उपयोग सेशोध कार्यों की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार किया जा सकता है। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ केएन नायर ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन एमएल केन प्रधान तकनीकी अधिकारी ने किया।

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