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'वन संरक्षण के साथ आजीविका अवसर भी जरूरी'

स्थानीय लोगों की प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित कराएं-राष्ट्रपति

राष्ट्रपति से भारतीय वन सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों की भेंट

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 23 July 2019 03:05:43 PM

ram nath kovind with probationers of the indian forest service

नई दिल्ली। भारतीय वन सेवा 2018-20 बैच के परिवीक्षाधीन अधिकारियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से आज राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की। परिवीक्षाधीन अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार और राज्य सरकारें हमारे देश की वन संपदा की रक्षा और हरित आवरण को बढ़ाने के लिए काफी प्रयास कर रही हैं, हालांकि पारिस्थितिकी पुनर्स्‍थापना, संरक्षण की निरंतरता और सफलता सामूहिक जागरुकता पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि हमारे देश के जंगलों और उसके आसपास आदिवासियों सहित बड़ी संख्या में ग़रीब लोग रहते हैं, जंगलों के माध्यम से ही वे भोजन और चारे की अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करते हैं, ये लोग सरल और परिश्रमी होने के साथ-साथ बहुत बुद्धिमान भी होते हैं, वे अपनी परंपराओं और मान्यताओं के तहत जंगलों का सम्मान करते हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रशिक्षुओं से कहा कि उनके द्वारा वनों की रक्षा के लिए कोई भी उपाय इन लोगों की बुनियादी जरूरतों के प्रति संवेदनशील होने चाहिएं और उनको इन्हें भागीदार के रूपमें भी शामिल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत के संयुक्त वन प्रबंधन मॉडल ने वनों के प्रबंधन में स्थानीय लोगों और समुदायों के साथ काम करने की परिकल्पना की है। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों की प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए संरक्षण के प्रयासों के साथ उन्हें आजीविका के अवसर भी उपलब्‍ध कराना बहुत ही जरूरी है। राष्ट्रपति ने कहा कि एकबार जब लोग और समुदाय वन प्रबंधन के प्रयासों में शामिल हो जाते हैं तो वन अधिकारी जैसा समाधान चाहते हैं, वह अधिक टिकाऊ और प्रभावी हो जाएगा।

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